मदरसा! आज के समय यह शब्द जैसे ही सुनाई पड़ता है। एक नकारात्मक तस्वीर उभरती है। मदरसा बना तो था मज़हबी तालीम के लिए मगर आज इन मदरसों में लड़कियों का शारीरिक शोषण हो रहा है। सहारनपुर में देवबंद के मदरसे तो जैसे आतंक की नर्सरी ही बन चुके हैं। बीते दशक में हर बड़ी आतंकी घटना में देवबंद के मदरसे की कोई ना कोई भूमिका अवश्य रही है। 2019 में रामपुर जनपद के थाना अजीमनगर अंतर्गत ‘वमा अहद जामिया दारूततालीबात’ नाम का मदरसा चल रहा था। इस मदरसे में कुछ बच्चियां भी तालीम लेने जाती थीं। पीड़ित बच्ची की उम्र महज 8 वर्ष थी। उसके साथ पिछले चार महीने से मदरसे का शिक्षक लगातार छेड़खानी कर रहा था। मदरसे के शिक्षक की छेड़–छाड़ से परेशान होकर पीड़ित बच्ची घर पर रोने लगी। उसके बाद इस घटना की जानकारी पीड़ित बच्ची की माँ हुई। इस घटना की जानकारी थाना अज़ीमनगर को दी गयी। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार कर लिया।
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मदरसे का संचालक रसोई घर में करता था शारीरिक शोषण
वर्ष 2018 के दिसंबर माह में, लखनऊ के मदरसे में बड़े पैमाने पर यौन शोषण का मामला प्रकाश में आया। मदरसा संचालक की हरकतों से तंग आकर लड़कियां शाम के समय रसोई घर में नहीं जाती थी। रसोई घर में ही संचालक लड़कियों से अभद्र व्यवहार करता था। जिन लड़कियों ने इसका विरोध करने का प्रयास किया, उन लडकियों के साथ संचालक मारपीट करता था।
मदरसे की लड़कियां इस कदर पीड़ित थीं कि एक दिन जब मदरसे के मालिक सैय्यद जिलानी मदरसे के संचालक से मिल कर निकल रहे थे तब लड़कियों ने शिकायती पत्र, पत्थर के टुकड़े में बांधकर उनके करीब फेंका। जब जिलानी ने उस शिकायती पत्र को पढ़ा तो हतप्रभ रह गए। सैय्यद जिलानी की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए पुलिस ने छापा मारा। सआदतगंज थाना अंतर्गत मदरसा-जामिया खादीजतुल कुबरा लिलबनात-पर छापे की कार्रवाई के बाद मदरसे में कुल 52 लड़कियां रिहा करायी गयीं।
मौके से संचालक तैय्यब जिया कारी को पुलिस ने गिरफ्तार किया। मदरसे में मिली 52 लड़कियों में से पहले 5 लड़कियों ने प्राथमिकी दर्ज कराई कि संचालक तैय्यब जिया कारी, उनके साथ मार पीट एवं अभद्र व्यवहार करता था। इसके बाद संचालक को जेल भेज दिया गया। एक लड़की इस कदर डरी हुई थी कि संचालक के जेल जाने के कुछ दिन बाद उसने बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराया। बलात्कार की पीड़ित छात्रा ने पुलिस को बताया था कि लगातार तीन वर्षो से संचालक उसका यौन शोषण कर रहा था। पीड़िता ने पुलिस को यह भी बताया था कि अभियुक्त उससे ऑफिस का काम कराता था और परीक्षा में उसको ज्यादा नंबर दिलवाता था।
आतंक की नर्सरी बना दारूल उलूम
सहारनपुर के देवबंद में दारूल उलूम इस्लामिक शिक्षा का बड़ा केंद्र है। दूर-दूर से मज़हबी शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्र वहां पर पहुंचते हैं। दारूल-उलूम में मज़हबी शिक्षा लेने के लिए छात्र अन्य इस्लामिक देशों से भी आते हैं। इसी वजह से देवबंद में अन्य मदरसे भी खुल गए। इन मदरसों में इस्लामिक शिक्षा की तालीम दी जाने लगी। धीरे–धीरे इन मदरसों में मज़हबी शिक्षा लेकर निकलने वाले छात्र आतंक की राह पकड़ने लगे। जैश–ए–मोहम्मद जैसे खतरनाक आतंकी संगठन के लिए देवबंद ‘साफ्ट टारगेट’ है। यहां के मदरसों में पढ़ रहे युवकों को आतंकी बनाना, उनके लिए ज्यादा आसान कार्य है।
बीते कुछ समय पर गौर किया जाय तो किसी भी बड़ी आतंकी घटना में शामिल आतंकियों में से किसी ना किसी का सम्बन्ध देवबंद से जरूर रहा है। अब मामला थोड़ा और आगे बढ़ गया है। यहां के मदरसों में मज़हबी शिक्षा लेकर आतंकी बनने के साथ ही, अब आतंकवादी, छात्र के भेष में छात्रावासों में शरण ले रहे हैं और अपने खतरनाक इरादों को अंजाम दे रहे हैं। वर्ष 2019 में गिरफ्तार किये गए दो आतंकवादी बिना दाखिला के मदरसे का छात्र बनकर छात्रावास में रह रहे थे। दोनों आतंकी वहां के नौजवानों को हिन्दुस्तान के खिलाफ भड़का कर उन्हें आतंकवादी बनाने के काम में लगे हुए थे। दोनों आतंकवादी, ब्रेनवाश करने की ट्रेनिंग ले कर आये थे। ये दोनों इस्लामिक सन्देश युवाओं को दे रहे थे। इस तरीके से समझाने की कोशिश कर रहे थे, ताकि उनके मन से मौत का डर भी समाप्त हो जाये।
