इस्लामाबाद में चीन के दूतावास ने अपनी ओर से वहां काम कर रहे चीन के नागरिकों तथा संस्थानों को सावधान किया है कि अपनी सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार की ढिलाई न बरतें। परियोजनाओं पर काम करें लेकिन पहले अपनी सुरक्षा पुख्ता करें। चीनियों के लिए यह हैरान करने वाली घटना इसलिए भी है क्योंकि कराची में चीनियों पर इस प्रकार का यह पहला हमला नहीं है। चीन के वे इंजीनियर सिंध सूबे में निर्माणाधीन विद्युत परियोजना पर काम करने पहुंचे थे।
पाकिस्तान में एक बार फिर चीन के लोगों पर कहर बरपा है। बलूचिस्तान के विद्रोही गुट ने कराची के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास चीनी इंजीनियरों को ले जा रहे काफिले पर हमला बोलकर कम से कम दो चीनी इंजीनियरों की जान ले ली है और कई अन्य घायल हुए हैं। ताजा समाचार है कि इस फिदायीन हमले की जिम्मेदारी बलूच लिबेशन आर्मी की ‘माजिद’ नामक ब्रिगेड ने ली है। चीनी इंजीनियरों की जान जाने के समाचार से बीजिंग की त्योरियां चढ़ गई हैं, क्योंकि एक बार फिर साबित हुआ है कि चीन के नागरिकों की सुरक्षा करना जिन्ना के देश के बूते की बात नहीं रही है।
अभी तक की जानकारी के अनुसार, चीन के इंजीनियरों का एक दल कराची हवाई अड्डे पर उतरकर एक काफिले में अपने ठिकाने की ओर बढ़ा ही था कि जबरदस्त विस्फोट हुआ। बलूच विद्रोहियों की इस हरकत का कोई पूर्वानुमान भी न लगाया पाया। चीन के काफिले में विस्फोट से ऐसी अफरातफरी मची कि किसी को कुछ समझ आता उससे पहले, दो चीनियों ने अपनी जान गंवा दी थी।
कराची को पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कहा जाता है, इस दृष्टि से यह शहर सुरक्षित माना जाता रहा है। लेकिन अब इस हमले के बाद, सिंध सूबे के बड़े शहर कराची के प्रति चीन की दृष्टि में बदलाव आ सकता है। यहां बलूच विद्रोहियों द्वारा इस प्रकार की हरकत को अंजाम दिया जाएगा, यह चीन ने शायद सोचा नहीं होगा।
हमले की खबर से बीजिंग बौखलाया हुआ है। पाकिस्तान स्थित चीनी दूतावास ने हमले को आतंकवादी घटना बताते हुए तीखी भर्त्सना की है। चीन की ओर से इस ‘आतंकवादी हमले’ की गहन जांच की मांग की गई है और पाकिस्तान की सरकार को फरमान जैसा दिया गया है कि घटना में शामिल पाए जाने वाले अपराधियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।
कम्युनिस्ट ड्रैगन ने एक बार फिर देखा है कि जिन्ना के उस देश में उसके नागरिक सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि उसकी सुरक्षा व्यवस्था बेहद लचर है। संभवत: इसलिए चीन ने फिर से पाकिस्तान सरकार को चेताया है कि चीनी नागरिकों और ‘सीपैक’ परियोजनाओं के तहत चल रहे उसके निर्माण कार्यों को ‘फूलप्रूफ’ कवच मिले। इसके लिए जो भी प्रयास किए जाने हैं वे किए जाएं।
इधर इस्लामाबाद में चीन के दूतावास ने अपनी ओर से वहां काम कर रहे चीन के नागरिकों तथा संस्थानों को सावधान किया है कि अपनी सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार की ढिलाई न बरतें। परियोजनाओं पर काम करें लेकिन पहले अपनी सुरक्षा पुख्ता करें। चीनियों के लिए यह हैरान करने वाली घटना इसलिए भी है क्योंकि कराची में चीनियों पर इस प्रकार का यह पहला हमला नहीं है। चीन के वे इंजीनियर सिंध सूबे में निर्माणाधीन विद्युत परियोजना पर काम करने पहुंचे थे।
इस फिदायीन हमने के बाद बलूच लिबरेशन आर्मी ने बयान जारी किया। उसमें लिखा कि चीनी इंजीनियरों के काफिले के हवाई अड्डे से निकलने के बाद, फिदायीन हमला बोलते हुए विस्फोटक से लदी एक गाड़ी में धमाका किया गया जिसमें चीन के इंजीनियर मारे गए। बलूच गुट के अनुसार, इस घटना में चीनी इंजीनियर ही नहीं, पाकिस्तान के कुछ सुरक्षाकर्मी भी मरे हैं।
जानकारी मिली है कि 6 अक्तूबर की रात को करीब 11 बजे चीन से कुल 40 लोग कराची हवाई अड्डे पर उतरे थे। उसके फौरन बाद जब उन्हें लेकर काफिला निकला, उस वक्त यह हमला बोला गया। बेशक, इस हमले से ‘सीपैक’ परियोजना के प्रति बलूचों की नाराजगी फिर से उजागर हुई है। लेकिन इससे चीन भी और सतर्क हुआ होगा, जो पहले भी अपने नागरिकों और परियोजनाओं की सुरक्षा के लिए अपने सैनिक भेजने की पेशकश कर चुका है।
‘सीपैक’ परियोजना के तहत बलूचिस्तान के इलाके में अनेक कार्य चल रहे हैं। चीन के इसमें 60 अरब डॉलर लगे हैं। बलूचिस्तान का क्षेत्र गैस और खनिजों से भरपूर है और बलूचों का विरोध चीन द्वारा उनके संसाधनों के अकूत दोहन को लेकर है। बलूच विद्रोही गुट ने पहले भी कई हमले किए हैं और आम बलूचों ने धरने, विरोध प्रदर्शन आदि के जरिए अपनी नाराजगी जताई है। लेकिन उसे अनदेखा करते हुए चीन अपने बाजार के विस्तार के लिए उस क्षेत्र में अपना स्वार्थ साधने में लगा है।
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