हाल ही में गाजा से इजरायली सेना द्वारा बचाई गई एक यजीदी महिला, फौजिया अमीन सिदो, ने अपने साथ हुए भयानक अत्याचारों का दिल दहलाने वाला आपबीती साझा किया है। उनकी कहानी इस बात का प्रमाण है कि कैसे आतंकवादी संगठनों के हाथों मानवता को शर्मसार किया गया है।
ISIS का आतंक
सिदो ने बताया कि जब वह केवल नौ साल की थीं, तब उन्हें और उनके भाइयों को आईएसआईएस लड़ाकों ने पकड़ लिया था। उन्हें कई दिनों तक भूखा रखा गया और फिर अन्य बंधकों के साथ मिलकर सिंजर से तल अफर तक पैदल चलने के लिए मजबूर किया गया। इस दौरान उन्हें मीट और चावल खाने के लिए दिया गया, जिसका स्वाद अजीब था, लेकिन भूख के मारे सभी ने उसे खा लिया।
सिदो के अनुसार, जब उन्होंने मीट और चावल खा लिया, तब ISIS के लोगों ने बताया कि यह यजीदी बंधकों का मांस था। इस घृणित जानकारी ने वहां मौजूद कई लोगों को इतना झकझोर दिया कि उनमें से कुछ की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। यह घटना केवल एक बार की नहीं थी; इससे पहले भी यजीदी सांसद वियान दाखिल ने इस तरह के अत्याचारों की ओर ध्यान आकर्षित किया था।
कैद की दर्दनाक कहानी
सिदो ने अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि उन्हें कई महीनों तक 200 अन्य यजीदी लड़कियों के साथ एक तहखाने में बंद रखा गया, जहां की स्थितियां अत्यंत दयनीय थीं। कई लड़कियां गंदे भोजन और पानी की कमी के कारण मर गईं।
जब सिदो को भूमिगत जेल से बाहर निकाला गया, तब वह पांच बार बेची गईं। उन्हें अबू अमर अल-मकदिसी नामक एक लड़ाके के साथ दो बच्चे भी हुए। वर्षों तक कैद में रहने के बाद, वह हाल ही में इराक में अपने परिवार के पास लौटीं, लेकिन उनके बच्चे अभी भी गाजा में अपहर्ताओं के पास हैं, जहां उनका पालन-पोषण अरब मुसलमानों के रूप में किया जा रहा है।
आजादी का अहसास
सिदो ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा, “जब मैं इराक में अपने घर पहुंची, तब मुझे एक इंसान के रूप में आजादी का अहसास हुआ। जब तक मैं उनकी कैद में रही, मैं ‘सबाया’ थी, जिसका मतलब है यौन शोषण के लिए बंधक बना कर रखी गई महिला।”
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