गाजियाबाद। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने यूपी प्रशासन को राज्य के सभी बूचड़खानों की स्थलीय जांच करने के निर्देश दिए हैं। गाजियाबाद की मांस निर्यात फैक्ट्री इंटरनेशनल एग्रो फूड, डासना से पिछले दिनों 57 बच्चे मुक्त कराए जाने के मामले में आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए ऐसा करने को कहा है। आशंका जताई गई है कि गाजियाबाद के स्लाटर हाउस की तरह दूसरे बूचड़खानों ने भी बाल मजदूरी एवं अमानवीय कार्य कराए जाने जैसी स्थिति पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जा सके। निर्देश मिलते ही प्रदेश शासन इस सम्बंध में आगे की कार्रवाई में जुट गया है।
एनसीपीसीआर ने 29 जुलाई को गाजियाबाद प्रशासन-पुलिस एवं एनजीओ के साथ मिलकर यहां डासना स्थित मांस निर्यात फैक्ट्री इंटरनेशनल एग्रो फूड कंपनी पर छापेमारी की थी। इस कार्रवाई में फैक्ट्री के अंदर काम करते मिले 55 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया था। स्लाटर हाउस हापुड़ में बुलंदशहर रोड के रहने वाले यासीन कुरैशी, उनकी पत्नी तसलीम कुरैशी, बेटे जावेद कुरैशी और गुलशन कुरैशी संचालित करते हैं। जांच में पता लगा कि प्रबंधन द्वारा 300-400 रुपए की दिहाड़ी पर बच्चों से पशु मांस की कटाई कराई जा रही थी। सभी नाबालिगों को बंगाल और बिहार से ठेके पर फैक्ट्री में काम करने के लाया गया था।
छापे में श्रम विभाग, बाल कल्याण विभाग और पुलिस की टीम शामिल थी। बच्चों से मजदूरी और अमानवीय कार्य कराए जाने के मामले में पुलिस ने फैक्टरी के चारों निदेशकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। मुक्त कराए बाल श्रमिकों में 31 लड़कियां और 24 लड़के शामिल थे, जो छह महीने से लेकर तीन साल तक से वहां काम कर रहे थे। मुक्त कराए गए बच्चों ने टीम को बताया था कि काम के दौरान किसी को भी फैक्ट्री से बाहर नहीं जाने दिया जाता था।
इससे पहले 31 जुलाई, 2023 को इसी कंपनी पर आयकर का छापा भी पड़ा था। बूचड़खाने से मुक्त कराए गए सभी बच्चों को मेडिकल परीक्षण के बाद शेल्टर होम में रखा गया। अफसरों ने इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और बाल श्रम कानून के तहत फैक्ट्री प्रबंधन पर कार्रवाई की बात कही थी। गाजियाबाद के स्लाटर हाउस से सामने आए इस सनसनीखेज मामले को ध्यान में रखते हुए एनसीपीसीआर ने कड़ा रुख अपनाया है।
यूपी सरकार को जारी निर्देशों में आयोग ने कहा है कि बाल मजदूरी में लगे नाबालिगों को खतरनाक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इससे उनके मानसिक एवं समग्र विकास प्रभावित होता है। गाजियाबाद के मामले को देखते हुए आयोग का विचार है कि यूपी में संचालित हो रहे सभी स्लाटर हाउस का निरीक्षण किया जाए, ताकि बाल श्रम में नाबालिगों की संलिप्तता की जांच हो सके। आयोग ने इस सम्बंध में कार्रवाई की 15 दिन के अंदर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट भी तलब की है।
आयोग के निर्देश पर अमल करते हुए उत्तर प्रदेश शासन में विशेष सचिव महेन्द्र बहादुर सिंह ने स्थानीय निकाय निदेशालय को आगे की कार्रवाई के सम्बंध में शासकीय पत्र जारी कर दिया है। निदेशक निकाय को निर्देशित किया गया है कि वह सभी स्लाटर हाउस में निरीक्षण के बारे में आठ दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपे, ताकि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पूरी स्थिति से अवगत कराया जा सके।
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