इस्लामी देशों से आए ‘शरणार्थियों’ ने जिस प्रकार की अराजकता फैलाई हुई है, हो न हो, उससे सतर्क रहने के प्रति आगाह करते हुए ट्रंप ने ताजा पोस्ट की है। कट्टरपंथी मुस्लिमों की ओर संकेत करते हुए उन्होंने काफी तीखे तेवर दिखाते हुए प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस पर निशाना साधा है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका की सुरक्षा और इसकी संस्कृति के रक्षण के कितने बड़े पैरोकार हैं वह उनके पिछले कार्यकाल में कई मुद्दों पर सामने आया था। मैक्सिको सीमा पर तारबंदी की बात हो या अमेरिका विरोधी अप्रवासियों से निपटने की, आतंकवाद के प्रायोजक पाकिस्तान को आर्थिक मदद रोकने का फैसला हो या चीन की चालाकियों के प्रति सतर्क करने के कदम, डोनाल्ड ट्रंप के सहालकार उनके ध्यान में ऐसे विषय लाते रहते हैं। हाल की उनकी सोशन मीडिया पोस्ट में भी उन्होंने भविष्य की एक भयावह, लेकिन तर्कपूर्ण तस्वीर पेश की है, जिसे लेकर सेकुलर लोग और मीडिया भले हायतौबा मचा रहे हों, लेकिन पश्चिम में जारी घटनाक्रमों को देखते हुए उनकी ‘चेतावनी’ हल्के में लेने जैसी तो नहीं ही है।
पश्चिमी देशों में अप्रवासियों, विशेषकर इस्लामी देशों से ‘उज्जवल भविष्य की चिंता’ में आए ‘शरणार्थियों’ ने जिस प्रकार की अराजकता फैलाई हुई है, हो न हो, उससे सतर्क रहने के प्रति आगाह करते हुए ट्रंप ने ताजा चर्चित पोस्ट की है। कट्टरपंथी मुस्लिमों की ओर संकेत करते हुए उन्होंने काफी तीखे तेवर दिखाते हुए प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस पर निशाना साधा है।
रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की इस सोशल मीडिया पोस्ट सीधे सीधे दुनियाभर में बढ़ते इस्लामी कट्टरपंथ से सचेत रहने को कहती है। यही वजह है उनकी यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हुई है और सेकुलरों को तीखी मिर्ची लग रही है। एक्स पर पूर्व राष्ट्रपति ने एक फोटो साझा की है, इस फोटो में मुस्लिम टोपी पहने लोग अमेरिका का झंडा जलाते दिख रहे हैं। फोटो को साझा करते हुए, ट्रंप उसके साथ लिखते हैं, ‘मिलिए, अपने नए पड़ोसियों से…यदि कमला चुनाव जीतीं तो यही सब होगा आपके पड़ोस में।’
राष्ट्रपति पद की डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस की छवि ‘शरणार्थियों के लिए नरम’ नेता वाली है। मुस्लिम प्रवासियों के संगठन भी उन्हें ही पद पर देखने के इच्छुक हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यदि वे जीतीं तो वे यहां खुलकर मनमानी कर पाएंगे। और ट्रंप ने तो यहां तक इशारा किया है कि ‘वे’ अमेरिका के झंडे को खुलेआम जलाने में भी नहीं हिचकेंगे।
आगामी नवंबर माह में अमेरिका के नए राष्ट्रपति का चुनाव होना है। इसमें अंतत: डोनाल्ड ट्रंप तथा कमला हैरिस के बीच सीधी टक्कर होनी तय हो चुकी है। उस देश में चुनाव प्रचार जोरशोर से जारी है। दोनों ही दलों के नेता और उम्मीदवार एक-दूसरे को आरोपों के निशाने पर ले रहे हैं। बयानबाजियां की जा रही हैं। इनसे विवाद खड़े हो रहे हैं।
पिछले दिनों ट्रंप की कमला हैरिस पर नस्लीय टिप्पणी को लेकर डेमोक्रेट्स ने खूब हल्ला मचाया था। गंभीर विवाद खड़ा हुआ था। लेकिन ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क, नार्वे और अनेक अन्य यूरोपीय देशों में मुस्लिम ‘शरणार्थियों’ के उत्पात और फिलिस्तीन के समर्थन में उपद्रव और आगजनी करने की घटनाएं लगातार जारी हैं। अमेरिकावासी भी अपने यहां ऐसे सब दृश्यों के दिखने से अनभिज्ञ नहीं हैं। ट्रंप का निशाना ठीक वहां है। भले उनकी पोस्ट पर हजारों लोग भड़के हैं, लेकिन गंभीरता से देखें तो पूर्व राष्ट्रपति ने वैश्विक परिस्थिति की एक झलक का संदर्भ लिया है।
ट्रंप की इस पोस्ट को भड़काने वाली बताते हुए, उन्हें अपने पद की मर्यादा बनाए रखने की बेमांगी सलाहें दी गई हैं। कहा गया है कि उन्हें इस प्रकार की पोस्ट शोभा नहीं देतीं। लेकिन ऐसा बोलने वाले या तो डेमोक्रेट समर्थक हैं या फिलिस्तीन का राग अलापने वाले इस्लामवादी ‘मानवाधिकारी’। अमेरिका का हित चाहने वाला शायद ही कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी देशों में घट रहे घटनाक्रमों से अनभिज्ञ नहीं है और वह जानता है कि इस्लामी आतंक के हस्तक किस हद तक जा सकते हैं। जार्ज सोरोस को वे बखूबी जानते हैं कि वह कितना बड़ा वामपंथी, जिहादी सोच का पोषक है।
जैसा पहले बताया, अमेरिका में अप्रवासी तथा मुसलमान अधिकांशत: डेमोक्रेटिक पार्टी के वोटबैंक माने जाते रहे हैं। अभी के चुनाव पूर्व सर्वेक्षण इन्हीं वोटों के दम पर कमला हैरिस का पलड़ा भारी दिखा रहे हैं और अपनी पोस्ट से ट्रंप ने ठीक उसी बिन्दु पर चोट की है। इसलिए उन ‘शरणार्थी’ मुस्लिमों को पीड़ा होनी स्वाभाविक है जो इस उम्मीद पर बैठे हैं कि हैरिस के जीतने पर वे जिस अपार्टमेंट, दुकान, मकान और प्रतिष्ठान को चाहेंगे उसे दबोच लेंगे, कोई कुछ बिगाड़ नहीं पाएगा। यूरोप के कई देशों में वे यही तो कर रहे हैं। विशेषकर ब्रिटेन के हालात तो बहुत ही खराब हैं।
आज एक आम मूल ब्रिटेनवासी घर से निकलने पर दो बार अपनी हिफाजत की चिंता करता है क्योंकि न जाने कब, कौन ‘शरणार्थी’ उसकी जान पर खतरा पैदा कर दे। अमेरिका में वह दिन न देखना पड़े, ट्रंप की पोस्ट उस खतरे की तरफ इशारा करती है।
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