एक रिपोर्ट में हज टूर कंपनियों, यात्रियों तथा मरने वालों के परिजनों ने इस यात्रा के दौरान होने वाले शोषण तथा कमियों की जानकारी दी गई है। उन्होंने बताया कि हज पर पहुंचते ही फर्जी दलाल तथा तस्कर लोगों को घेर लेते हैं और उनके सारे काम कराने का झांसा देने के बाद मोटा पैसा वसूलकर उन्हें उनके ही भरोसे छोड़कर रफूचक्कर हो जाते हैं।
इस साल तो सऊदी अरब में हज करने गए हजारों लोगों पर गर्मी की जबरदस्त गाज गिरी है। इतनी मौतें हुई हैं कि आंकड़ा देख पूरी दुनिया हैरान है। लेकिन इस बात को लेकर बहस भी तेज हो गई है कि क्या सऊदी अरब सरकार के इंतजाम ठीक नहीं हैं, क्या मौतों के लिए सिर्फ गर्मी ही जिम्मेदार है, क्या वहां सड़कों पर लाशें पड़ी रहीं लेकिन सरकार ने आंखें फेर लीं? 1300 से ज्यादा हाजियों का मरना कोई मामूली बात नहीं, वह भी ऐसे देश में जो सब सुख—सुविधाओं से भरापूरा है! पता यह चला है कि हज कराने के लिए कई अवैध कंपनियों ने हजारों लोगों को बिना परमिट ही मीलों पैदल चलाकर मक्का तक पहुंचाया था, रास्ते में अनेक गर्मी का शिकार हो गए। जबकि सरकार के इंतजाम एसी बसों से ले जाने के थे।
सऊदी अरब की सरकार का यही कहना है कि मृतकों में से ज्यादातर बिना परमिट के आए लोग थे। ये लोग गैरकानूनी तरीके से फर्जी टूर कंपनियों को हजारों डॉलर चुकाकर जबरदस्त गर्मी में मीलों पैदल चलने को मजबूर किए गए थे। इसके उलट, सरकार के अनुसार, सही परमिट लेकर आए लोगों के लिए सरकार की तरफ से एसी बसों का इंतजाम किया गया था जो उन्हें मक्का पहुंचा रही हैं। वहां उनके आराम के लिए टेंट भी वातानुकूलित लगाए गए हैं।
इस बार सऊदी में भी गर्मी रिकार्ड तोड़ रही है, ऐसे में गैर परमिट वाले लोग ताप झेलने को मजबूर किए जा रहे हैं। बताते हैं, बीते दिनों सऊदी में पारा 54 डिग्री के पार जा चुका था। इस गर्मी से अनेक लोग बेहोश होकर सड़क किनारे गिर गए जहां किसी तीमारदार के पहुंचने से पहले उनके प्राण निकल गए।
दो दिन पहले, सरकारी चैनल को दिए साक्षात्कार में सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्री फहद अल-जलाजेल का कहना था कि हज के रास्ते में हुईं 1,301 मौतों में से 83 प्रतिशत तो वे लोग थे जिनके पास वहां आने का कोई परमिट ही नहीं था। फहद का कहना था कि इस बरस हज के वक्त तापमान का इतना बढ़ना सरकार के लिए एक मुश्किल चुनौती थी। बदकिस्मती से ऐसी गर्मी में बिना परमिट हज करने आए लोग मीलों तक धूप में पैदल चले और अपनी जान गंवा बैठे।
एक आंकड़े के अनुसार, प्रतिवर्ष करीब 20 लाख मुस्लिम यात्री आते हैं हज करने। लेकिन इस बार की गर्मी पहले से कहीं अधिक रही है, सिर्फ सऊदी अरब में नहीं तो दुनिया के विभिन्न देश मौसमी परिवर्तन के बुरे असर देख रहे हैं।
इस बार की हज यात्रा में भारत से गए 98 लोग भी अपनी जान से गए हैं। सबसे ज्यादा मरने वाले यात्री इजिप्ट के बताए गए हैं। गत वर्ष भी बहुत से लोग मरे थे। इंडोनेशिया के 774 यात्रियों की मौत हुई थी।
इस बार के हज से गैरकानूनी टूर कंपनियों की अंधाधुंध कमाई के चक्कर में अक्षम्य लापरवाही भी उजगार हुई है। बिना परमिट के लोगों को हज के लिए भेजना गैरकानूनी ही नहीं अपितु मजहब के साथ भी छल करने जैसा है। ये टूर कंपनियां और मानव तस्कर हज करने के उतावले मुस्लिमों से मोआ मुनाफा कमा रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ इस प्रकरण ने सऊदी सरकार के विभिन्न विभागों की लापरवाही को भी उजागर किया है। सवाल उठ रहा है कि अगर उन्हें यह पता था तो ऐसे यात्रियों को मक्का पहुंचने से रोका क्यों नहीं गया?
न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट छापी है जिसमें हज टूर कंपनियों, यात्रियों तथा मरने वालों के परिजनों ने इस यात्रा के दौरान होने वाले शोषण तथा कमियों की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि हज पर पहुंचते ही फर्जी दलाल तथा तस्कर लोगों को घेर लेते हैं और उनके सारे काम कराने का झांसा देने के बाद मोटा पैसा वसूलकर उन्हें उनके ही भरोसे छोड़कर रफूचक्कर हो जाते हैं।
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