नाटो गुट का सदस्य होने की वजह से तुर्किए की अमेरिका और यूरोप के कई मारक हथियारों और तकनीकों तक पहुंच आसान हो जाती है। उन्हीं तकनीकों से वह देश एक से एक मारक हथियार बनाकर छोटे देशों को बेच लेता है। तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन खुद को इस्लामी जगत का खलीफा साबित करने को बेताब हैं इसलिए पाकिस्तान सरीखे छोटे—मोटे इस्लामवादी देश को खुद रखकर अपने पाले में बनाए रखना उसे आगे रणनीतिक लाभ पहुंचा सकता है।
तुर्किए के राष्ट्रपति ने इस्लामी जगत के ‘खलीफा’ बनने की झोंक में पाकिस्तान की ‘बड़ी मदद’ की है। उसने पाकिस्तान की नौसेना को पीएनएस बाबर नाम का ऐसा युद्धपोत बनाकर दिया है जो हारी—थकी पाकिस्तानी सेना के हिसाब से ‘दुश्मन के छक्के’ छुड़ा देगा। लेकिन पाकिस्तान शायद नहीं जानता कि हथियार जितना धारदार होना चाहिए उससे कहीं ज्यादा धारदार उसे चलाने वाला हाथ होना चाहिए। पाकिस्तान की सेना चार बार भारत से बुरी तरह पिट चुकी है। तुर्किए ये उसे ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ के नाम पर मिले इस जहाज पर, बताते हैं, मारक क्रूज मिसाइलें लगी हैं तो टारपीडो भी कसे हैं। तुर्किए ने इस जहाज में यूरोपीय हथियार लगाए हैं। पाकिस्तान के अधकचरे विशेषज्ञ अपनी कमअक्ली दिखाते हुए अपनी भूखी—प्यासी जनता के सामने छाती चौड़ी करके यह बोलने की हिमाकत कर रहे हैं कि ‘अब भारत की खैर नहीं’।
‘बाबर’ ही नहीं, पाकिस्तान की नौसेना ने एक और युद्धपोत जुड़ा है पीएनएस हुनैन। ‘बाबर’ और ‘हुनैन’, दोनों जहाज कराची के बंदरगाह में शामिल किये गए। एक छोटा सा कार्यक्रम भी किया गया जिसे पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने संबोधित किया। पीएनएस बाबर बहुउद्देशीय युद्धपोत, जो तुर्किए का बना है, जबकि पीएनएस हुनैन रोमानिया का बना है।
युद्धपोतों को नौसेना से जोड़ते हुए पाकिस्तान के राष्ट्रपति का कहना था कि आज हिंद महासागर में नौसैना की शक्ति बढ़ाना जरूरी हो गया है। राष्ट्रपति जरदारी खुश हो रहे थे कि दोनों जहाजोंं पर अत्याधुनिक हथियार और उपकरण लगे हैं। इस मौके पर पाकिस्तानी नौसेना अध्यक्ष ने तुर्किए की खूब प्रशंसा की। उन्होंने उस देश की सेना के साथ उनके देश की सेना के रिश्तों को शानदार बताया। कार्यक्रम में तुर्किए के नेशनल डिफेंस देख रहे उप मंत्री खास तौर पर उपस्थित हुए थे।
हिन्द महासागर में पाकिस्तान अब अपने को ‘ताकतवर’ समझ रहा होगा। तुर्किए इस्लामी देश पाकिस्तान को हौसला देने में लगा है और कंगाली की कगार पर खड़ा वह देश झूठी शान में डूबकर चीन से कर्जे में मिला पैसा तुर्किए को दे रहा है। तुर्किए की मदद पाकर पाकिस्तान फूला नहीं समा रहा है। जिन्ना के देश के विश्लेषक कह रहे हैं कि ‘बाबर’ सेना के नजरिए से सब काम कर सकता है। एयर डिफेंस और सबमरीन डिफेंस, सबकी इसमें तैयारी है।
इस ‘बाबर’ में तुर्किए ने जो एयर डिफेंस सिस्टम लगाया है वह यूरोप की कंपनी ने बनाया है।हारबाह एंटी शिप और लैंड अटैक मिसाइलें हैं तो 6 एंटी शिप क्रूज मिसाइल भी लग सकती हैं। तुर्किए की बहुउद्देशीय कार्वेती अनेक प्रकार के अभियानों में भूमिका निभा सकती है जैसे, स्पाइंग, मॉनिटरिंग, एंटी सबमरीन जंग, सतह से सतह पर मार करना आदि।
तुर्किए और पाकिस्तान, दोनों इस्लामी होने के नाते से रक्षा क्षेत्र में बड़ा आपसीपन दिखाते आ रहे हैं। कई साझेदारियां चल रही हैं दोनों के बीच। पाकिस्तान वहां से ड्रोन खरीद चुका है। जल्दी ही तुर्किए पाकिस्तान को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान देने का सौदा कर सकता है। ये दोनों इस्लामी, तीसरे इस्लामी देश अजरबैजान को सहयोग देते हैं।
नाटो गुट का सदस्य होने की वजह से तुर्किए की अमेरिका और यूरोप के कई मारक हथियारों और तकनीकों तक पहुंच आसान हो जाती है। उन्हीं तकनीकों से वह देश एक से एक मारक हथियार बनाकर छोटे देशों को बेच लेता है। तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन खुद को इस्लामी जगत का खलीफा साबित करने को बेताब हैं इसलिए पाकिस्तान सरीखे छोटे—मोटे इस्लामवादी देश को खुद रखकर अपने पाले में बनाए रखना उसे आगे रणनीतिक लाभ पहुंचा सकता है।
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