पूरे देश में शारदीय नवरात्रि की धूम है। देश भर में माता के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है। खासतौर से उत्तराखंड के देवभूमि में स्थित नैना देवी मंदिर, जो अपनी अद्भुत शक्तियों और पौराणिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, श्रद्धालुओं का प्रमुख आकर्षण बना हुआ है। नैनीताल में स्थित यह मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है।
इस मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती का मृत देह लेकर कैलाश की ओर जा रहे थे, तो माता सती की बाईं आंख इसी स्थान पर गिरी थी। इसके बाद यहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई और यह स्थान नैना देवी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां मां के नेत्र रूप में पूजा की जाती है। भक्तों का मानना है कि देवी के दर्शन मात्र से नेत्र रोगों का उपचार हो जाता है और सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएं अवश्य पूरी होती हैं।
नैना देवी मंदिर का पौराणिक इतिहास और महत्व
नैना देवी मंदिर का उल्लेख हिंदू धार्मिक ग्रंथों में मिलता है और इसका विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह देवी सती के शक्तिपीठों में से एक है। 51 शक्तिपीठ वे पवित्र स्थल हैं, जहां-जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे। नैना देवी मंदिर में देवी सती की आंखें गिरी थीं, और इसलिए यहां देवी की आंखों के रूप में पूजा की जाती है।
मंदिर की धार्मिक मान्यता के अनुसार, नैना देवी के दर्शन मात्र से भक्तों की आंखों से संबंधित सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। यही कारण है कि यहां हर साल देशभर से लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। नवरात्रि के दौरान तो इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है, जब लोग विशेष पूजा-अर्चना के लिए यहां आते हैं। नैना देवी मंदिर में साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है, लेकिन नवरात्रि और अन्य प्रमुख त्यौहारों पर यहां का माहौल और भी भव्य हो जाता है। मंदिर में अनुष्ठान, हवन, और विशेष पूजा-पाठ का आयोजन होता है, और भक्तों की अपार आस्था यहां देखने को मिलती है।
यह मंदिर नैनीताल के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, और यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो नैनीताल से लगभग 34 किलोमीटर की दूरी पर है। काठगोदाम से नैनीताल के लिए टैक्सी और बसें नियमित रूप से चलती हैं।
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