‘विजय के लिए धनुर्धर अर्जुन और योगेश्वर कृष्ण, दोनों महत्वपूर्ण’
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‘विजय के लिए धनुर्धर अर्जुन और योगेश्वर कृष्ण, दोनों महत्वपूर्ण’

रा.स्व.संघ के विजयादशमी उत्सव में विशिष्ट अतिथि पद्म भूषण डॉ. के. राधाकृष्णन द्वारा दिए गए संबोधन के संपादित अंश इस प्रकार हैं-

by WEB DESK
Oct 16, 2024, 01:17 pm IST
in भारत, संघ, महाराष्ट्र
पद्म भूषण डॉ. के. राधाकृष्णन

पद्म भूषण डॉ. के. राधाकृष्णन

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विजयदशमी के पावन अवसर पर यहां आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। पंच-परिवर्तन प्रक्रिया के कगार पर इन स्वनामधन्य श्रोताओं के सामने संबोधन देना भी मेरे लिए गौरव से कम नहीं है। आत्म-अनुशासन और निस्वार्थ सेवा के इस पुण्य वातावरण में स्मृति मंदिर में एक दिन बिताना और संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित करके आनंद हुआ। मुझे उनके घर और उनके जन्मस्थान पर भी जाने का अवसर मिला। डॉ. हेडगेवार सादगी और महानता के मिश्रण थे। यहां वीरता और दृढ़ संकल्प के सामंजस्य को देखना एक अनूठा अनुभव है।

1960 के दशक की शुरुआत में, भारत ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों का आरम्भ किया, लेकिन एक अलग अंदाज़ में। भारत ने डॉ. विक्रम साराभाई, डॉ. सतीश धवन और डॉ. ब्रह्मप्रकाश जैसी महान प्रेरक विभूतियों के नेतृत्व में समाज-केंद्रित होने का मार्ग चुना। देशभर से प्रतिभाशाली लोग रॉकेट साइंस से जुड़ने के लिए इसरो में साथ आए। पहली पीढ़ी के दिग्गजों ने भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों की नींव रखी। उडुपी रामचंद्र राव, ए.पी.जे. अबुल कलाम और प्रो. यशपाल ने हमारी पहली बड़ी परियोजना का नेतृत्व किया। भारत ने मानव के सतत कल्याण हेतु अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए प्रमुख और सघन भागीदारी हासिल की है। जब हम ब्रह्मांड पर विचार करते हैं, तो हमें एहसास होता है कि हम अकेले नहीं हैं। इसरो अब देश की रणनीतिक अनिवार्यताओं पर कार्य कर रहा है।

पुरानी पीढ़ी युवा पीढ़ी का 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की दिशा में मार्गदर्शन दे रही है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ने किसानों और मछुआरों सहित हर भारतीय के जीवन को छुआ है, जिसका सामाजिक-आर्थिक प्रभाव महत्वपूर्ण है। प्राचीन काल से ही हम आत्मनिर्भरता के प्रति प्रयासरत रहे हैं। प्रौद्योगिकी और विज्ञान के क्षेत्र में नवाचार आर्थिक परिवर्तन के संवाहक हैं, भारत ने इसमें उल्लेखनीय प्रगति भी प्राप्त की है। हमें तकनीकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आत्मनिर्भरता और नए युग की तकनीक के लिए काम करने की आवश्यकता है। प्रौद्योगिकी और अनुप्रयुक्त विज्ञान आर्थिक विकास के इंजन हैं। देश की सबसे विकट समस्याओं को हल करने के लिए विशद विज्ञान और गहन प्रौद्योगिकियों का संगम तेजी से प्रासंगिक होता जा रहा है।

भारत ने अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। हालांकि, प्रौद्योगिकी-केंद्रित दुनिया में, हमें प्रौद्योगिकी पर निर्भरता से प्रौद्योगिकी पर्याप्तता की ओर तेजी से बढ़ने की आवश्यकता है। अगले दशक में छठी या संभवत: सातवीं औद्योगिक क्रांति होगी, इसलिए जरूरी है कि हम प्रासंगिक बने रहने के लिए कम समय में खुद को फिर से तैयार करें। शिक्षा के क्षेत्र में, प्रौद्योगिकी ने बड़ा बदलाव किया है। हमारी शिक्षा प्रणाली परिवर्तन की स्थिति में है और सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इस तैयारी में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाएगी। बदलावों के इस दौर में अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन शोध, नवाचार और उद्यमिता की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

‘परफोर्मिंग आर्ट्स’ और आध्यात्मिक विरासत को आत्मसात करके मुझे जीवन में मूल्य-केंद्रित व्यकितगत निर्णय लेने में मदद मिलती रही है। अंतरिक्ष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में सही नेतृत्व देने में संगीत की सतत साधना ने मेरी बहुत मदद की है। जब मैं कक्षा 6 में था, तब गीता उपदेश नाटिका में मैंने अर्जुन की भूमिका निभाई थी। मेरे अंदर तभी से भगवद्गीता के प्रति एक अनुराग पैदा हो गया था, इससे मुझे जीवन में कठिन समय में धैर्य बनाए रखने और खुद को फिर से खड़ा करने में सहायता मिली है। जैसा कि भगवद्गीता के 16वें अध्याय में बताया गया है-निर्भयता, त्याग, ईमानदारी, स्वाध्याय आदि हमें अपने अंदर दिव्य मूल्यों को विकसित करने में मदद करते हैं। यही तो एक संतुलित व्यक्ति में महान गुण हैं। भगवद्गीता संजय की एक टिप्पणी के साथ समाप्त होती है:
यत्र योगश्वर: कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धर:।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।
अर्थात, ‘धनुर्धर अर्जुन और योगेश्वर कृष्ण, दोनों ही विजय के लिए महत्वपूर्ण हैं। यानी जिस प्रकार विजय के लिए हथियारों की आवश्यकता है, उसी प्रकार नैतिक मूल्यों की भी आवश्यकता है।’

Topics: अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकीfounder of RSSold generationyoung generationspace and technologyभारतरा.स्व.संघDr. Keshav Baliram Hedgewarपाञ्चजन्य विशेषIndiaसंघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवारRSSपुरानी पीढ़ी युवा पीढ़ी
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