पश्चिम बंगाल के कोलकाता के आर जी कर अस्पताल की जूनियर डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नेतृत्व में देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए अब केंद्र सरकार एक्शन में आ गई है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को जारी किए गए निर्देश में कहा है कि वह इस मामले की खुद ही निगरानी करेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सभी राज्यों को हर दो घंटे में कानून व्यवस्था की जानकारी केंद्र को देनी होगी। गृह मंत्रालय कंट्रोल रूम ऑफिसर मोहन चंद्र पंडित ने सभी राज्यों के डीजीपी को एक आदेश जारी किया गया है। इस आदेश में कहा गया है कि गृह मंत्रालय सभी राज्यों को हर दो घंटे में सिचुएशन रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैक्स करके बताना होगा।
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जारी किए गए निर्देश में केंद्र ने डॉक्टरों से हड़ताल को वापस लेने की अपील की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आश्वस्त किया है कि डॉक्टरों की मांग को लेकर एक कमेटी बनाई जाएगी। राज्य सरकारों से भी इस मामले में पूछताछ की जाएगी। इस बीच हड़ताल का नेतृत्व कर रहे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सभी कामकाज ठप है। हम स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी स्टेटमेंट की स्टडी कर रहे हैं।
क्या हैं आईएमए की मांगें
- डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए केंद्रीय कानून बने, जिसमें 2019 प्रस्तावित हॉस्पिटल प्रोटेक्शन बिल में एपेडमिक डिजीज एक्ट 1897 में 2023 में किए गए संशोधनों को शामिल किया जाए।
- अस्पतालों में एयरपोर्ट की ही तरह सुरक्षा प्रोटोकॉल हो। अस्पतालों को सेफ जोन घोषित करने की मांग।
- कोलकाता रेप-मर्डर की पीड़ित 36 घंटे से ड्यूटी पर थीं, इसलिए अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए आराम घर बनाने की मांग
- कोलकाता रेप मर्डर केस की एक तय सीमा में प्रोफेसनल की जांच की मांग।
- पीड़ित के परिवार को सम्मानजनक मुआवजा देने की मांग।
हड़ताल से देशभर में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित
मिली जानकारी में कहा गया है कि देशभर में डॉक्टरों की हड़ताल के कारण देशभर में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं। हालात ये हो गए हैं कि केवल राजधानी दिल्ली में ही प्रति दिन तकरीबन एक लाख से अधिक लोगों को बिना इलाज के ही अस्पतालों से वापस लौटना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि 200-250 लोगों की सर्जरी भी नहीं हो पा रही है। इस तरह से करीब एक सप्ताह के अंदर करीब 6 लाख लोगों को बिना इलाज के ही रहना पड़ रहा है।
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