पेरिस ओलंपिक : “समय आ गया है”, थोड़े और की जरूरत है
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम खेल

पेरिस ओलंपिक : “समय आ गया है”, थोड़े और की जरूरत है

ऐसा पहली बार देखने को मिला कि विश्व खेल पटल पर भारत की दावेदारी को पूरी गंभीरता से लिया गया और विपक्षियों ने माना कि भारतीय खिलाड़ी या टीम उसके हकदार हैं।

by प्रवीण सिन्हा
Aug 22, 2024, 06:14 pm IST
in खेल
ओलंपिक में भारत के खिलाड़ी स्वर्णिम अध्याय लिख रहे हैं।

ओलंपिक में भारत के खिलाड़ी स्वर्णिम अध्याय लिख रहे हैं।

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

“समय आ गया है”- स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक के खेलगांव में पहुंचने के बाद यही पहला संदेश लिखा था भारतीय दल के लिए। नीरज को पता था कि उनकी स्पर्धा अभी शुरू नहीं हुई है, उन्हें यह भी आभास था कि बैडमिंटन और मुक्केबाजी जैसी स्पर्धाओं में भारत को निराशा ही हाथ लगी थी, फिर भी विश्वास इतना था कि भारतीय दल में मनु भाकर जैसे भी कुछ खिलाड़ी हैं जो ऐतिहासिक सफलता हासिल करने का माद्दा रखते हैं। ओलंपिक समाप्त होने के बाद अंदाजा लगा कि कितना सही विश्वास था चैंपियन खिलाड़ी का। हम भले ही 2020 टोक्यो ओलंपिक के कुल पदकों की संख्या (एक स्वर्ण सहित सात) से एक कदम पीछे रह गए, लेकिन जो छह पदक जीते उनमें से हर एक पदक ने इतिहास रचा। ऐसा पहली बार देखने को मिला कि विश्व खेल पटल पर भारत की दावेदारी को पूरी गंभीरता से लिया गया और विपक्षियों ने माना कि भारतीय खिलाड़ी या टीम उसके हकदार हैं। उसके अलावा जो छह पदक चौथे स्थान पर रहते हुए मिलीमीटर से या बेहद नजदीकी मुकाबले में चूके, उन्हें हम एक झटके में खारिज कैसे कर सकते हैं ?

यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है क्योंकि कई खेलप्रेमी या खेल विशेषज्ञों ने पेरिस ओलंपिक में देश की सफलता पर खुशियां मनाने की जगह विलाप किया कि इतनी बड़ी आबादी वाला देश पिछले टोक्यो ओलंपिक के पदकों की संख्या तक को पीछे नहीं छोड़ पाया या हम एक भी स्वर्ण पदक नहीं जीत सके। यह दुखद है। भारतीय खेल जगत की स्थिति और इतिहास का गहन अध्ययन करने से पहले कांग्रेस या ममता बनर्जी की तरह विलाप करते हुए आलोचनाओं का दौर शुरू कर देना कतई उचित नहीं है। बड़ी ही विनम्रता के साथ सवाल है कि ओलंपिक खेलों में सेकेंड के सौवें हिस्से से पदक चूक कर चौथे स्थान पर रहने वाले भारतीय एथलीटों में मिल्खा सिंह और पी टी ऊषा के अलावा अन्य किस एथलीट का उन्हें नाम याद है ? शायद उन तमाम हाय-तौबा मचाने वाले को याद नहीं होगा। लेकिन सिर्फ पेरिस ओलंपिक में छह-छह भारतीय खिलाड़ी या टीम अंतिम क्षणों में बेहद नजदीकी मुकाबले में पदक से चूक गए। ओलंपिक इतिहास के पदक विजेताओं की सूची में शामिल होने की दहलीज पर आकर वो पदक से चूक गए।

