तहरीके लब्बैक पाकिस्तान के नेता पीर जहीरुल हसन शाह ने खुद ईनाम की घोषणा की है। उसने घोषणा करते हुए कहा कि ‘एक मोमिन तथा पैगम्बर मोहम्मद के गुलाम के नाते मैं घोषणा करता हूं कि फैज ईसा का सिर कलम करने वाले को मैं 1 करोड़ रुपए दूंगा।’
पाकिस्तान में इस समय अजीब उथलपुथल के हालात बने हुए हैं। वहां सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को दुनिया से विदा करने का उन्माद पाले हजारों मजहबी उन्मादी न्यायालय परिसर में जा घुसे हैं। उन्मादियों की भीड़ मुख्य न्यायाधीश के उस फैसले से नाराज हैं जिसमें ईशनिंदा के एक आरोपी को बरी किया गया था।
जिस व्यक्ति को ईशनिंदा के ‘अपराध’ में बरी किया गया है वह अहमदिया समुदाय से आता है इसलिए इस्लामी कट्टरपंथियों के लिए वह मुसलमान नहीं है। पाकिस्तान में सुन्नी शायद नहीं जानते कि इसी अहमदिया समुदाय के योगदान से पाकिस्तान का गठन संभव हुआ था। लेकिन 1974 में एक कानून बनाकर उनके बनाए जिन्ना के देश में उनको ही गैर-मुस्लिम ठहराजा जा चुका है।
इस्लामी उन्मादियों की भीड़ मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति काजी फैज ईसा के नाम तक से इतनी आगबबूला है कि उनको मारने वाले के लिए एक करोड़ रु. के ईनाम की घोषणा कर दी गई है। उन्होंने मुबारक अहमद सानी नाम के एक अहमदिया नागरिक को ‘ईशनिंदा’ के ‘जुर्म’ में बरी करने वाला फैसला सुनाया था। न्यायमूर्ति ईसा ने इसके पीछे ‘मजहबी स्वतंत्रता के अधिकार’ का हवाला देते हुए का था कि उसने ‘ईशनिंदा’ का अपराध नहीं किया।
लेकिन कट्टरपंथी इस फैसले को कहां मानने वाले थे। देखते ही देखते सर्वोच्च न्यायालय को हजारों उन्मादियों की भीड़ ने घेर लिया है और न्यायालय परिसर में दाखिल होकर उग्र प्रदर्शन करते हुए मुख्य न्यायाधीश से त्यागपत्र देने को कह रही है। हालांकि पुलिस भरसक कोशिश की कि कैसे भी पानी की बौछारों और लाठी चलाकर उनको परिसर से दूर हटाया जाए। लेकिन इसमें भीड़ का पलड़ा भारी दिखाई दिया।
पिछले साल देश के मुख्य न्यायाधीश बने न्यायमूर्ति फैज ईसा के सामने ईशनिंदा का यह मामला चला जिस पर इस साल फरवरी में उन्होंने ‘अपराधी’ को सजा दिए जाने पर रोक लगा दी थी। आगे इस मामले में 29 मई को सुनवाई पूरी हुई थी। हालांकि उन्होंने तब फैसला न सुनाते हुए उसे सुरक्षित रखा था। इस केस पर सुनवाई करने वाली पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा जस्टिस इरफान सआदत खान तथा जस्टिस नईम अख़्तर अफगान भी थे। यह पूरा मामला 2019 में ईशनिंदा के आरोप के साथ शुरू हुआ था। कहा गया था कि सानी ने अहमदिया समुदाय से संबंधित पर्चे बांटे। उसे ‘पंजाब होली कुरान (प्रिंटिंग एंड रिकॉर्डिंग) (एमेंडमेंट) एक्ट, 2021’ के तहत सजा सुनाई गई थी जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने रोक दिया था।
इसी मामले में गत 24 जुलाई को पंजाब सूबे की सरकार ने एक याचिका दायर की थी जिसे मुख्य न्यायाधीश ने स्वीकार किया था। कई अन्य कट्टर इस्लामी संस्थाओं की तरफ से भी याचिकाएं डालकर अपील की गई थी कि अदालत अपने निर्णय पर फिर से गौर करे। इन सब याचिकाओं पर परसों यानी 22 अगस्त को गौर किया जाना तय होने के बाद भी, आज इस्लामाबाद में इसी मामले को लेकर बड़े पैमाने पर उपद्रव किया गया। हजारों मजहबी उन्मादियों की भीड़ ने इस्लामाबाद में स्थित सर्वोच्च न्यायालय बेहद संवेदनशील क्षेत्र में जा घुसी और न्यायालय की इमारत के सामने घेरा डाल दिया।
यह उग्रता दरअसल कल उस समय भी दिखाई दी थी जब इस्लामिक उन्मादियों के जत्थों ने इस्लामाबाद के अति सुरक्षित क्षेत्र का उल्लंघन करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में घुसने की कोशिश की थी। मुख्य न्यायाधीश के सामने मांग की गई कि फौरन त्यागपत्र दे दें।
इस मामले के संबंध में तब मजहबी उन्मादियों को गुस्सा आ गया जब न्यायमूर्ति ईसा की पीठ ने यह कहते हुए सजा पर रोक लगाई थी कि ‘अपराधी’ को ऐसे कानून के तहत सजा दी है, जो 2021 से पहले था ही नहीं। यह कहकर सानी को जमानत दे दी गई और निर्णय दिया गया कि उसे फौरन रिहा किया जाए। यह सबर फैलते ही तहरीके लब्बैक पाकिस्तान तथा उस जैसे अन्य अनेक कट्टर इस्लामी संगठनों ने मुख्य न्यायाधीश के विरुद्ध नफरत भरा दुष्प्रचार अभियान छेड़ दिया।
यह कट्टरपंथी गुट तहरीके लब्बैक पाकिस्तान ही है जिसने मुख्य न्यायाधीश का सिर कलम करने वाले को एक करोड़ रु. ईनाम देने की घोषणा की है। इस संगठन के नेता पीर जहीरुल हसन शाह ने खुद ईनाम की घोषणा की है। उसने घोषणा करते हुए कहा कि ‘एक मोमिन तथा पैगम्बर मोहम्मद के गुलाम के नाते मैं घोषणा करता हूं कि फैज ईसा का सिर कलम करने वाले को मैं 1 करोड़ रुपए दूंगा।’
Radical Islamists attacking #Pakistan #SupremeCourt as part of protest against Chief Justice #Qazi Faez Isa who has been accused of #blasphemy. These were the scenes a few hours back. It threatens to worsen. A reward of Rs 1 cr (Pakistani) has been announced for killing him. pic.twitter.com/gV0wh2D9N7
— Ajay Kaul (@AjayKauljourno) August 19, 2024
खुद सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने यह उकसावे वाला वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है। तरार का कहना है कि ‘पाकिस्तान में इस जैसे बयानों की कोई जगह नहीं है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम ऐसे बयानों की कड़ी भर्त्सना करते हैं। ऐसी सोच पाकिस्तान को बहुत नुकसान पहुंचा रही है।’
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