ईरान की तरह तालिबान ने एक ‘मोरेलिटी’ मंत्रालय बनाया हुआ है जिसका काम है हर क्षेत्र में इस्लाम के कायदे—कानून लागू करवाना। इसी मंत्रालय ने ये नया फरमान जारी करते हुए मीडिया को सख्त हिदायत दी गई है कि कैसी भी जिंदा चीज की फोटो न छापें, इस पर रोक लगा दी गई है। इस नए फरमान को मंत्रालय के प्रवक्ता सैफुल इस्लाम खैबर ने जारी किया है और उसने यह भी कहा कि वक्त के साथ यह फरमान पूरे अफगानिस्तान के मीडिया पर लागू कर दिया जाएगा।
अफगानिस्तान में अब बंदूकधारी तालिबान सत्ता ने मीडिया को लेकर नया फरमान जारी किया है। इस नए फरमान में कहा गया है कि ‘कोई अखबार किसी जीवित व्यक्ति या चीज की फोटो न छापे, क्योंकि यह इस्लामी कानून के विरुद्ध है। किसी ने इस फरमान को नहीं माना तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।’
इस नए तालिबानी फरमान से साफ है कि अब बंदूकधारी सत्ता की नजर मीडिया पर पड़ी है और अब मीडिया को लगाम लगाने के एक के बाद एक फरमान जारी किए जाएंगे।
ईरान की तरह अफगानिस्तान में भी तालिबान ने एक ‘मोरेलिटी’ मंत्रालय बनाया हुआ है जिसका काम है हर क्षेत्र में इस्लाम के कायदे—कानून लागू करवाना। इसी मंत्रालय ने ये नया फरमान जारी करते हुए मीडिया को सख्त हिदायत दी गई है कि कैसी भी जिंदा चीज की फोटो न छापें, इस पर रोक लगा दी गई है। इस नए फरमान को मंत्रालय के प्रवक्ता सैफुल इस्लाम खैबर ने जारी किया है और उसने यह भी कहा कि वक्त के साथ यह फरमान पूरे अफगानिस्तान के मीडिया पर लागू कर दिया जाएगा।
सैफुल ने जानकारी दी कि इस फरमान में सबको यह बताया जाने वाला है कि किसी जिंदा चीज की फोटो छापना इस्लामी कायदों के विरुद्ध है। इस फरमान को न मानने वालों को पहले तो समझाया जाएगा, नहीं माने तो कड़ाई की जाएगी। तालिबानी खैबर यह भी कहता रहा कि कोई ‘जबरदस्ती’ नहीं होगी बस ‘समझाया’ जाएगा। हालांकि अफगान मीडिया के लोग जानते हैं कि ‘समझाने’ के क्या मायने होते हैं।
इस फरमान के तहत जिन चीजों की तस्वीर न छापने को कहा गया है उनमें सभी जिंदा चीजों के साथ ही यह भी शामिल है कि अगर किसी बात या तस्वीर से इस्लाम को मजाक या अपमान का विषय बनाने की कोशिश की गई तो उस पर कार्रवाई होगी। सभी मीडिया समूहों को इस ‘इस्लामी कानून’ की हद में रहने को कह दिया गया है।
खैबर यह भी कहता है कि तालिबान ने इस बारे में अभी तक कोई सख्ती नहीं की है। कुछ सूबों में तो ये लागू हो चुका है, जैसे कंधार, हेलमंड तथा तखर। धीरे धीरे इसे सब सूबों में लागू कर दिया जाएगा।
खैबर ने यह बात कंधार में मीडिया कर्मियों से बात करते हुए बताई। लेकिन मीडिया समूहों को अभी उक्त मंत्रालय से अधिकृत आदेश का इंतजार है। इस प्रेस कांफ्रेंस में भी फोटो लेने वालों को फोटो लेने से रोका नहीं गया था। दूसरी तरफ, गजनी तथा मैदान वार्ड में मीडिया को मोरेलिटी पुलिस ‘हदों’ में रहने के बारे में बता रही है। वहां फोटो लेने और वीडियो उतारने की हदें बांध दी गई हैं। उन्हें नए फरमान के तहत रहने को कह दिया गया है।
वैसे भी अफगानिस्तानी मीडिया अब उतना असरदार रहने भी नहीं दिया गया है। बंदूकधारी तालिबान के राज में मीडिया समूहों पर कड़ी लगाम लगाई जा चुकी है, कई बंद हो चुके हैं। किसी वक्त वहां करीब 8,400 मीडियाकर्मी हुआ करते थे, अब सिर्फ 5,100 ही बाकी रह गए हैं। एक वरिष्ठ पत्रकार का तो सोशल मीडिया पर सड़क किनारे ब्रेड बेचते हुए फोटो खूब वायरल हुआ था। कुल 560 महिला मीडियाकर्मी ही पेशे में रह गई हैं। दिलचस्प तथ्य है कि प्रेस की आजादी वाली रैंकिंग में 180 देशों में अफगानिस्तान का नंबर 122वां था, लेकिन अब वह और नीचे आकर 178 पर पहुंच गया है।
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