मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को क्लेम करने के लिए मुस्लिम पक्ष इतना अधिक अधीर है कि वह प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। जहां, पर सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को करारा झटका देते हुए तीखा सवाल किया कि क्या वह इलाहाबाद हाई कोर्ट के डिवीजन में सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती दे सकता है।
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मुस्लिम पक्ष को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मुस्लिम पक्ष को हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश पर कोई दिक्कत थी तो उसने डिवीजन बेंच में चुनौती देने के बजाय सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख क्यों किया। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम याचिकाकर्ताओं को पहले यही तय करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इस बात के भी संकेत दिए हैं कि वो याचिकाकर्ताओं के निर्णय के परिणाम आने तक 4 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में मामले पर सुनवाई करेगा।
हालांकि, इस दरमियां इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी। वहीं सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मथुरा के कथित शाही मस्जिद का प्रबंधन करने वाली शाही ईदगाह इंतेज़ामिया कमेटी ने एक बार फिर से 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का रोना रोया है। उसने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि पूजा स्थल अधिनियम को मस्जिद की कानूनी स्थिति में बदलाव से बचाने की जरूरत है।
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दरअसल, वर्ष 1991 में कांग्रेस सरकार के दौरान मुस्लिमों के अवैध कब्जों को संरक्षित करने के इरादे से लाया गया ये कानून पूजा स्थलों की धार्मिक स्थिति को उसी तरह बनाए रखता है, जैसा कि वे 15 अगस्त, 1947 को भारत की स्वतंत्रता की तिथि पर थे।
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