पेजर धमाकों के बाद से, ईरान के सुरक्षा बलों ने वॉकी टॉकी, पेजर के अलावा संचार के आधुनिक उपकरणों से तौबा कर ली है और जब भी वे किसी लैपटाप आदि का प्रयोग करते हैं तो उन्होंने अनजान भय घेरे रहता है। हिजबुल्लाह ही नहीं, लेबनान और ईरान का यही मानना है कि उन विस्फोटों के पीछे इस्राएल की सेना ही थी।
इस्राएल ने हिज्बुल्ला चीफ हसन नसरल्लाह और उस आतंकी संगठन के अधिकांश शीर्ष कमांडरों को जिस प्रकार ठिकाने लगाया है उससे ईरान के शीर्ष शिया नेता अयातुल्ला अली खामेनेई कहीं जा दुबके हैं। उन्हें संभवत: यह डर सता रहा है कि इस्राएल की नजर अब उनकी ओर मुड़ेगी। इस बीच इस्राएल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कसम खाई है कि हमास की तरह हिज्बुल्लाह को भी जड़ से खत्म करेंगे।
ईरान के सर्वशक्तिमान सुरक्षाबल रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की चोटी की कमांडो यूनिट की निगरानी में खामेनेई किसी अज्ञात स्थान पर भेज दिए गए हैं और उनकी चौकसी चंद निष्ठावान फौजियों के हाथ में दे दी गई है।
इस्राएल ने अचूक निशाना साधते हुए लेबनान में छुपे बैठे हिजबुल्लाह सरगना हसन नसरल्लाह को ठिकाने क्या लगाया, लेबनान ही नहीं ईरान सहित अनेक मुस्लिम देशों और भारत में कुछ अलगाववादी प्रभाव वाले इलाकों में मातम पसर गया। ईरान में तो नसरल्लाह के आकाओं में ऐसी उथलपुथल मची कि आनन—फानन में अयातुल्ला खामेनेई को देश में ही किसी अज्ञात और सुरक्षित ठिकाने पर ले जाकर सुरक्षा चुस्त कर दी गई। इस्राएल के तकनीकी आधारित अचूक निशानों से ऐसा खौफ बैठ गया है कि ईरान में सियासी और कट्टरपंथी लोग अब पेजर, लेपटॉप, यहां तक कि मोबाइल का प्रयोग करने से भी घबरा रहे हैं।
लेकिन ईरान के सुरक्षा अधिकारियों ने जिस प्रकार खामेनेई तो छुपाया है उससे साफ पता चलता है कि इस्राएल और नेतन्याहू का भय उन पर किस हद तक व्याप्त है। ईरान को डर है कि कहीं अगला निशाना खामेनेई को ही न बनाया जाए।
लेबनान और हिज्बुल्लाह की बात करें तो इस्राएल के बम लगातार दोनों को निशाना बना रहे हैं। इस्राएल की वायुसेना के जंगी जहाजों ने लेबनान में भारी तबाही मचाई है। नसरल्लाह के मारे जाने की पुष्टि मात्र से ही इस्राएल का क्रोध कम नहीं हुआ है। खबर यह भी है कि उसने यमन के हूतियों को भी अब ’72 हूरों के पास’ पहुंचाने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
उधर पेजर धमाकों के बाद से, ईरान के सुरक्षा बलों ने वॉकी टॉकी, पेजर के अलावा संचार के आधुनिक उपकरणों से तौबा कर ली है और जब भी वे किसी लैपटाप आदि का प्रयोग करते हैं तो उन्होंने अनजान भय घेरे रहता है। हिजबुल्लाह ही नहीं, लेबनान और ईरान का यही मानना है कि उन विस्फोटों के पीछे इस्राएल की सेना ही थी। हालांकि इस बात पर अभी तक इस्राएली सेना की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।
सूत्रों की इस खबर पर भी विशेषज्ञ समीक्षा करने में लगे हैं कि अपने छुपे ठिकाने से ही खामेनेई और ईरान के नेता इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि नसरल्लाह की मौत के बाद आगे क्या किया जाना चाहिए। इस बीच ईरान के मीडिया में नसरल्लाह की मौत के बाद रिवोल्यूशनरी गार्ड के एक और कमांडर अब्बास निलफोरुशन के भी मारे जाने की बात सामने आई है।
ईरान भले नसरल्लाह की बुरी तरह हुई मौत पर इस्राएल को लेकर कितनी भी धमकियां देता दिख रहा हो, लेकिन असल इस्राएल की सामर्थ्य को देखकर भय उसे भी है। खामेनेई को गुप्त अड्डे में छुपा देना इस बात की पुष्टि करता है। हालांकि कुछ रक्षा विशेषज्ञ कहते हैं कि इस्राएल की गुप्तचर संस्था मोसाद के पास इस बात का पता लगाने की भी सामर्थ्य है कि खामेनेई को कहां छुपाया गया है। इस संदर्भ में यह तनाव क्या मोड़ ले सकता है, उससे मध्य एशिया में कई तरह की बातें चल रही हैं।
लेकिन, इधर चीन की ओर से इसी तनाव को देखते हुए नेतन्याहू से अपील की गई हैं कि मध्य एशिया में यह तनाव कहीं बड़ा रूप न ले ले, इसलिए इसे कम करने के प्रयास किए जाने चाहिए। बीजिंग ने इस बारे में बयान जारी करके मध्य एशिया में शांति कायम करने को कहा है।
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