नई दिल्ली| दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने अपने कार्यकाल की शुरुआत एक विवाद के साथ की। उन्होंने अपने मुख्यमंत्री कार्यालय में अरविंद केजरीवाल की कुर्सी खाली छोड़ दिया है। उस कुर्सी के बगल में अपने लिए एक छोटी कुर्सी लगाई है।
आतिशी ने कहा कि केजरीवाल की कुर्सी उनके लौटने का इंतजार करेगी। वह उसी तरह 4 महीने शासन चलाएंगी जिस तरह भरत ने खड़ाऊं रखकर अयोध्या का कामकाज संभाला था। आतिशी उस कुर्सी पर नहीं बैंठी जिस पर केजरीवाल बैठा करते थे। बल्कि उन्होंने उस कुर्सी के बगल में अपने लिए एक छोटी कुर्सी लगाई है।
भाजपा ने किया विरोध
भारतीय जनता पार्टी ने आतिशी के इस कदम को असंविधानिक बताया है। भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने तंज कसते हुए पूछा कि जो लेटर उन्होंने आतिशी को लिखा था क्या अब उसे कोई आत्मा पढ़ेगी? केजरीवाल कब, कैसे आएंगे यह तो बाद की बात है, लेकिन मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बावजुद आतिशी द्वारा कुर्सी को खाली छोडने का मतलब है कि वह खुद को मुख्यमंत्री नहीं मानती हैं।
तिवारी ने कहा कि एक मुख्यमंत्री कैसे कह सकता है कि हमारे ऊपर भी कोई है, मैं कठपुतली हूं। मैंने आतिशी को चिट्ठी में लिखा था कि हम चार महिनो में आपको पूरा समर्थन देंगे। वह कुर्सी पर आत्मा को बिठा रही हैं। यह बहुत गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की तुलना श्री राम से करना आपत्तिजनक है। वह कोई वनवास नहीं गए है, बल्कि अपने राजमहल में ही हैं।
बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने कथित शराब घोटाले में जमानत के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद आतिशी को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री घोषित किया गया है।
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