अस्त्र-शस्त्र से झलकता शिव-तेज
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

अस्त्र-शस्त्र से झलकता शिव-तेज

दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में छत्रपति शिवाजी महाराज के काल के अस्त्र-शस्त्रों की प्रदर्शनी लगी हुई है। 12-30 अक्तूबर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी में शिवाजी के प्रसिद्ध हथियार वाघ-नख, घोप जैसे अस्त्रों के अलावा कवच को भी देखा जा सकता है

by राजीव रंजन
Oct 29, 2024, 03:17 pm IST
in विश्लेषण, दिल्ली
बकरी और भेड़ के बालों से बना एक अनूठा शिरस्त्राण या ‘हेडगियर’
 (सबसे ऊपर मध्य में)

बकरी और भेड़ के बालों से बना एक अनूठा शिरस्त्राण या ‘हेडगियर’ (सबसे ऊपर मध्य में)

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में नई दिल्ली में जनपथ स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के मुख्यालय में एक प्रदर्शनी लगी हुई है। आईजीएनसीए की दर्शनम् कला दीर्घा में इस प्रदर्शनी का शुभारंभ विजयदशमी (12 अक्तूबर) को हुआ, जो 30 अक्तूबर तक चलेगी। इसमें पुणे के कोर हैरिटेज और आईजीएनसीए के संयुक्त तत्वावधान में शिवाजी के अस्त्र-शस्त्रों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।
कोर हैरिटेज एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो भारतीय इतिहास, संस्कृति व विरासत के संरक्षण के लिए प्राच्य शोध और शैक्षिक केंद्र के रूप में कार्य करता है।

2001 में अस्त्र-शस्त्रों की परंपरा के माध्यम से प्राचीन भारतीय इतिहास के अनुसंधान के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गई थी। यह संग्रहालय, सांस्कृतिक विरासत व संरक्षण के क्षेत्र में प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं व विभिन्न अन्य माध्यमों से प्रयोगात्मक शिक्षा के जरिये इतिहास की शिक्षा प्रदान करता है। संस्था के प्रमुख राकेश राव एक म्यूजियोलॉजिस्ट (संग्रहालय विज्ञानी), टैक्सीडर्मिस्ट, वरिष्ठ वस्तु संरक्षक और शोधकर्ता हैं। आईजीएनसीए में लगी प्रदर्शनी में शिवाजी के महत्वपूर्ण अस्त्र-शस्त्र जैसे- वाघ नख, बिछुआ, तीर-धनुष, धोप, तलवार, सिक्का कटियार (कटार), कवच और मज्जल लॉक वाली बंदूक जैसे ऐतिहासिक हथियार प्रदर्शित किए गए हैं।

हिंदू पद-पादशाही शिवाजी के वाघ-नख से जुड़ा एक रोचक प्रकरण है। प्रसिद्ध इतिहासकार यदुनाथ सरकार ने लिखा है कि बीजापुर की आदिलशाही सल्तनत के सेनापति अफजल खां ने शिवाजी को देखते ही गले लगाया। जैसे ही शिवाजी उसके गले लगे, अफजल खां ने उनकी गर्दन को अपनी बांहों में जकड़ लिया और कटार से उन पर हमला किया। लेकिन शिवाजी ने फुर्ती से अफजल की कमर को जकड़ लिया और उसके पेट में अपना बघनखा यानी वाघ-नख भोंक दिया, जिसे वे उंगलियों में पहनते थे। अफजल खां से मुलाकात के समय इसे वे अपने वस्त्रों में छिपाकर ले गए थे। इसके बाद उन्होंने दाहिने हाथ से अफजल पर बिछुवे से वार किया। उसके मरने के बाद सेना बदहवास हो गई और मराठा सैनिकों ने संख्या में कम होने के बावजूद उन्हें बुरी तरह पराजित किया। शत्रु सेना को आत्मसमर्पण करना पड़ा। कहा जाता है कि अफजल लगभग 7 फीट लंबा था और कद-काठी में शिवाजी से बहुत अधिक तगड़ा था। फिर भी मामूली हथियार से उन्होंने शत्रु का वध कर दिया।

