विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को मुंबई में आतंकवाद के खिलाफ एक सख्त बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने भारत के दृढ़ निश्चय और बदलते दृष्टिकोण को रेखांकित किया। जयशंकर ने कहा कि 26/11 के हमले जैसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं होने दी जाएगी और भारत अब आतंकवाद के खिलाफ अपनी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति पर पूरी तरह अडिग है।
आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो-टॉलरेंस’
विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत की “जीरो-टॉलरेंस” नीति का अर्थ है कि आतंकी गतिविधियों के खिलाफ कड़ा और अनिवार्य प्रतिक्रिया दी जाएगी। उन्होंने कहा, “मुंबई में 26/11 का जो हमला हुआ, उसके बाद कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं हुई, जो हमारे लिए और विश्व के लिए एक चेतावनी थी।” जयशंकर ने कहा कि अब ऐसा नहीं होगा और भारत अब किसी भी प्रकार के आतंकी हमलों के प्रति पूरी तरह से सतर्क और प्रतिबद्ध है।
मुंबई-आतंकवाद विरोध का प्रतीक
जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि मुंबई आतंकवाद विरोध का एक वैश्विक प्रतीक बन चुका है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जब भारत को सुरक्षा परिषद की आतंकवाद विरोधी समिति का अध्यक्ष बनाया गया था, तो उन्होंने पहली बार मुंबई के उसी होटल में UNSC की बैठक आयोजित की, जो 26/11 हमले का स्थल था। इस बैठक के माध्यम से भारत ने न केवल अपनी स्थिति स्पष्ट की बल्कि पूरे विश्व को संदेश दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है और किसी भी प्रकार की आतंकी गतिविधि का सामना करने के लिए हमेशा तैयार है।
दिन में व्यापार और रात में आतंक का खेल नहीं
विदेश मंत्री ने उन देशों पर भी निशाना साधा जो आतंकवाद को समर्थन देते हैं और दिन में व्यापारिक साझेदारी की बात करते हैं लेकिन रात में आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। जयशंकर ने कहा कि भारत अब ऐसी स्थिति को बर्दाश्त नहीं करेगा और इस प्रकार के आतंकवादी प्रोपेगेंडा का पर्दाफाश करने में आगे रहेगा। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली दोहरी नीति का खुलासा करने में भारत कोई संकोच नहीं करेगा।
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