रिकेश्वर वैष्णव नक्सली नृशंसता के ताजा शिकार हैं। वे बस्तर जिले के बड़े आमाबाल इलाके के रहने वाले हैं और कंस्ट्रक्शन का कार्य करते हैं। कमारगुड़ा से जगरगुण्डा के बीच सड़क निर्माण कार्य चल रहा था। सड़क का डामरीकरण चल रहा था, जिसमें रिकेश्वर और उनके साथी भी काम कर रहे थे।
कुछ समय पहले तक जगरगुण्डा को नक्सलियों का मजबूत गढ़ माना जाता था। लेकिन सुरक्षाबलों के सघन अभियान के कारण अब इस क्षेत्र से माओवादियों के पैर उखड़ने लगे हैं। इलाके से नक्सलियों को खदेड़ने के बाद विकास कार्यों में तेजी आई है।
इन सब कारणों से नक्सली बुरी तरह बौखलाए हुए हैं। इसलिए अपना खोया हुआ गढ़ फिर से पाने के लिए नक्सली आए दिन हिंसक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं ताकि स्थानीय लोगों के मन में खौफ पैदा कर सकें। 10 अप्रैल, 2024 को इसी खीझ में नक्सलियों ने रिकेश्वर और उनके साथ काम कर रहे लोगों को निशाना बनाया।
नक्सलियों ने निर्माणाधीन सड़क पर आईईडी लगा रखा था। सड़क निर्माण में लगे रिकेश्वर इससे बिल्कुल अंजान थे। काम के दौरान आईईडी धमाका हुआ, जिसकी चपेट में रिकेश्वर और उनके साथ काम करने वाले लोग आ गए।
रिकेश्वर बुरी तरह घायल हो गए। उनकी बाईं आंख की रोशनी हमेशा के लिए चली गई। उनके दोनों हाथों कमर, छाती, गर्दन में भी गंभीर चोटें आईं। उनके साथ काम कर रहे अन्य लोगों को भी गंभीर चोटें आईं। हालांकि वे भाग्यशाली थे, इसलिए बच गए।
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