शिवाजी कालीन (1600-1674 ई.) अस्त्र-शस्त्रों की प्रदर्शनी मराठों के युद्ध कौशल, युद्ध तकनीक और रणनीतिक सूझ-बूझ का जीवंत चित्र पेश करती है। आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी कहते हैं, ‘‘छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठों का युद्ध कौशल और उनकी रणनीति भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। अपनी प्रभावशाली युद्ध तकनीक, रणनीतिक सूझ-बूझ और संगठन क्षमता के कारण वे भारतीय इतिहास के अप्रतिम योद्धा माने जाते हैं। उनके दूरदर्शितापूर्ण नेतृत्व में मराठों ने न केवल मुगलों, बल्कि कई अन्य शक्तियों का सफलतापूर्वक सामना किया था। एक और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि मराठों ने सीमित संसाधनों के साथ भारतीय इतिहास की कई अविस्मरणीय लड़ाइयां जीतीं। उनका नेतृत्व और रणनीति आज भी प्रेरणास्रोत हैं। शिवाजी अपने युद्ध कौशल से अस्त्र-शस्त्रों का चयन परिस्थितियों को ध्यान में रखकर करते थे।’’
शिवाजी महाराज और मराठों ने अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों का कुशलतापूर्वक प्रयोग किया। उनकी युद्ध तकनीकें और छापामार (गणिमी कावा) युद्ध कला उनके हथियारों की क्षमता और उपयुक्तता पर भी निर्भर करती थीं। शिवाजी ने अपने छापामार युद्ध में हल्के और उपयोगी हथियारों का विशेष रूप से प्रयुक्त किया। युद्ध में मराठों ने न केवल अपने पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र प्रयोग किए, बल्कि आवश्यकता के अनुसार इस्लामी और यूरोपीय हथियारों का उपयोग भी सुधार के साथ किया। मराठा सैनिक तीर-धनुष जैसे पारंपरिक अस्त्र का प्रयोग दूर से हमला करने के लिए करते थे। ये विशेष रूप से छापामार युद्ध में उपयोगी थे। मराठा सैनिक इस हथियार का प्रयोग जंगल और पहाड़ी इलाकों में कुशलता से करते थे। ‘उंबरखिंड’ का युद्ध 3 फरवरी, 1661 को महाराष्ट्र के खोपोली शहर के पास सह्याद्रि पर्वत शृंखला में हुआ था। औरंगजेब के आदेश पर शायस्ता खान ने करतलब खान और राय बागन को राजगढ़ किले पर हमले के लिए भेजा था। शिवाजी की 4,000-5,000 सेना ने उंबरखिंड की पहाड़ियों के जंगल में छापामार युद्ध में तीर-धनुष का प्रयोग कर मुगलों के 35,000 सैनिकों को खदेड़ दिया।

बकरी और भेड़ के बालों से बना एक अनूठा शिरस्त्राण या ‘हेडगियर’ (सबसे ऊपर मध्य में)

प्रदर्शनी के मुख्य आकर्षण में ‘धोप’ (एक सीधी घुड़सवार तलवार) है, जिसे छत्रपति शिवाजी ने हंबीरराव मोहिते को भेंट किया था। अपने विशिष्ट शिल्प कौशल के लिए जानी जाने वाली इस तलवार को सोने से जड़ा गया है। वहीं, गुर्ज का प्रयोग ढाल और कवच को भेद कर शत्रु को शारीरिक रूप से गंभीर नुकसान पहुंचाने में समर्थ था। कहा जाता है कि इसे शिवाजी महाराज ने अपने सेनापति को उपहार में दिया था। ‘मज्जल लॉक वाली बंदूक‘ को हाथी दांत और सोने-चांदी से सजाया गया है, जबकि ‘सिक्का कटियार’ में सोने का विस्तृत काम है। इसमें एक बुलेटप्रूफ ढाल भी है, जो गोली से रक्षा करती थी। इसमें अभी भी एक बुलेट फंसी हुई है। ये दुर्लभ शस्त्रास्त्र हैं, क्योंकि इनमें से कुछ तो राष्ट्रीय संग्रहालय के शस्त्रागार में भी नहीं दिखते।

इस संग्रह में महिला योद्धाओं और बाल वीरों के लिए डिजाइन कवच, छोटी बंदूकें और तलवारें भी हैं, जो आत्मरक्षा के लिए बनाए जाते थे। इसके अलावा, प्रदर्शनी में बकरी और भेड़ के बालों से बना एक अनूठा शिरस्त्राण (हेडगियर) गुगी भी है, जिसे वैज्ञानिक रूप से गेहूं के आटे से मजबूत किया जाता था। यह तलवार के वार से सिर और गर्दन की रक्षा करता था। यहां तक कि फसल काटने वाली दरांती और खेत से पशुओं को भगाने वाली रस्सी से बने हथियार भी मराठों ने ही पहली बार प्रयोग किये थे। इस रस्सी का उपयोग वे शत्रुओं पर दूर से पत्थर बरसाने के लिए गुलेल की तरहकरते थे।

राकेश रा व के अनुसार, उनके द्वारा संग्रहीत शस्त्रास्त्रों में से केवल दो प्रतिशत ही प्रदर्शनी में रखे गए हैं। यह दर्शाता है कि उनका अभिलेखागार कितना समृद्ध है।

Topics: पाञ्चजन्य विशेषछत्रपति शिवाजी महाराज राज्याभिषेक‘सिक्का कटियारमज्जल लॉक वाली बंदूकहिंदू पद-पादशाही शिवाजी
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Kerala BJP

केरल में भाजपा की दो स्तरीय रणनीति

Sawan 2025: भगवान शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए शिवलिंग पर जरूर चढ़ाएं ये 7 चीजें

CM Yogi Adityanath

उत्तर प्रदेश में जबरन कन्वर्जन पर सख्त योगी सरकार, दोषियों पर होगी कठोर कार्यवाही

Dhaka lal chand murder case

Bangladesh: ढाका में हिंदू व्यापारी की बेरहमी से हत्या, बांग्लादेश में 330 दिनों में 2442 सांप्रदायिक हमले

प्रदर्शनकारियों को ले जाती हुई पुलिस

ब्रिटेन में ‘पैलेस्टाइन एक्शन’ के समर्थन में विरोध प्रदर्शन, 42 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

Trump Tariff on EU And maxico

Trump Tariff: ईयू, मैक्सिको पर 30% टैरिफ: व्यापार युद्ध गहराया

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

रूसी महिला कर्नाटक की गुफा में कर रही भगवान रुद्र की आराधना, सनातन धर्म से प्रभावित

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies