दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा था, ‘‘हम दिल्ली में 380 झील बनाएंगे।’’ यह अलग बात है कि फिलहाल केजरीवाल शराब घोटाले में जेल में बंद हैं। बहरहाल दिल्ली तो झीलों का शहर नहीं बनी, लेकिन राजधानी के गली-मुहल्ले जरूर झील बन गए। दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित राव आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट के पुस्तकालय में तीन छात्र पानी में डूबकर मर गए। महज आधे घंटे की बारिश के बाद सड़क पर इतना पानी जमा हो गया था कि जब पानी कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में भरने लगा तो वहां पढ़ाई कर रहे छात्रों में अफरा—तफरी मच गई। लगभग 35 छात्र वहां पढ़ रहे थे। लेकिन एक छात्र और दो छात्राएं बाहर नहीं निकल सकीं, नतीजतन उनकी पानी में डूबने से दर्दनाक मौत हो गई।
यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना 27 जुलाई को हुई। क्या बीत रही होगी इन छात्रों के माता-पिता पर, जिन्होंने उन्हें आईएएस बनाने के लिए दिल्ली भेजा था? उन्हें क्या पता था कि वे लाखों रुपए खर्च करके जिन बच्चों को अच्छा भविष्य देने के लिए दिल्ली भेज रहे हैं वे अब कभी लौटकर नहीं आएंगे। आखिर एक नामी कोचिंग में पढ़ने वाले इन युवाओं की मौत का जिम्मेदार किसे माना जाए? कौन लेगा यह दायित्व? क्या कोचिंग केन्द्र वाले मानेंगे कि यह उनकी लापरवाही का नतीजा है? क्या दिल्ली सरकार इस घटना की जिम्मेदारी लेगी? ऐसे कई सवाल हैं जिनके उत्तर आने अभी शेष हैं।
डूबकर मरने वालों में से एक छात्र नेविन डेल्विन केरल के एर्नाकुलम का रहने वाला था। वह पिछले महीने से दिल्ली के पटेल नगर में रहकर तैयारी कर रहा था। इसके अलावा जेएनयू से पीएचडी भी कर रहा था। इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में मरने वाली एक छात्रा तान्या सोनी तेलंगाना की रहने वाली थी, जबकि दूसरी छात्रा का नाम श्रेया यादव था। वह उत्तर प्रदेश के आंबेडकरनगर के बरसांवा हाशिमपुर की रहने वाली थी। उसने इसी साल इस कोचिंग सेंटर में दाखिला लिया था।
पहले ही की गई थी शिकायत
इस दर्दनाक घटना से एक महीने पहले सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे किशोर सिंह कुशवाहा ने 26 जून को कोचिंग सेंटर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उसने अपनी याचिका में कहा था, ‘अनुमति न होने के बावजूद, राव आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में कक्षा चल रही है। यहां पर बड़ी दुर्घटना होने की आशंका है। इस पूरे इलाके में यूपीएससी की कोचिंग करा रहे कई संस्थानों में छात्रों की जान जोखिम में डालकर कक्षाएं चलाई जा रही हैं।’
15 जुलाई को भेजे गए रिमाइंडर में उसने नगर निगम को लिखा था, ‘सर, यह बहुत ही महत्वपूर्ण और जरूरी है, सख्त कार्रवाई करें।’ इस हादसे से पांच दिन पहले अपने दूसरे रिमाइंडर में कुशवाहा ने फिर से लिखा था, ‘सर कृपया कार्रवाई करें, यह छात्रों की सुरक्षा की बात है।’ इसके बाद भी इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई। यदि छात्र की शिकायत पर पहले ही कार्रवाई की गई होती तो ऐसी घटना होने का कोई प्रश्न ही नहीं था। अब खानापूर्ति करते हुए नगर निगम ने राजेंद्र नगर और आसपास के इलाकों में कई कोचिंग केन्द्रों के बेसमेंट सील कर दिया है। लेकिन यदि पहले ही ऐसा किया गया होता तो यह हादसा नहीं होता।
