मेले बस्तर के लोगों के जीवन का अभिन्न अंग हैं। 20 मार्च, 2019 को मेला देखने के लिए 27 वर्षीय राजाराम अवलम गाड़ी में अपने परिवार के 9 सदस्यों को लेकर घर से निकले थे। इनमें उनकी पत्नी निकिता, मंगली और गुट्टाराम अवलम भी थे। बीजापुर जिले के कडेर गांव के रहने वाले राजाराम ने बताया कि रास्ते में एक जगह नक्सलियों ने आईईडी लगा रखी थी।
अचानक जोर का धमाका हुआ और उनकी गाड़ी पलट गई। गनीमत रही कि गाड़ी के एक तरफ के पहिए के नीचे धमाका हुआ, इसलिए गाड़ी हवा में उछल कर पलट गई। सौभाग्य से किसी की जान नहीं गई।
परिवार के सभी सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। निकिता की आंख के पास कांच का टुकड़ा धंस गया, सिर में गंभीर चोट लगी। आज भी उन्हें सिर में दबाव-सा महसूस होता है। मंगली की कमर, बाएं कंधे और दाए पैर के घुटने में चोट आई।
आज भी वे बिना सहारा लिए काम नहीं कर पातीं। शरीर में दर्द रहता है, जिसके लिए दवाएं खाती हैं। राजाराम बायां हाथ टूट गया, जिसमें रॉड लगवानी पड़ी। इस हादसे में उनके ऊपर के सारे दांत भी टूट गए।
आज स्थिति यह है कि राजाराम अवलम न तो गाड़ी चला सकते हैं, न ही खेती कर सकते हैं। गुट्टाराम कहते हैं कि पीठ में गंभीर चोट के बाद वे मेहनत का कोई काम नहीं कर पाते हैं। उस हादसे ने परिवार की आर्थिक स्थिति को बदतर बना दिया।
आईईडी विस्फोट ने जीवन में किया अंधेरा
जिला बीजापुर के नीलाकांकेर की रहने वाली 50 वर्षीया काका रामबाई तेंदुपत्ता इकट्ठा करके अपने परिवार की जीविका चलाती थीं। हाल ही में नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी विस्फोट में वह गंभीर रूप से घायल होकर दिव्यांग हो गईं। तेंदुपत्ता बस्तर क्षेत्र के वनवासी समाज के लिए एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक वनोपज है।
काका रामबाई जैसी महिलाएं तेंदुपत्ता संग्रह करके अपनी आजीविका चलाती हैं। वर्ष में नियत समय पर जब महिलाएं तेंदुपत्ता तोड़ने के लिए जंगल जाती हैं, प्रदेश सरकार उन्हें प्रोत्साहन स्वरूप बोनस प्रदान करती है। इसी बोनस के लिए रामबाई अपने गांव की अन्य महिलाओं के साथ उसूर गई थीं।
लौटते समय अनजाने में उन्होंने अपना पैर नक्सलियों द्वारा सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए लगाए गए आईईडी पर रख दिया। पैर हटाते ही धमाका हुआ। इस हादसे में रामबाई के पैर गंभीर रूप जख्मी हो गए। उनकी बार्इं आंख पूरी पूरी तरह खराब हो गई। दायीं आंख से भी न के बराबर दिखाई देता है।
काका रामबाई के लिए यह दुर्घटना न केवल शारीरिक नुकसान लेकर आई है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति को भी इसने बुरी तरह प्रभावित किया है। अब रामबाई जीवन भर के दूसरों पर निर्भर हो गई हैं। नक्सलियों के आतंक ने उनकी रोजी-रोटी छीन ली। इस कारण उनका परिवार अब गंभीर आर्थिक संकट में फंस गया है।
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