दोनों आतंकी जम्मू–कश्मीर के रहने वाले थे। आकिब अहमद मलिक, पुलवामा जनपद के ठोकर मोहल्ला, चंदवामा का रहने वाला था और दूसरा आतंकवादी शाहनवाज तेली, कुलगाम जिले के नूनमई–यारीपुरा गावं का मूल निवासी था। ये दोनों देवबंद के मोहल्ला खानकाह स्थित नाज़ मंजिल छात्रावास में रह रहे थे। एटीएस ने इसी छात्रावास से इन दोनों को गिरफ्तार किया। इन दोनों के कब्जे से 30 कारतूस, दो पिस्टल, आतंकवादी गतिविधियों से सम्बंधित बातचीत का आडियो, वीडियो, एवं फोटो बरामद हुई। पूर्व पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने उस समय बताया था कि शाहनवाज़ तेली काफी समय से इस क्षेत्र में सक्रिय था और इसके इरादे बेहद खतरनाक थे। यह युवकों को भ्रमित करके आतंकवादी बनाने के काम में लगा हुआ था। यह भारत के खिलाफ नफरत फैला रहा था। इन दोनों आतंकियों का सम्बन्ध खतरनाक आतंकी संगठन जैश–ए मोहम्मद से है।
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बता दें कि वर्ष 2018 के दिसंबर माह में राष्ट्रीय जांच एजेंसी, दिल्ली पुलिस एवं उत्तर प्रदेश की एटीएस ने संयुक्त रूप से दिल्ली और उत्तर प्रदेश में 17 जगहों पर छापा मारा था और 10 आतंकियों को गिरफ्तार किया था। आतंकी देश में सीरियल बम विस्फोट करके पूरे देश में दहशत कायम करने की योजना बना रहे थे। जिन जगहों पर विस्फोट किए जाने की योजना थी, उसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कार्यालय, भाजपा कार्यालय, दिल्ली पुलिस मुख्यालय एवं बड़े नेताओं का नाम प्रमुख रूप से शामिल था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी, दिल्ली पुलिस एवं एटीएस ने संयुक्त रूप से छापा मार कर 12 पिस्टल, 25 किलोग्राम पोटैशियम नाइट्रेट, भारी मात्रा में कारतूस, 135 सिम कार्ड, 91 फोन, 3 लैपटाप, चाकू, तलवार, बम बनाने के लिए भारी मात्रा में पाइप, काफी संख्या में अलार्म घड़ी और नगद साढे सात लाख रूपये बरामद किये थे। इन आतंकियों के कब्जे से एक वीडियो बरामद किया था, जिसमें बम बनाने की विधि बताई गई थी।
RSS पर हमला की साजिश रचने वाला सुहैल भी देवबंद में रह चुका था
राष्ट्रीय जांच एजेंसी के पुलिस महानिरीक्षक आलोक मित्तल ने उस समय बताया था कि आतंकी संगठन का नाम हरकत–उल–हर्ब–ए–इस्लाम है। इस संगठन के लोग एक विदेशी हैंडलर के संपर्क में थे। ये लोग फिदायीन हमला करके पूरे देश में दहशत और आतंक कायम करना चाहते थे। शुरुआत में पैसों का इंतजाम नहीं हुआ था। इसके लिए एक आतंकी अनस ने अपने घर से गहने चोरी करके उसे 5 लाख रुपये में बेच दिया था और उस 5 लाख रुपये से विस्फोटक पदार्थ खरीदा था। ये लोग सोशल मीडिया के जरिये विदेशी हैंडलर से संपर्क करते थे।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ से साकिब इफ्तेकार, अमरोहा से दो सगे भाई रईस अहमद एवं सईद अहमद , मोहम्मद इरशाद एवं मुफ्ती सुहैल को गिरफ्तार किया गया था। अन्य पांच आतंकियों में दो सगे भाई जुबैर मलिक–ज़ैद मलिक, अनस युनुस, रशीद जफर एवं मोहम्मद आज़म को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। जांच में स्पष्ट हुआ था कि मुफ्ती सुहैल भी पहले देवबंद में रह चुका था।
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वर्ष 2019 की दो जनवरी को वसीम अहमद और एहसान कुरैशी को गिरफ्तार किया गया था। इन दोनों पर आरोप है कि बांग्लादेशी आतंकी युसूफ अली को देश से बाहर फरार कराने के लिए फर्जी पासपोर्ट बनाया था। ये दोनों भी देवबंद में पनाह लिए हुए थे। इंडियन मुजाहिदीन का शेख एजाज़ भी सहारनपुर में रहता था। एजाज़ को पुलिस ने सहारनपुर के रेलवे स्टेशन से वर्ष 2015 में गिरफ्तार किया था। वर्ष 2017 में मुजफ्फरनगर जनपद और देवबंद इलाके में फैजान सक्रिय था। फैजान बांग्लादेश में आतंकी संगठन से जुड़ा था। पुलिस की कार्रवाई की भनक लगते ही वह फरार हो गया था। अक्टूबर 2017 में कोलकाता पुलिस ने रज़ाउल रहमान को गिरफ्तार किया था। यह भी देवबंद में रह चुका था। वर्ष 2001 में अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला किया गया था। आतंकियों ने लोकसभा पर हमला किया था। उस हमले में जिस कार का प्रयोग किया गया था। वह कार सहारनपुर की थी। लोकसभा पर हमले में आतंकी संगठन जैश – ए –मोहम्मद का हाथ था।
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