राजेंद्र नगर से भाजपा पार्षद रहे राजेश भाटिया कहते हैं, ‘‘यदि मुद्दे को भटकाना हो तो तमाम बातें कर सकते हैं लेकिन यहां जो हादसा हुआ, इसका सबसे बड़ा कारण यहां के नालों का जाम होना है। नगर निगम द्वारा मानसून आने से दो महीने पहले ही नालों के सिल्ट की सफाई का काम होता है। मई में दोबारा सफाई होती है लेकिन इस बार सफाई की ही नहीं गई।’’ भाटिया कहते हैं कि उन्होंने क्षेत्र से आआपा के विधायक दुर्गेश पाठक के सामने यह मामला उठाया था, क्योंकि वे दिल्ली नगर निगम के प्रभारी भी हैं। बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की गई। यदि समय से नालों की सफाई की गई होती तो यह हादसा नहीं हुआ होता। दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा कहते हैं, ‘‘पिछले दस साल से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है। नगर निगम में भी आआपा कमान में है। लेकिन जो काम जिस एजेंसी को करना चाहिए वह नहीं किया जा रहा है। केजरीवाल और उनके तमाम साथी सिर्फ आरोपों और प्रत्यारोपों की राजनीति करते हैं। असल में काम से उनका कुछ भी लेना-देना नहीं है। यदि पहले ही गंभीरता से काम किया गया होता तो ऐसा हादसा होता ही नहीं।’’
ऐसे भरा बेसमेंट में पानी
ओल्ड राजेंद्र नगर और उसके आसपास के क्षेत्र में 27 जुलाई शाम को करीब आधा घंटा तेज बारिश हुई थी। इतनी ही देर में सड़क पर तीन फुट से ज्यादा पानी भर गया था। इसके चलते कोचिंग सेंटर के सामने सतपाल भाटिया मार्ग पर वाहनों का आवागमन बंद हो गया। कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में स्थित लाइब्रेरी में कई छात्र इस बात से अनभिज्ञ थे कि बाहर तेज बारिश हुई है और सड़क पर पानी जमा है। बाहर से आने वाले पानी को रोकने के लिए बेसमेंट के दरवाजे पर छह—छह फीट वाले शीशे के चार गेट लगाए गए थे।
इस बीच वहां से तेज गति से एक कार गुजरी जिसके चलते पानी का बहाव तेज हो गया और शीशे का एक दरवाजा टूट गया। पानी तेजी से बेसमेंट में भरने लगा। महज कुछ मिनटों में ही बेसमेंट में इतना पानी भर गया कि दबाव के चलते लाइब्रेरी में अंदर आने के लिए लगा बायोमीट्रिक वाला दरवाजा भी टूट गया। पानी को तेजी से बढ़ता देख छात्र अपनी जान बचाने के लिए भागे। शोर सुनकर आसपास के लोग भी वहां पहुंचे और छात्रों को बचाने की कोशिश की। स्थिति को गंभीर होते देख शाम करीब सात बजे पुलिस को सूचना दी गई।
तब तक वहां से आसपास के लोग काफी छात्रों को निकाल चुके थे, लेकिन एक छात्र और दो छात्राओं को बाहर नहीं निकाला जा सका। मौके पर फायर बिग्रेड की पांच गाड़ियां पहुंचीं। एनडीआरएफ की टीम को भी बुला लिया गया। सड़क पर और बेसमेंट में जमा हुए पानी को पंप के जरिए निकाला गया। रात करीब एक बजे तीनों विद्यार्थियों के शव वहां से निकाले जा सके।
अभी तक सात गिरफ्तार
इस मामले में पुलिस ने अभी तक सात लोगों को गिरफ्तार किया है, परविंदर सिंह, सर्वजीत सिंह, हरविंदर सिंह, तेजेंदर सिंह और मनोज कथूरिया। मनोज को छोड़कर बाकी चारों आरोपी बेसमेंट के मालिक हैं। मनोज पर सड़क पर तेजी से कार चलाकर जाने का आरोप है। पुलिस का कहना है कि सड़क पर पानी भरा होने के बाद भी तेजी से कार चलाकर जाने से पानी का बहाव तेज हुआ और कोचिंग सेंटर के बेसमेंट का दरवाजा टूट गया, पानी तेजी से अंदर भर गया जिसके चलते यह हादसा हुआ। इसके अलावा पुलिस ने इससे पहले पुलिस ने राव आईएएस कोचिंग के मालिक अभिषेक गुप्ता और कोआॅर्डिनेटर देशराज सिंह को गिरफ्तार किया था।
