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‘प्रकृति और संस्कृति के अनुसार हो शिक्षा’

भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित पाठ्यक्रमों की दिशा में विश्वविद्यालयों को शीघ्रता से प्रयास करना होगा। शिक्षा राष्ट्र की प्रकृति और संस्कृति के अनुसार होनी चाहिए। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस दिशा में महत्वपूर्ण दस्तावेज है।

by WEB DESK
Aug 10, 2024, 11:32 am IST
in संघ, धर्म-संस्कृति, शिक्षा, झारखण्‍ड
बैठक के दौरान अभाविप के पदाधिकारी

बैठक के दौरान अभाविप के पदाधिकारी

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गत 3-4 अगस्त तक गिरिडीह (झारखंड) में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) की केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक आयोजित हुई। इसका शुभारंभ अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजशरण शाही, राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल एवं राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

पहले दिन पूरे देश में आयोजित विद्यार्थी परिषद के प्रांत अभ्यास वर्गों के दौरान विभिन्न नए प्रयोगों, पर्यावरण गतिविधि से विद्यार्थियों को जोड़ने के लिए अभाविप के प्रयास, देश की वर्तमान शैक्षणिक तथा सामाजिक स्थिति, विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों आदि विषयों पर चर्चा हुई।

भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित पाठ्यक्रमों की दिशा में विश्वविद्यालयों को शीघ्रता से प्रयास करना होगा। शिक्षा राष्ट्र की प्रकृति और संस्कृति के अनुसार होनी चाहिए। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस दिशा में महत्वपूर्ण दस्तावेज है। – डॉ. राजशरण शाही

पर्यावरणीय गतिविधियों से युवाओं को जोड़ने के लिए विद्यार्थी परिषद निरंतर प्रयास कर रही है। – याज्ञवल्क्य शुक्ल 

पेरिस ओलंपिक में महिला मुक्केबाज मुकाबले के दौरान महिला वर्ग के अपमान का विषय भी प्रमुखता से उठा। दूसरे दिन विभिन्न सांगठनिक, पर्यावरणीय, सामाजिक, तकनीकी, खेल, स्वावलंबन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चिंतन हुआ। अभाविप की देशभर में विस्तारित इकाइयों द्वारा लिए गए अभियानों की संगठनात्मक समीक्षा व शिक्षा क्षेत्र में विभिन्न अभियानों की योजना निर्धारित हुई।

इसके साथ ही संगठनात्मक विषयों पर कार्यशालाओं के आयोजन द्वारा कार्यकर्ताओं की क्षमता का विकास, पर्यावरण तथा सेवा गतिविधियों से विद्यार्थियों से जोड़ने के लिए विभिन्न प्रकार की रचनात्मक गतिविधियों का आयोजन,  होलकर की जन्मअहिल्याबाई-त्रिशताब्दी के अवसर पर देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में कार्यक्रमों के आयोजन की योजना, छात्रों की परिसर में उपस्थिति बढ़ाने के लिए ‘परिसर चलो’ अभियान जैसे प्रयोग आदि विषयों पर चर्चा हुई।

डॉ. राजशरण शाही ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित पाठ्यक्रमों की दिशा में विश्वविद्यालयों को शीघ्रता से प्रयास करना होगा। शिक्षा राष्ट्र की प्रकृति और संस्कृति के अनुसार होनी चाहिए। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस दिशा में महत्वपूर्ण दस्तावेज है। याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि पर्यावरणीय गतिविधियों से युवाओं को जोड़ने के लिए विद्यार्थी परिषद निरंतर प्रयास कर रही है।

Topics: Indian knowledge traditionभारतीय ज्ञान परंपराशिक्षा राष्ट्र की प्रकृति और संस्कृतिnature and culture of the nationeducation
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