रुबीना फ्रांसिस, भारतीय पैरा-शूटर, ने पैरालंपिक 2024 में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 फाइनल में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने कुल 22 शॉट लगाकर 211.1 का स्कोर हासिल किया, जिससे वह तीसरे स्थान पर रहीं। मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली रुबीना ने न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है।
शुरुआती जीवन और संघर्ष
रुबीना का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था, जहां सुविधाएं सीमित थीं। उनके पिता, साइमन फ्रांसिस, एक मैकेनिक थे, जो अपनी आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, रुबीना के शूटिंग के प्रति बढ़ते जुनून को पूरा करने के लिए संघर्ष करते रहे। शारीरिक अक्षमता से जूझने के बावजूद, रुबीना ने कभी भी इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उनके आत्मविश्वास और धैर्य ने उन्हें निशानेबाजी के क्षेत्र में कदम रखने के लिए प्रेरित किया। इस यात्रा में उनके परिवार का सहयोग और हौसला बढ़ाने वाली भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही।
गगन नारंग से मिली प्रेरणा
रुबीना के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया, जब उन्होंने भारतीय निशानेबाज गगन नारंग की सफलता की कहानी सुनी। गगन नारंग, जो ओलंपिक में भारत के लिए मेडल जीत चुके हैं, रुबीना के लिए प्रेरणा का स्रोत बने। उनके साहस और समर्पण ने रुबीना को यह विश्वास दिलाया कि वह भी अपने सपनों को साकार कर सकती हैं।
पैरालंपिक 2024 में ऐतिहासिक जीत
रुबीना ने पैरालंपिक 2024 में 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत के लिए गर्व का क्षण बनाया। यह जीत केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय है। उनकी यह उपलब्धि उनके अथक परिश्रम, दृढ़ता, और अनुशासन का परिणाम है। रुबीना मध्य प्रदेश शूटिंग अकादमी में पिस्टल शूटिंग की ट्रेनिंग लेती हैं, और उनकी शूटिंग यात्रा 2015 में शुरू हुई थी।
रिकेट्स और दिव्यांगता के साथ संघर्ष
25 वर्षीय रुबीना रिकेट्स नामक बीमारी से पीड़ित हैं, जिससे उनके पैर 40 प्रतिशत तक दिव्यांग हो चुके हैं। रिकेट्स एक ऐसी बीमारी है जो बच्चों में हड्डियों के विकास को प्रभावित करती है, जिससे हड्डियों में दर्द और कमजोरी होती है, और विकृति भी आ सकती है। इस शारीरिक चुनौती के बावजूद, रुबीना ने अपनी स्थिति को कभी भी अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया। उनके इस संघर्ष ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से और भी मजबूत बना दिया।
कोचिंग और करियर
रुबीना का चयन एमपी शूटिंग अकादमी में हुआ, जहां प्रसिद्ध कोच जसपाल राणा के मार्गदर्शन में उनके हुनर को निखारा गया और उन्होंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता। उनके करियर में महत्वपूर्ण मोड़ 2018 में फ्रांस विश्व कप के दौरान आया, जहां उन्होंने पैरालिंपिक कोटा हासिल किया।
टोक्यो पैरालंपिक का सफर
2019 में, पूर्णत्व एकेडमी ऑफ स्पोर्ट्स शूटिंग ने रुबीना की क्षमता को पहचाना और मुख्य कोच सुभाष राणा के मार्गदर्शन में उनके शूटिंग कौशल में और भी अधिक सुधार हुआ। इस दौरान, उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते और विश्व रिकॉर्ड भी बनाए। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि लीमा 2021 विश्व कप में मिली, जहां उन्होंने P2 श्रेणी में पैरालिंपिक कोटा हासिल किया, जिससे उन्हें 2020 टोक्यो पैरालंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला।
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