देहरादून: दधीचि देहदान समिति द्वारा आयोजित तृतीय दधीचि यज्ञ/देहदानियों उत्सव में देहदान नेत्रदान के संकल्प को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रयास तेज किए जाने पर विचार विमर्श हुआ।
इसे भी पढ़ें: “सम्मान की सवारी” : रायवाला सैन्य स्टेशन की सराहनीय पहल, पूर्व सैनिकों और वीर नारियों से जुड़ने का अभियान
यहां एक सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सह क्षेत्रीय संपर्क प्रमुख श्री हरीश जी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में कई ऐसी विधाएं थीं, जिसकी वजह से ये विश्व गुरु के रूप में जाना गया। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में भी विश्व गुरु थे, उन्होंने बताया कि हमें महर्षि दधीचि के साथ-साथ राजा ययाति, शुक्राचार्य की पुत्री और भगवान विष्णु की कथाओं में नेत्रदान के उल्लेख मिलते हैं।
एम्स ऋषिकेश के ट्रांसप्लांट सर्जन डा कर्मवीर सिंह ने बताया कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने 1950 में सबसे पहले किडनी ट्रांसप्लांट किया उसके बाद से अंग प्रत्यारोपण को दुनिया भर में मान्यता और लोकप्रियता मिली। डा अतुल सिंह ने बताया कि देहरादून में अंग एवम ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (सोटो) की स्थापना हो चुकी है, शीघ्र ही देहदान अंग दान के लिए सभी सुविधाएं यहीं संपन्न कराई जा सकेंगी।
अभी चंडीगढ़ृ, दिल्ली इनके लिए जाना पड़ता था। दधीचि देहदान समिति के अध्यक्ष मुकेश गोयल ने बताया कि अभी तक देहदान के लिए 360 संकल्प लिए जा चुके हैं, समिति द्वारा इस संकल्प को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और इसमें सभी ही सहभागिता की जरूरत है। समिति के महासचिव नीरज पांडे ने बताया कि समिति द्वारा अभी तक 11 देहदान और 38 नेत्रदान कराए जा चुके हैं।
इसे भी पढ़ें: उत्तराखंड: विकासनगर यूजेवीएनएल की कॉलोनियों में बाहरी लोगों के अवैध कब्जे, अवैध कब्जों को मिला राजनीतिक संरक्षण
इस अवसर पर उद्योगपति राकेश ओबेरॉय ने भी अपने विचार रखे और अपने देहदान के संकल्प को दोहराया, कार्यक्रम में सूचना आयुक्त विवेक शर्मा, कृष्ण अरोरा, अतुल गुप्ता, गोपाल गर्ग, डा कृष्ण गोपाल, डा दिनेश रावत, दधीचि देहदान समिति के प्रेरक विजय जुनेजा आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
टिप्पणियाँ