बागपत के राजपुर खामपुर गांव में 50-60 साल पहले तालाब की जमीन पर बनी अवैध मस्जिद को हटाने का आदेश जारी हुआ है। तहसीलदार की अदालत में सुनवाई के बाद यह निर्णय लिया गया, जिसमें मस्जिद के मुतवल्ली पर 4.12 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
विवाद कैसे शुरू हुआ?
गांव के निवासी गुलशार ने जुलाई में हाईकोर्ट में विशेष याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने मुतवल्ली पर आरोप लगाया कि उन्होंने गांव के तालाब की जमीन पर अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण किया है। गुलशार का कहना था कि तालाब की जमीन पर मस्जिद का निर्माण करके मुतवल्ली ने सरकारी संपत्ति का अतिक्रमण किया है, इसलिए इसे हटाया जाना चाहिए।
कोर्ट की सुनवाई और फैसला
हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्व संहिता के आधार पर कार्रवाई करने का आदेश दिया। आदेश में 90 दिन के अंदर मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद, डीएम के आदेश पर तहसीलदार ने मस्जिद की जमीन की माप कराई, जिसमें पाया गया कि मस्जिद वास्तव में तालाब की जमीन पर स्थित है।
तहसीलदार का फैसला
तहसीलदार अभिषेक कुमार सिंह की अदालत में सुनवाई के दौरान, राजस्व जिला शासकीय अधिवक्ता रविंद्र सिंह राठी और अपर जिला शासकीय अधिवक्ता नागेश कुमार ने सरकारी पक्ष रखा। सुनवाई के बाद तहसीलदार ने मस्जिद को अवैध निर्माण घोषित कर दिया और मुतवल्ली फरियाद पर 4.12 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के अलावा निष्पादन व्यय के रूप में पांच हजार रुपये अदा करने का आदेश दिया। सुनवाई के बाद तहसीलदार ने मस्जिद को अवैध निर्माण घोषित कर दिया और मुतवल्ली फरियाद पर 4.12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इसके अलावा उन्हें निष्पादन व्यय के रूप में पांच हजार रुपये अदा करने का भी आदेश दिया गया।
गांव में तनाव का माहौल
कोर्ट के इस फैसले के बाद गांव के लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है। मस्जिद गिराने के आदेश से गांव में अशांति का माहौल बना हुआ है, और लोग इस निर्णय के खिलाफ नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं।
मस्जिद को गिराने के लिए राजस्व अधिकारियों की एक समिति का गठन किया जाएगा, जो इस कार्यवाही का समय निर्धारित करेगी। समिति गांव में जाकर मस्जिद को हटाने की कार्रवाई करेगी।
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