कोलकाता, (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में काली पूजा के दौरान हिंसा पर रिपोर्टिंग करने के बाद डिजिटल मीडिया पोर्टल के पत्रकारों पर पुलिस कार्रवाई ने एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। भाजपा नेता अमित मालवीय, प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुकांत मजूमदार, और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी की सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य में स्वतंत्र मीडिया पर लगातार हमले हो रहे हैं और विरोध की आवाज़ों को दबाया जा रहा है। मंगलवार देर रात पुलिस कार्रवाई के बाद इस पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं।
अमित मालवीय ने अपने ट्वीट में आरोप लगाया कि ममता बनर्जी की पुलिस ने कोलकाता में डिजिटल मीडिया पोर्टल के कार्यालय में छापा मारा, जहां घंटों तक पत्रकारों से पूछताछ की गई और उनके हार्ड डिस्क जब्त कर लिए गए। उन्होंने इसे तानाशाही करार दिया और कहा कि राज्य सरकार मीडिया पर शिकंजा कस रही है। डॉ. सुकांत मजूमदार ने भी इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए ममता बनर्जी को ‘हिरक रानी’ की संज्ञा दी और कहा कि राज्य में ममता बनर्जी की सरकार में स्वतंत्र मीडिया की स्थिति गंभीर होती जा रही है।
इस घटना में विधाननगर पुलिस कमिश्नरेट का कहना है कि काली पूजा के दौरान उत्पन्न तनावपूर्ण हालात में ‘माध्यम’ ने जानबूझकर विवादित सामग्री फैलाई। उनके बयान के अनुसार, माध्यम न्यूज द्वारा फैलाई गई गलत जानकारी से इलाके में भ्रम और तनाव पैदा हुआ। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पत्रकार अनन्यो गुप्ता और एंकर पंकज बिस्वास को गिरफ्तार किया है।
पुलिस का कहना है कि दोनों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया गया और उन्हें अदालत के वारंट के आधार पर गिरफ्तार किया गया है।
शुभेंदु अधिकारी ने ममता सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह कार्रवाई केवल एक साजिश है ताकि वे आवाजें, जो सनातन धर्म के मुद्दों को उठाती हैं, उन्हें दबाया जा सके। उन्होंने इस घटना को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए कहा कि यह सरकार केवल अपने विरोधियों को निशाना बना रही है। विपक्ष के इन बयानों और पुलिस की सफाई के बीच इस घटना ने राज्य में मीडिया स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
टिप्पणियाँ