मुख्य सचिव ने दिखाया आईना
कोचिंग सेंटर में डूबने से हुई छात्रों की मौत के मामले में दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। जवाब में मुख्य सचिव ने लिखा कि शहर में नालों पर अतिक्रमण इतना ज्यादा है कि इसे बिना किसी कानून के नियंत्रित नहीं किया जा सकता। उन्होंने मंत्री से दिल्ली के लिए जल निकासी योजना की सिफारिशों की फाइल को आगे बढ़ाने के लिए भी लिखा। यह फाइल अगस्त 2023 से उनके पास लंबित है।
उच्च न्यायालय की फटकार
इस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में तीन छात्रों की मौत के मामले में 31 जुलाई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। न्यायालय ने कहा कि जब ‘मुफ्तखोरी की संस्कृति’ के कारण कर संग्रह नहीं होता है तो ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि एक अजीब जांच चल रही है, जिसमें कार चलाने वाले राहगीर के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करती है, लेकिन नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। न्यायालय ने पूछा कि क्या इस मामले में अभी तक निगम अधिकारियों की लापरवाही की जांच हुई और किसी निगम अधिकारी को हिरासत में लिया गया? न्यायालय ने पूछा कि उस इलाके में कैसे इतना पानी जमा हो गया? जब अधिकारियों ने इमारत को अधिकृत किया तो क्या उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी? नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारी अपने एसी कार्यालयों से बाहर नहीं निकल रहे हैं, अगर ये नालियां ढकी थीं तो फिर ढक्कन क्यों नहीं हटाए? नगर निगम ने आपने सबसे कनिष्ठ अधिकारी को निलंबित कर दिया, लेकिन उस वरिष्ठ अधिकारी का क्या, जिसने निगरानी का अपना काम नहीं किया?
तय करनी होगी जिम्मेदारी
नेशनल इंस्टीटयूट आफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) से सेवानिवृत्त निदेशक हितेश वैद्य कहते हैं, ”दिल्ली को लेकर 20 साल के हिसाब से मास्टर प्लान बनाए जाते रहे हैं। 2021 का मास्टर प्लान 2000 में बना था। अब मास्टर प्लान 2041 बनाया गया है।’’ वे कहते हैं, मास्टर प्लान 2041 उनके निर्देशन में बना है। पहले वाला प्लान भी अच्छा था, लेकिन दिल्ली में सबसे बड़ी समस्या प्लान के क्रियान्वयन की रही। दरअसल दिल्ली में कोई एक एजेंसी नहीं है जिसकी जिम्मेदारी तय हो। प्लान बनता है तो दिल्ली विकास प्राधिकरण के अधिकारी इसमें शामिल रहते हैं, लेकिन क्रियान्वयन करना होता है एक एजेंसी को। दिल्ली में पहले एक ही नगर निगम था। 2011 में शीला दीक्षित सरकार ने इसके तीन हिस्से कर दिए। उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम। तीन निगम, तीन कमिश्नर, कभी फंड की कमी, कभी लोगों की कमी। यही सब चलता रहा। पूरी दिल्ली के लिए यदि प्लान बनता है तो उसके क्रियान्वयन के लिए कोई भी एक एजेंसी होनी चाहिए जिसके पास संपूर्ण अधिकार हों, सारी जिम्मेदारी उसकी हो। उसका जो भी मुखिया हो वह हर चीज के लिए जिम्मेदार हो। जब तक ऐसा नहीं किया जाएगा, तब तक इस तरह की घटनाओं को रोकना पूरी तरह संभव नहीं होगा।
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