गत 31 जुलाई को नई दिल्ली में छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा साम्राज्य से जुड़ीं आठ पुस्तकों का विमोचन हुआ।
पहली पुस्तक ‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ (हिंदवी स्वराज : शिवाजी की अखिल भारतीय संकल्पना, मुगलों से मुकाबला और उनके पतन की कहानी) के लेखक हैं डॉ. केदार फालके।
दूसरी पुस्तक ‘स्वराज संरक्षण का संघर्ष’(भारतवर्ष का पुनर्जागरण एवं सफलता की कहानी) के लेखक हैं पांडुरंग बलकवडे, सुधीर थोराट एवं मोहन शेटे।
तीसरी पुस्तक ‘अठारहवीं शताब्दी का हिंदवी साम्राज्य’ (हिंदवी स्वराज से साम्राज्य : सफलता की कहानी) के लेखक हैं पांडुरंग बलकवडे एवं सुधीर थोराट।
चौथी पुस्तक ‘छत्रपति शिवाजी न होते तो …’ के रचयिता हैं गजानन मेहंदले। पांचवीं पुस्तक है- Chhatrapati Shivaji Maharaj (अंग्रेजी अनुवाद)। छठी पुस्तक है The Fight For Defending The Swaraj (अंग्रेजी अनुवाद)।
सातवीं पुस्तक है Maratha Empire (Hindavi Samrajya) During the Eighteenth Century (अंग्रेजी अनुवाद)।
आठवीं पुस्तक है Chhatrapati Shivaji : Savior of Hindu India (अंग्रेजी अनुवाद)।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के नाते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि हिंदवी स्वराज और राष्ट्रप्रेम के लिए अपने को समर्पित करने वाले छत्रपति शिवाजी हमेशा भारतवर्ष के हृदय में बसे रहेंगे। शिवाजी महाराज ने अपने कार्यों से राष्ट्र में स्वदेश प्रेम की भावना का विकास किया और अपने कालखंड में मुगलों को पछाड़ कर हिंदवी स्वराज की स्थापना की।
उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने हमेशा हिंदवी स्वराज की बात को आगे बढ़ाया। उन्होंने जो मार्ग दिखाया था उसके कारण ही अटक से कटक तक मराठों ने भगवा ध्वज लहराकर भारतीय संस्कृति के गौरव को बढ़ाने का काम किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज भारतवर्ष के सर्वश्रेष्ठ शासक थे। वह भारत के भाग्यविधाता थे। अगर छत्रपति शिवाजी जैसे महायोद्धा का कालखंड भारत में न होता को भारतीय संस्कृति की पताका इतनी प्रगाढ़ न होती। शिवाजी ने सदैव धर्म और संस्कृति को सम्मान दिया।
कार्यक्रम का आयोजन हिंदवी स्वराज स्थापना महोत्सव आयोजन समिति (दिल्ली), श्री शिवाजी रायगढ़ स्मारक मंडल (पुणे) एवं श्री भारती प्रकाशन (नागपुर) ने किया था। इस अवसर पर अनेक वरिष्ठ जन उपस्थित थे।
टिप्पणियाँ