जून की तिमाही में भारतीय शेयर बाजार के बाजार ‘कैप’ में लगभग 14 प्रतिशत की सबसे अधिक बढ़त दिखी है। यह बढ़त अन्य वैश्विक बाजारों के सामने सबसे अधिक मानी गई है। भारतीय शेयर बाजार का बाजार ‘कैप’ 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है। भारत को विश्व में पांचवां सबसे बड़ा बाजार माना जाता है। गत दिनों हांगकांग का बाजार भी भारत के बाजार से पिछड़ चुका था।
क्रिकेट के साथ ही इन दिनों वैश्विक शेयर बाजारों में भी भारत को चैंपियन माना जा रहा है। ‘वैल्यूएशन ग्रोथ’ में भारत के शेयर बाजार ने दुनिया के धुरंधर बाजारों को लगातार पांचवी तिमाही में पीछे छोड़ दिया है। यह कहना है अर्थ जगत के सुप्रसिद्ध मीडिया ब्लूमबग का।
रिपोर्ट बताती है कि इस बार लगातार यह 5वीं तिमाही है जब भारत की स्थिति पहले जैसी मजबूत बनी हुई है। लेकिन चीन की बात करें तो वह पिछली पांच तिमाहियों से एक के बाद एक घाटा झेल रहा है। भारत की इस ‘ग्रोथ’ को देख अमेरिका, जापान जैसी अर्थव्यवस्थाएं भी हैरान हैं कि भारत की नीतियों में ऐसा क्या है जो इसे लगातार सिरमौर बनाए हुए हैं।
आज वैश्विक आजार में भारत के शेयर बाजार का रुतबा देखते ही बन रहा है। जापान, अमेरिका, चीन, सऊदी अरब तथा फ्रांस के बाजार भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं। इससे भारत को विदेशी निवेश में एक बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट भारत के मुकाबले उक्त सभी देशों की स्थिति बहुत पीछे बताती है।
ब्लूमबर्ग ने आंकड़े देकर सिद्ध किया है कि शेयर बाजारों में ग्रोथ की सूची में भारत लगभग 14 प्रतिशत की बढ़त के साथ नंबर एक पर है। इससे दुनिया के दूसरे विकसित देशों में खलबली होनी स्वाभाविक ही है। ये देश जो खुद को आर्थिक महाशक्ति बताते हैं, शेयर बाजार के मामले में तेजी से बढ़ती भारत की अर्थव्यवस्था द्वारा पीछे छोड़ दिए गए हैं।
शेयर बाजार के क्षेत्र में आज भारत का जो महत्व बढ़ा है उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं दिखता जब भारत 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनेगा। वित्त वर्ष की पहली अर्थ तिमाही में भारत के शेयर बाजार की ‘वैल्यूएशन ग्रोथ’ विश्व के विभिन्न शेयर बाजारों में सबसे अधिक दर्ज किया जाना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। यह ‘ग्रोथ’ दो अंकों में तो है ही, यह अमेरिका तथा यूके की टक्कर में उनसे 3 से लेकर 7 गुणा तक अधिक है। जबकि जापान, चीन तथा फ्रांस के बाजार नीचे जाते दिखे हैं। इस साल की पहली तिमाही की बात करें तो उक्त तीनों ही देशों में शेयर बाजारों की ‘वैल्यूएशन ग्रोथ’ को ठेस लगी है।
प्रसिद्ध अखबार ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट बताती है कि जून की तिमाही में भारतीय शेयर बाजार के बाजार ‘कैप’ में लगभग 14 प्रतिशत की सबसे अधिक बढ़त दिखी है। यह बढ़त अन्य वैश्विक बाजारों के सामने सबसे अधिक मानी गई है। भारतीय शेयर बाजार का बाजार ‘कैप’ 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है। भारत को विश्व में पांचवां सबसे बड़ा बाजार माना जाता है। गत दिनों हांगकांग का बाजार भी भारत के बाजार से पिछड़ चुका था। लेकिन फिलहाल उसने अपनी स्थिति में कुछ सुधार करते हुए चौथा नंबर पा लिया है।
लेकिन आने वाले दिनों में भारत के शेयर बाजार के फिर से चौथे नंबर पर आने और हांगकांग को पीछे कर देने के पूरे आसार दिख रहे हैं। उसके बाद भारतीय बाजार लगातार मजबूत होता जाएगा। पहली तिमाही की बात करें तो सेंसेक्स 7.30 प्रतिशत ‘रिटर्न’ देने वाला रहा। जबकि निफ्टी में यह आंकड़ा 7.54 प्रतिशत रहा है।
यह रिपोर्ट आगे दिखाती है कि भारत के बाद ताइवान का नंबर रहा जिसके शेयर बाजार की ‘वैल्यूएशन ग्रोथ’ भी बहुत अच्छी दिखी है। 11 फीसदी है। हांगकांग का नंबर उसके बाद है। अमरिका तथा यूके में भी ‘वैल्यूएशन’ में बढ़त तो दिखी लेकिन ‘ग्रोथ’ बहुत कम दर्ज की गई।
भारत को अपनी टक्कर में देख रहे चीन की हालात बेहद नाजुक बनी हुई है। पिछले 15 महीनों से लगातार उसे आघात झेलना पड़ा है। जापान में तो आंकड़े और भी खराब हैं। गत तीन माह की ‘वैल्यूएशन’ 6.24 प्रतिशत नीचे आई है। उधर यूरोप में फ्रांस को भी नुकसान झेलना पड़ा है। उसकी ‘वैल्यूएशन’ को 7.63 प्रतिशत का झटका लगा है।
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