जानिए क्यों किया जाता है अमृत फल आंवला का पूजन
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

जानिए क्यों किया जाता है अमृत फल आंवला का पूजन

प्रकृति का संरक्षण हमारे सनातन हिन्दू धर्म के मूल में है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला आंवला नवमी का पुरातन पर्व हमारी इसी मान्यता को पुष्ट करता है।

by पूनम नेगी
Nov 10, 2024, 10:00 am IST
in भारत
आंवला नवमी

आंवला नवमी

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

प्रकृति का संरक्षण हमारे सनातन हिन्दू धर्म के मूल में है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला आंवला नवमी का पुरातन पर्व हमारी इसी मान्यता को पुष्ट करता है। सनातनधर्मी हिन्दू धर्मावलम्बी इस दिन श्रद्धा भाव से आंवला वृक्ष का पूजन करते हैं। शास्त्र कहते हैं कि इस दिन जो व्यक्ति आंवले के पेड़ का पूजन व प्रदक्षिणा करके पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करता व कराता है, उसे स्वास्थ्य लाभ के साथ अनंत पुण्य फल प्राप्त होता है। बताते चलें कि आंवला वृक्ष की उत्पत्ति तथा पूजन परंपरा से जुड़े रोचक कथानक हमारे धर्मशास्त्रों में वर्णित हैं।

ब्रह्मा जी के अश्रु बिंदुओं से हुई आंवला की उत्त्पति

पौराणिक मान्यता के अनुसार आदिकाल में जल प्रलय के उपरांत जब पूरी पृथ्वी जल में डूबी हुई थी और दूर-दूर तक जीवन का कोई नामो निशान नहीं था। तब पूरी पृथ्वी को जलमग्न होता देख सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के नेत्रों से अनायास ही आंसू टपकने लगे। ब्रह्मा जी के नेत्रों से छलके उन अश्रु बिंदुओं से एक वृक्ष उत्पन्न हुआ, जिससे अमृत फल आंवला की उत्त्पति हुई। चूंकि सब वृक्ष-वनस्पतियों में आंवला ही सबसे पहले प्रकट हुआ था, इसलिए उसे ‘आदिरोह’ कहा गया। ब्रह्मा जी ने पहले आंवले को उत्पन्न करने के बाद शेष समस्त सृष्टि की। जब सृष्टि कर्म पूरा हो गया तो वे उस स्थान पर आये जहां भगवान विष्णु को प्रिय लगने वाला आंवले का वृक्ष था। उसी समय आकाशवाणी हुई – “यह आंवले का वृक्ष सब वृक्षों से श्रेष्ठ है; क्योंकि यह भगवान विष्णु और देवाधिदेव महादेव दोनों को ही अत्यंत प्रिय है।”

विष्णु व शिव का दोनों का समन्वित प्रतीक है आंवला वृक्ष

शास्त्रीय मान्यता के अनुसार अक्षय नवमी को आंवला वृक्ष के पूजन और इस वृक्ष के नीचे भोजन करने की प्रथा माता लक्ष्मी ने डाली थी। एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण पर निकलीं। तभी उनके मन में विचार आया कि भगवान विष्णु एवं शिव की एक साथ पूजा करने का विचार आया। उन्होंने पाया कि तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है और बेल शिव को मगर आंवला ऐसी वनस्पति है जिसमें दोनों के गुण एक साथ पाये जाते हैं। तब उन्होंने आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का दोनों का प्रतीक मानकर पूजन किया और उनकी पूजा से प्रसन्न हो महादेव व श्रीहरि एक साथ प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर दोनों को करवाया। इसके बाद स्वयं भोजन किया। वह कार्तिक शुक्ल नवमी की तिथि थी। तभी से सनातनधर्मी हिन्दू धर्मावलम्बी इस परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं।

आज भी अक्षय नवमी (आंवला नवमी) के दिन सनातनधर्मी महिलाएं इस वृक्ष का विधि विधान से पूजन करती हैं। वे प्रात: स्नान कर आंवला वृक्ष की जड़ों को कच्चे दूध से सींच कर उसके तने पर कच्चे सूत का धागा लपेट कर पूर्व दिशा में मुंह करके रोली, चावल, धूप-दीप से वृक्ष की पूजा करती हैं। तत्पश्चात वृक्ष की सात परिक्रमाएं करके दान पुण्य के साथ परिवारीजनों व इष्ट-मित्र, परिजनों को प्रसाद वितरित कर भोजन ग्रहण करती हैं। मान्यता है कि आंवला नवमी को इस वृक्ष के पूजन से श्री सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदें बरसती हैं। इसलिए इस दिन इस वृक्ष के नीचे बैठने और भोजन करने से तमाम रोगों का नाश होता है, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है व आयु लंबी होती है। इस दिन जो व्यक्ति आंवले का पेड़ लगाता है उसको अक्षय पुण्य का फल मिलता है।

अक्षय नवमी से प्रारंभ हुआ था सतयुग

पौराणिक आख्यानों के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को किए गए व्रत, पूजन और दान का फल अक्षय होता है। मान्यता है कि इसी तिथि से सतयुग प्रारंभ हुआ था। इसलिए इसे अक्षय नवमी या युग तिथि भी कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था इसलिए इस तिथि को कूष्माण्ड नवमी के नाम से भी जाना जाता है।

हर मर्ज की दवा है आंवला

महान आयुर्वेदाचार्य चरक द्वारा लिखी चरक संहिता में जिस जड़ी बूटी का बार बार उल्लेख मिलता है, वह अमृत फल आंवला ही है। आयुर्वेद में आंवला को प्रमुख स्थान दिया है। आयुर्वेदाचार्यों ने इसे हर मर्ज की दवा कहा है। आंवला पाचन तंत्र से लेकर स्मरण शक्ति को दुरुस्त करता है। नियमित रूप से आंवले का सेवन करने से बुढ़ापा भी दूर रहता है।

मधुमेह, बवासीर, नकसीर, दिल की बीमारी जैसी समस्याओं का इलाज आंवले में छिपा है। इसीलिए प्राचीन काल से आज तक आयुर्वेद की प्रसिद्ध दवाइयों, च्यवनप्राश, ब्रह्म रसायन, धात्री रसायन, अनोशदारू, त्रिफला रसायन, आमलकी रसायन, त्रिफला चूर्ण, धात्ररिष्ट, त्रिफलारिष्ट, रक्तवर्धक नवायस लौह, धात्री लौह, योगराज रसायन, त्रिफला मंडूर, त्रिफला घृत आदि के साथ मुरब्बे, शर्बत, केश तेल आदि निर्माण में आंवला का प्रयोग आधार घटक के रूप में किया जाता है।

Topics: #hinduसनातन धर्मआंवला नवमीAmla Navami 2024amla navami 2024 dateamla navami kab haiamla navami 2024 pooja muhuratamla navami 2024 poojavidhi
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

Swami Dipankar

सावन, सनातन और शिव हमेशा जोड़ते हैं, कांवड़ में सब भोला, जीवन में सब हिंदू क्यों नहीं: स्वामी दीपांकर की अपील

आरोपी मौलाना जलालुद्दीन उर्फ छांगुर

बलरामपुर: धर्म की भूमि पर जिहादी मंसूबों की हार

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुस्लिम युवक ने हनुमान चालीसा पढ़कर हिंदू लड़की को फंसाया, फिर बनाने लगा इस्लाम कबूलने का दबाव

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार और भारत-विरोधी सियासत: भारत के लिए नई चुनौती

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies