रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के तीन साल से अधिक बीत चुके हैं। लेकिन न तो रूस अब तक यूक्रेन को हरा पाया है और न ही यूक्रेन ने अब तक अपने घुटने टेके हैं। वह नाटो देशों और अमेरिका की मदद के दम पर अब भी रूस जैसे मैमथ के साथ लड़ रहा है। ये जानते हुए भी कि पूरा यूक्रेन खंडहर में बदल गया है। उसके सारे पॉवर स्टेशन तकरीबन रूस के हमले में तबाह और बर्बाद हो चुके हैं। ऊर्जा की कमी के कारण अब यूक्रेन को रूसी हमलों के साथ ही बेरहम सर्दी की भी मार झेलनी पड़ रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सर्दी का मौसम आने के साथ ही पूरे देश में यूक्रेन की व्लॉदिमीर जेलेंस्की सरकार अब पॉवर स्टेशन को दुरुस्त करने की कोशिशें कर रही है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इतनी जल्दी उसे ये राहत नहीं मिलने वाली है। उधर रूस हमले तेज कर रहा है। हालात ये हैं कि यूक्रेन की आधी से अधिक बिजली उत्पादन क्षमता तबाह हो चुकी है। यूक्रेन के लिए चुनौती बहुत ही बड़ी है।
उधर अब रुस के हवाई हमलों ने यूक्रेन को अपने परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर ही निर्भर होने पर विवश कर दिया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि रूस परमाणु स्टेशनों पर हमले नहीं कर रहा है। यूक्रेनी विशेषज्ञ ऊर्जा राशनिंग की भविष्यवाणियां करते रहते हैं, जिससे लोगों को दिन का अधिकतर वक्त बिना बिजली के ही बिताना पड़ रहा है। यूक्रेनी सरकार के सलाहकार ओलेक्सांद्र खारचेंकों का कहना है कि भीषण ठंड, और परमाणु ऊर्जा प्रणालियों को देखें तो यूक्रेन को हर दिन 20 घंटे से अधिक वक्त तक ब्लैकआउट का सामना करना पड़ रहा है।
हालात ये हैं कि घरों को तो छोड़िए, युद्ध कारखानों तक के लिए बिजली नहीं है। माहौल को और अधिक बुरा बनता देख यूक्रेन के लोग शरण के लिए अपना देश छोड़कर दूसरे देशों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर हैं।
अपने घरों में मरने को मजबूर होंगे लोग
इस बीच यूक्रेन ने सहयोगी देशों से मदद मांगी है। वह चाहता है कि उसे तुरंत सहायता दी जाए। वहीं एक अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि रुस जिस प्रकार से यूक्रेन के ऊर्जा बुनियादी ढांचों को तबाह करता जा रहा है, लोग अब अपने घरों के अंदर ही ठंड से मरने के लिए मजबूर होंगे।
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