उत्तर प्रदेश के बहराइच में रविवार (13 अक्टूबर 2024) को मस्जिद के सामने से निकल रही मां दुर्गा की विसर्जन यात्रा पर कट्टरपंथियों ने अकारण पथराव किया। इसके बाद मामला बढ़ा और 22 वर्षीय युवक राम गोपाल मिश्रा की गोली मार कर हत्या कर दी गई। दुर्गा मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा के बाद बहराइच के हरदी थाना क्षेत्र के महराजगंज में जबरदस्त तनाव है। हिंदुओं में आक्रोश फैल गया है।
हर साल हिंदुओं के त्यौहारों पर अकारण पथराव, आगजनी, मासूमों की हत्या और फिर इसे उचित ठहराने का प्रयास होता रहा है। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर ये कट्टरपंथी मुस्लिम हिंदुओं के त्यौहारों रामनवमी, हनुमान जयंती, शिवरात्रि, कांवड़ यात्रा, गणेशोत्सव और दुर्गापूजा पर हिंदू श्रद्धालुओं का विरोध करने के लिए हमेशा तैयार क्यों रहते हैं? जबकि इनके जुलूस में हिंदू बखेड़ा नहीं खड़ा करता। क्या हिंदू श्रद्धालु मुस्लिम इलाके से कोई जुलूस नहीं ले जा सकते? क्या वे अपने त्यौहारों पर डीजे नहीं बजा सकते, क्या वे जिहादियों के डर से उनके इलाके से भगवान की मूर्तियों को विसर्जन के लिए भी नहीं ले जा सकते? क्या इन कट्टरपंथियों के घरों में हमेशा हथियार मौजूद रहते हैं? तभी वे भगवान की भक्ति में डूबे निहत्थे हिंदू श्रद्धालुओं पर वार करते हैं। क्यों इनके मन में कानून का खौफ नहीं है? आखिर कब तक इन जिहादियों का समर्थन करने उन्हें उचित और हिंदुओं को गलत ठहराते रहेंगे? कट्टरपंथी मुस्लिमों के हौसले बुलंद करने वाले जिहादी मानसिकता वाले सेकुलर हिंदुओं के खिलाफ अपराध को बढ़ावा देने का ही कार्य करते हैं? राम गोपाल मिश्रा को गोलियों से छलनी कर दिया, इसके बाद भी हत्यारों का साथ देने वालों की मानसिकता को समझा जा सकता है। अवैध हथियार कट्टरपंथियों के पास थे, गोलियों का जखीरा उनके पास था। हिंदुओं की पूजा में खलल डालने की उन्होंने पहले से ही तैयारी कर रखी थी, जैसा कि वे हर साल करते रहे हैं। पथराव करने वाले भी यही थे। मां दुर्गा की विसर्जन यात्रा पर गोलियां भी इन जिहादियों ने दागीं। प्रदेश का अमन बिगाड़ने का प्रयास भी इन्होंने ही किया। इन सबके बावजूद तथाकथित बुद्धिजीवियों का चरमपंथियों को भरपूर प्यार और समर्थन मिल रहा है।
सोशल मीडिया पर मुस्लिमों को भड़काकर नफरत फैलाने वाले कथित फैक्ट चेकर ने एक्स पर लिखा, “बहराइच हिंसा में गोपाल मिश्रा का एक वीडियो सामने आया है। इसमें वह जबरन हरा झंडा हटाकर भगवा झंडा लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं। भीड़ नारे लगाते हुए और उन्हें झंडा हटाने के लिए उकसाते हुए दिखाई दे रही है। बाद में गोपाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई।”
गोपाल मिश्रा की हत्या के लिए उसे ही जिम्मेदार ठहराते हुए एक्स पर लिखा गया, ”गोपाल मिश्रा की हत्या में बहुत से लोग दोषी हैं। एक खुद गोपाल मिश्रा जिसने दूसरों की इज्जत को जूते से कुचला, अपमानित किया। दूसरे वे जिन्होंने अभी तक जितने गोपाल मिश्रा हुए उन्हें सजा नहीं दीं। तीसरे ये भीड़। चौथे इस भीड़ को संरक्षण देने वाले लोग। अगर ये चीजें ना होती तो कुछ ना होता।”
ध्यान देने योग्य है कि जब मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग सड़कों पर ताजिया जुलूस निकालते हैं। इस दौरान जुलूस में शामिल मुस्लिम शोक व्यक्त करते हैं। लाठी-डंडों से करतब दिखाते हैं। तब यह जुलूस कई हिंदू बहुल कस्बों से होकर गुजरता है। इसके कारण सड़कों पर भीड़ इकट्ठा होने से लोगों को आने-जाने में दिक्कत होती है। जूलूस से ट्रैफिक भी प्रभावित होता है। शोर शराबा भी होता है, लेकिन कभी भी इनके जुलूस पर पथराव और हमले की खबरें सामने नहीं आती हैं। न ही किसी की हत्या की जाती है। क्या इन सड़कों पर मुस्लिमों को ही जूलूस निकालने का अधिकार है? क्या वे ही अपने त्यौहारों को मनाने के लिए आजाद हैं? क्या मस्जिद के सामने की जगह इनकी है, जहां से हिंदू नहीं गुजर सकते?
खैर, यह अभी से नहीं है, इसका ट्रेंड चल गया है। महाराष्ट्र में गणेशोत्सव पर जिहादियों द्वारा पथराव करना, पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के पूजा पंडाल में घुसकर हिंदुओं को धमकाना, उन्हें पूजा करने से रोकना, वर्ष 2022 में दिल्ली में हनुमान जयंती के जुलूस के दौरान हिंसा। इस वर्ष बंगाल में रामनवमी शोभायात्रा पर बम फेंकने की घटना। ऐसे में बहराइच हिंसा के बाद हिंदुओं के त्यौहारों पर ऐसी घटनाएं नहीं होगी इसकी क्या गारंटी है? हिंदुओं को इन जिहादियों से सर्तक रहना होगा। क्या हरा झंडा उतारने पर किसी जान लेना उचित है? क्या मस्जिद और मुस्लिम बहुल इलाकों से हिंदुओं का जुलूस निकालना अपराध है? हिंदुओं की आस्था पर बार-बार प्रहार करने वालों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। इन्हें किसका संरक्षण प्राप्त है यह पता लगाकर उसे भी सजा देनी होगी। आखिर हर साल देश में बड़ी संख्या में ये जिहादी कैसे तैयार होते हैं? हिंदुओं के त्यौहारों से पूर्व इनके पास हथियार कहां से पहुंचते हैं? इसका भी पता लगाना बेहद जरूरी है, नहीं तो आने वाले समय में हिंदू अपने त्यौहार मनाने से भी डरेंगे।
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