फ्रांस में आम चुनाव हो रहे हैं। जैसा कि पहले से ही अंदेशा था, फ्रांस में दक्षिणपंथी पार्टी को पहले दौर में बढ़त मिली है। यह समाचार वैसे तो अपेक्षित था, परंतु जिस प्रकार से यह उभार सामने आया है, वह फ्रांस के ही एक वर्ग के लिए भी अचंभित करने वाला था। अब इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। अभिव्यक्ति की आजादी वाला गैंग यानी लेफ्ट, इस बात का विरोध कर रहा है कि आखिर दक्षिणपंथी पार्टी को लोग क्यों वोट दे रहे हैं?
जहां फ्रांस में कुछ स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, तो वहीं ऐसे भी वीडियो सामने आए हैं, जिनमें लोगों ने इस बात की आशंका जताई है कि दक्षिणपंथी पार्टी को बढ़त मिलेगी, तो कट्टर लेफ्ट वर्ग हिंसा करेगा और वे अपने-अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की व्यवस्था करते हुए नजर आए। इन सबसे अलग रहा फ्रांस में दक्षिणपंथी पार्टी के विरोध में फेमिनिस्ट वर्ग का टॉपलेस होकर प्रदर्शन।
दक्षिणपंथी पार्टी के विरोध में चुनावों के इस उभार के कारण ही फेमिनिस्ट विरोध में नहीं हैं, बल्कि वे मैरी ले पेन की पार्टी नेशनल रैली का विरोध लगातार कर रही हैं। अभी हाल ही में उन्होनें नेशनल रैली का विरोध करते हुए रैली निकाली थी।
French feminists march against far right with days before vote – Thousands of people turned out in France on Sunday (23 June) for feminist demonstrations against the…https://t.co/iqyWfGGSWe
— EUNewsBot (@EUNewsBot) June 24, 2024
उन्होंने टॉपलेस होकर दक्षिणपंथी पार्टी की एक नेता की चुनावी सभा में व्यवधान डालने का प्रयास किया था, हालांकि उन दोनों ही महिलाओं को सुरक्षाबलों ने बाहर निकाल दिया था। अभी हाल ही में कुछ फेमिनिस्ट ने एफ़िल टावर पर टॉपलेस होकर दक्षिणपंथी पार्टी के नेताओं की बढ़त के विरोध में प्रदर्शन किया। प्रश्न उठता है कि क्या ऐसे विरोध प्रदर्शनों से कुछ हासिल होता है ? या फिर ये फेमिनाजी जैसी हरकत है। फेमिनाजी का अर्थ होता चरमपंथी या कट्टरपंथी फेमिनिस्ट। चरमपंथी या कट्टरपंथी फेमिनिस्ट जिसमें नाजियों जैसे दुर्गुण हों। जिसमें नाजियों जैसी असहिष्णुता और क्रूरता हो। जो असहमतियों का सम्मान न करना जाने।
कम्युनिस्ट फेमिनिज़्म अपना सबसे बड़ा दुश्मन उन दलों या कहें उन विचारों को मानता है, जो अपनी जड़ों की बात करते हैं, जो परंपरा की बात करते हैं और जो नैतिक मूल्यों की बात करते हैं। नैतिक मूल्यों की बात करते समय वे अपना फेमिनाजी रूप सबसे विकृत रूप में प्रदर्शित करती हैं और यह केवल फ्रांस की ही बात नहीं है, भारत में भी फेमिनिस्ट अब फेमिनाजी बनती जा रही हैं, जिन्हें विपरीत मत पसंद ही नहीं हैं। जो कट्टर इस्लाम की प्रशंसक होती हैं। उनके द्वारा महिलाओं पर किए जा रहे अपराधों पर चुप्पी साध लेती हैं।
फ्रांस में अभी हाल ही मे एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसमें यह कहा गया था कि फ्रांस में बलात्कार के 77 प्रतिशत आरोपी दूसरे देश से थे। हालांकि पुलिस का कहना यह है कि जिन लोगों ने बलात्कार किया, वे अधिकतर या तो ड्रग्स के आदी हैं, या उनके पास घर नहीं हैं या बेरोजगार हैं। फेमिनाज़ियों का इस पर भी कोई दृष्टिकोण सामने नहीं आया। विदेशियों द्वारा फ्रांसीसी लड़कियों के बलात्कार पर कोई विरोध प्रदर्शन भी नहीं दिखा।
दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली ने यह कहा है कि वह अवैध शरणार्थियों की बाढ़ को रोकने के लिए कदम उठाएगी। यही कारण है कि फेमिनाज़ियों को यह लगता है कि दक्षिणपंथी नेशनल रैली अल्पसंख्यक और महिला विरोधी है। उन्होंने इस विरोध प्रदर्शन में नेशनल पार्टी के “झूठे फेमिनिज़्म” को नकारा था और उसे महिला अधिकारों के लिए “असली खतरा” बताया था। इस विरोध प्रदर्शन का आह्वान फ्रांस के कई महिला संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और ट्रेड यूनियन ने किया था।
यह दुर्भाग्य ही है कि फेमिनाजी, जो स्वयं को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का शिखर मानती हैं, वे कभी भी उन विषयों पर बात नहीं करेंगी जहां पर उनके साथ भी नाजी जैसा व्यवहार होने की आशंका हो। यही कारण है कि फेमिनाजी अपने विरोधी मत नेशनल पार्टी के नेता के भाषण में जा सकती हैं, मगर फ्रांस में बढ़ रही मजहबी कट्टरता के विषय में बात नहीं करती हैं।
ये फेमिनाजी यह चाहती हैं कि केवल उन्हीं का वर्चस्व रहे, विचारों के स्तर पर वे ही अपने मत फैलाती रहें और जो कोई दूसरे मत का हो तो पहले उसे दूसरा नाम देकर नकारा जाए और फिर उसे नष्ट करने का प्रयास किया जाए। उनका यह कहना है कि दक्षिणपंथी पार्टी के आने से महिलाओं, एलजीबीटी क्यू और मुस्लिमों के अधिकारों में कमी आएगी।
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