धारचूला: एक बार नेपाल की चीन समर्थक औली सरकार की हरकत ने सीमा पर व्यापारियों के साथ अजीबो-गरीब हालात पैदा कर दिए हैं। औली सरकार द्वारा जारी किए गए 100 रु के नए नोट पर विवादित नक्शा दर्शाया गया है। जिसमें भारतीय क्षेत्र लिपुलेख, लिपियाधुरा और कालापानी को नेपाल का हिस्सा बताया गया है।
इस नोट को लेकर सीमांत क्षेत्र के भारतीय व्यापारियों में तीखी प्रतिक्रिया है और उन्होंने नेपालियों से ये नोट लेने से इंकार कर दिया है। उल्लेखनीय है कि सीमांत क्षेत्र के व्यापारी नेपाल से आने वाले ग्राहकों से नेपाली मुद्रा भी स्वीकार करते रहे हैं। नेपाल से रोजाना हजारों लोग भारत में राशन पानी, दवा ,कपड़ा और अन्य सामग्री लेने आते हैं। भारत और नेपाल के बीच उत्तराखंड राज्य में 150 किमी लंबी खुली सीमा रेखा है। भारत में नेपाल की तुलना में बाजार में सस्ती वस्तुएं हैं।
नेपाल में जब जब औली सरकार आई है उसने भारत के साथ संबंध बढ़ाने के बजाय चीन की तरफ ज्यादा झुकाव किया है, करीब सौ दिन पूर्व ही सत्ता में वापिस लौटे प्रधान मंत्री खड़ग प्रसाद शर्मा औली ने सौ रू की नई मुद्रा चीन की प्रेस से छपवाई है जिसमे भारतीय क्षेत्र को नेपाल का बताया गया है।
फिलहाल इस करेंसी को लेकर नेपाल के नागरिकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। भारतीय व्यापारियों ने इस मामले में एकता का परिचय देते हुए उक्त सौ रु के नोट को लेने से इंकार कर दिया है। जानकारी के मुताबिक, इस निर्णय को औली कैबिनेट ने पास किया है।
जिसमें 30 करोड़ रु के नए नेपाली नोट को छापने का ऑर्डर चीन की चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मीटिंग कॉर्पोरेशन को दिया है। नेपाली प्रधान मंत्री औली अगले कुछ दिनों में चीन की यात्रा पर भी जाने वाले हैं। बहरहाल नेपाल भारत के संबंध एक बार औली सरकार की वजह से खटास भरे होते दिख रहे हैं।
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