किसी ओलंपियन, किसी विशेषज्ञ से पूछिए – ये बहुत बड़ी उपलब्धि है। ओलंपिक खेलों में अगर जिन 217 देशों के खिलाड़ियों ने भाग लिया, उनमें से 86 देशों के खिलाड़ी पदक जीतने में सफल रहे। वो सारे पदक विजेता विश्व के श्रेष्ठ तीन स्थानों के लिए हाड़तोड़ प्रतिद्वंद्विता कर रहे थे। ओलंपिक में पदक जीतना हर खिलाड़ी का अंतिम सपना होता है। उनमें से अगर आप चौथे स्थान पर रहते हैं तो ऐसा नहीं है कि राह चलते कोई भी आपकी मेहनत, प्रतिभा, संकल्प, त्याग या इच्छाशक्ति पर सवाल उठाना शुरू कर दे। खेलप्रेमियों को याद होगा कि 1980 मास्को ओलंपिक (जिसका अमेरिका सहित शीर्ष देशों ने बहिष्कार किया था) में एकमात्र हॉकी का स्वर्ण पदक जीतने के अलावा भारतीय दल ओलंपिक खेलों से खाली हाथ लौटने की परंपरा का निर्वहन कर रहा था। 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में के डी सिंह जाधव के कुश्ती में जीते कांस्य पदक के अलावा सिर्फ हॉकी से आस रहती थी, वो भी 1978 में एस्ट्रो टर्फ आने के बाद धूमिल होती चली गयी। अंततः 1992 बार्सिलोना ओलंपिक में भारतीय दल के हमेशा की तरह खाली हाथ लौटने पर महान एथलीट मिल्खा सिंह सहित तमाम खेलप्रेमियों ने आवाज उठानी शुरू कर दी कि महज भागीदारी के लिए भारतीय दल को ओलंपिक खेलों में भेजे जाने पर रोक लगा देनी चाहिए।

भारतीय खिलाड़ियों के पदक के दावेदारों की सूची में भी न आना शर्मनाक स्थिति थी। भारतीय खेल जगत पर लगते प्रश्नचिन्ह का असर अगले 1996 अटलांटा ओलंपिक में ही दिख गया जब लिएंडर पेस ने टेनिस में कांस्य पदक जीत पदकों का सूखा समाप्त किया। अब स्थिति यह है कि 1996 के बाद हर ओलंपिक खेलों में भारत के खिलाड़ी किसी न किसी स्पर्धा में पदक जीतने में जरूर सफल रहे हैं। और सबसे बड़ी बात यह रही कि हर पदक भारतीय ओलंपिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता आया। उन ऐतिहासिक उपलब्धियों का दौर 2024 पेरिस ओलंपिक में भी जारी रहा। उस स्थिति में “नया भारत” के नए नायकों का हमें सम्मान करना चाहिए क्योंकि उन्हीं की बदौलत विश्व खेल पटल पर अलग-अलग स्पर्धाओं में नित नया आयाम स्थापित किया जा रहा है। रातों-रात अमेरिका, चीन, जापान, आस्ट्रेलिया या जर्मनी जैसी खेल महाशक्तियों को पछाड़कर भारतीय खिलाड़ी शीर्ष पर नहीं आ सकते हैं। इसके लिए सतत प्रयास और अथक परिश्रम की जरूरत पड़ती है। भारतीय खेल जगत निरंतर विकास की ओर अग्रसर है। समस्या ये है कि भारतीय सरकार इन शीर्ष देशों को टक्कर देते हुए ओलंपिक पोडियम पर पहुंचने के लिए अपने खिलाड़ियों को जितना प्रोत्साहन, आर्थिक मदद और सुविधाएं दे रही है, उस दौरान विकसित खेल महाशक्ति खेलों का स्तर थोड़ा और ऊंचा उठा देती है। इसका सीधा सा तात्पर्य है कि खेल महाशक्तियों से साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए भारतीय खेल जगत निरंतर प्रयासरत है और दिन-ब-दिन विकास की राह पर अग्रसर है। इसलिए पेरिस ओलंपिक में भारत को मिली सफलता और निरंतर विकास व विस्तार की ओर कदम बढ़ाए जाने की सराहना करनी चाहिए। ओलंपिक ऑर्डर का सम्मान पाने वाले स्टार शूटर अभिनव बिंद्रा ने भी कहा – “पेरिस ओलंपिक के दौरान मैंने सभी भारतीय खिलाड़ियों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का जो जुनून देखा वह अद्भुत है। परिणाम के साथ प्रयासों को देखा जाए तो भारतीय दल का प्रदर्शन सराहनीय रहा। यहां तक कि टोक्यो ओलंपिक से भी बेहतर।” ओलंपिक खेलों में देश के लिए पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा अगर भारतीय खेल जगह के बढ़ते कदम की सराहना करते हैं तो बखूबी समझा जा सकता है कि ओलंपिक खेलों में देश के लिए दूसरा व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा ने पूरे विश्वास के साथ क्यों कहा था – “समय आ गया है।”

