लखनऊ, (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के मामले में एटीएस-एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने 12 दोषियों को उमकैद की सजा सुनाई है। चार दोषियों को दस-दस वर्ष की सजा सुनाई है। उम्रकैद की सजा पाने वालों में मदरसा जामिया इमाम वलीउल्लह इस्लामिया का संचालक मौलाना कलीम सिद्दकी भी शामिल है। धर्मांतरण मामले में कुल 17 आरोपित थे। इसमें एक आरोपित इदरीश कुरैशी को हाईकोर्ट से स्टे मिल गया।
एटीएस के लोक अभियोजक एमके सिंह ने बताया कि एनआईए-एटीएस कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने अवैध रूप से मतांतरण का दोषी मानते हुए मंगलवार को फैसला सुरक्षित कर लिया था। बुधवार को सजा का ऐलान किया। इसी को ध्यान में रखते हुए कड़ी सुरक्षा में सभी दोषियों को कोर्ट में पेश किया गया। न्यायधीश ने अपना फैसला सुनाते हुए मो. उमर गौतम, सलालुद्दीन जैनुद्दीन शेख, मुफ्ती जहांगीर कासमी, इरफान शेख उर्फ इरफान खान, मौलाना कलीम सिद्दकी, भुप्रियबंदो मानकर उर्फ अरसलान मुस्तफा, प्रसाद रामेश्वर कांवरे, कौशर आलम, डॉ. फराज शाह, धीरज गोविंद, सरफराज अली जाफरी, अब्दुला उमर को उम कैद की सजा सुनाई है। वहीं, मन्नू यादव उर्फ अब्दुल, राहुल भोला राहुल अहमद, मो. सलीम, कुणाल अशोक चौधरी उर्फ आतिफ को दस-दस साल की सजा सुनाई गई है।
उल्लेखनीय है कि प्रलोभन देकर लोगों को धर्म परिवर्तन कराये जाने के मामले में एटीएस नोएडा यूनिट के दारोगा विनोद कुमार ने लखनऊ के गोमतीनगर थाना में 20 जून 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद मौलाना कलीम सिद्दकी, उमर गौतम समेत कई लोग गिरफ्तार भी किये गए। इनके खातों की जांच की गई और हाथ लगे कई साक्ष्यों से पता चला कि धर्म परिवर्तन के लिए विदेश से फंडिंग होती थी। इस्लामिक संस्था में आने वाले विदेशी फंडिंग से लोगों को लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन कराते थे।
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