देहरादून। लोकमाता अहिल्याबाई होलकर का तीन शताब्दियों पूर्व की लोक कल्याणकारी शासन व्यवस्था, न्यायप्रियता, उदार और सरल कर प्रणाली , सनातन धर्म के प्रति श्रद्धा ,राष्ट्र की एकता , समानता , रणक्षेत्र का शौर्य , शिक्षा , महिलाओं का सम्मान और अधिकार आज भी प्रासंगिक और आदर्श बनकर मार्ग दिखा रहें हैं। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख प्रदीप जोशी ने कही। वह देवी अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोहों के शुभारंभ पर नागरिक कार्यक्रम में विचार व्यक्त कर रहे थे ।
उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई का जीवनकार्य का प्रभाव प्रत्येक भारत के नागरिक का ,हर कालखंड का गौरव है। जो विलास और सुख सुविधाओं से भरपूर महलों का सुख भोग सकती थीं किन्तु उनका जीवन अपनी प्रजा के कल्याण को समर्पित आलौकिक सन्त का जीवन रहा । कानून का राज तभी स्थापित होता है जब कानून के सामने सब बराबर हों, न्यायपालिका स्वतंत्र हो और मानवाधिकारों का भी संरक्षण हो। श्रेष्ठ प्रशासक, श्रेष्ठ सेनानायक, संगठनकर्ता , राज्य को भगवान शिव को समर्पित कर जातीय अवरोध, असमानता , उत्पीड़न, अन्याय को कहीं आसपास आने नहीं दिया।
दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने त्रिशताब्दी समारोहों की भूमिका को रखते हुऐ बताया कि गोष्ठियां ,व्याख्यानों, साहित्य चर्चा के माध्यम से महिलाओं, सामाजिक संगठनों, विद्यार्थियों , शिक्षकों, राजनीतिज्ञों ,न्यायपालिका , अधिवक्ताओं , पत्रकारों, कलाकारों और जन सामान्य तक अहिल्याबाई होलकर जी का जीवन आदर्श पहुंचाना है।
कार्यक्रम में लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल द्वारा लिखी पुस्तक प्रात: स्मरणीय अहिल्या बाई का विमोचन हुआ। कार्यक्रम में प्रान्त प्रचारक डॉ शैलेन्द्र जी, सह प्रान्त प्रचारक चन्द्रशेखर, प्रान्त प्रचार प्रमुख संजयजी, महानगर संघ चालक चंद्रगुप्त जी , कैलाश मेलाना जी, विभाग प्रचारक धनंजय जी , प्रान्त व्यवस्था प्रमुख नीरज जी, पवन शर्मा , प्रान्त कार्यकारिणी सदस्य सुरेंद्र मित्तल जी, प्रान्त सामाजिक सद्भावना संयोजक राजेंद्र पंत, विभाग कार्यवाह अनिल नंदा , कृपा राम नौटियाल, डॉ अंजली वर्मा , रीता गोयल, विवेक शर्मा भारत जी , डॉ नरेंद्र जी , अरुण जी , सतेंद्र जी ,महेंद्रजी , दिनेश उपमन्यु , प्रेम चमोली बलदेव पराशर सहित सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी, शिक्षक, सामाजिक संगठनों के प्रमुख और साहित्यकार, लेखक उपस्थित रहे।
टिप्पणियाँ