 

ओलंपिक में भारत के पदक विजेता

नाम                        -स्पर्धा      पदक   वर्ष
केडी सिंह जाधव       कुश्ती      कांस्य     1952 हेलसिंकी
लिएंडर पेस             टेनिस       कांस्य     1996 अटलांटा
कर्णम मल्लेश्वरी       भारोत्तोलन  कांस्य    2000 सिडनी
राज्यवर्धन राठौर     शूटिंग        रजत      2004 एथेंस
अभिनव बिंद्रा         शूटिंग         स्वर्ण       2008 बीजिंग
सुशील कुमार         कुश्ती        कांस्य      2008 बीजिंग
विजेंदर सिंह          मुक्केबाजी   कांस्य      2008 बीजिंग
सुशील कुमार        कुश्ती         रजत        2012 लंदन
विजय कुमार         शूटिंग          रजत        2012 लंदन
गगन नारंग           शूटिंग           कांस्य      2012 लंदन
योगेश्वर दत्त           कुश्ती            कांस्य    2012 लंदन
सायना नेहवाल      बैडमिंटन       कांस्य     2012 लंदन
एम सी मैरीकॉम     मुक्केबाजी   कांस्य       2012 लंदन
पी वी सिंधू            बैडमिंटन      रजत        2016 रियो
साक्षी मलिक        कुश्ती          कांस्य       2016 रियो
नीरज चोपड़ा       एथलेटिक्स    स्वर्ण        2020 टोक्यो
रवि दहिया          कुश्ती           रजत       2020 टोक्यो
मीराबाई चानू      भारोत्तोलन     रजत       2020 टोक्यो
पी वी सिंधू          बैडमिंटन      कांस्य       2020 टोक्यो
बजरंग पूनिया      कुश्ती          कांस्य       2020 टोक्यो
लवलीना बोर्गोहेन  मुक्केबाजी   कांस्य      2020 टोक्यो
पुरुष टीम            हॉकी          कांस्य       2020 टोक्यो

Topics: ओलंपिक गेम्स 2024ओलंपिक में भारत
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Neeraj Chopra Olympics

पेरिस ओलंपिक: भारत के ‘ध्रुव तारा’ हैं नीरज चोपड़ा,  व्यक्तिगत स्पर्धा में जीत चुके हैं एक स्वर्ण व एक रजत पदक

अमन सहरावत

Breaking Paris Olympics 2024 : भारत को एक और मेडल, कुश्ती में अमन सहरावत ने जीता कांस्य पदक

नीरज चोपड़ा

Paris Olympics : नीरज चोपड़ा ने रजत पदक पर लगाया निशाना, भारत की झोली में आया सिल्वर

श्रीजेश को यादगार विदाई देते साथी खिलाड़ी

मेडल के साथ श्रीजेश ने हॉकी से लिया सन्यास, आखिरी मैच में भी दीवार की तरह डटे रहे, साथियों ने दी यादगार विदाई

पेरिस ओलंपिक 2024: विनेश फोगाट को मिल सकता है सिल्वर मेडल

India vs Spain Hockey : भारत ने ओलंपिक में लहराया तिरंगा, हॉकी में जीता मेडल

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies