महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में नक्सली गतिविधियां लंबे समय से एक गंभीर समस्या बनी हुई हैं। हाल ही में, गढ़चिरौली के 13 गांवों ने नक्सलियों को राशन-पानी देने से इंकार कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप नक्सलियों ने इन गांवों में गांव बंद का ऐलान किया है। यह कदम नक्सलियों के खिलाफ ग्रामीणों की साहसिक कार्रवाई को दर्शाता है, जो आतंक और दबाव के बावजूद अपने अधिकारों के लिए खड़े हो रहे हैं।
गढ़चिरौली जिले के 13 गांवों ने सामूहिक रूप से नक्सलियों को राशन और पानी देना बंद कर दिया है। इन गांवों ने यह निर्णय नक्सलियों के बढ़ते अत्याचारों और मांगों के खिलाफ उठाया है। नक्सली अक्सर गांवों से राशन और अन्य आवश्यक सामग्री की जबरन वसूली करते हैं, जिससे ग्रामीणों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है।
ग्रामीणों के इस कदम के जवाब में, नक्सलियों ने गांव बंद का ऐलान किया है। नक्सलियों ने इन गांवों को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने उनके खिलाफ कदम उठाने बंद नहीं किए, तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। गांव बंद के कारण ग्रामीणों की दैनिक जीवन में कठिनाइयाँ बढ़ गई हैं, और उन्हें सुरक्षा की चिंता सताने लगी है।
हालांकि नक्सलियों की धमकियों के बावजूद, ग्रामीण अपने निर्णय पर अडिग हैं। उनका मानना है कि नक्सलियों के खिलाफ खड़ा होना आवश्यक है, ताकि उनके गांवों में शांति और सुरक्षा स्थापित हो सके। इस कदम के पीछे ग्रामीणों का साहस और एकता देखने को मिलती है, जो इस कठिन समय में भी एकजुट हैं।
गढ़चिरौली जिला प्रशासन ने ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने का आश्वासन दिया है। पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है, ताकि नक्सलियों के हमलों से ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे संयम बनाए रखें और किसी भी अप्रिय घटना की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
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