सद्गुरु, एक प्रसिद्ध योगी, आध्यात्मिक गुरु और जग्गी वासुदेव के नाम से भी जाने जाते हैं। सद्गुरु जी ने हाल ही में एक अपील की है कि ‘इंडिया’ के बजाय ‘भारत’ नाम का इस्तेमाल किया जाए। यह अपील एक साधारण भाषा परिवर्तन से कहीं अधिक है; यह हमारी सांस्कृतिक पहचान और गौरव को पुनःस्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सद्गुरु ने एक्स पर लिखा, ‘अंग्रेजों के जाने के बाद हमें ‘भारत’ नाम का इस्तेमाल करना शुरू कर देना चाहिए था, लेकिन देश का नाम इस तरह रखना जरूरी है कि यह सभी के दिलों में गूंजे। वैसे तो राष्ट्र हमारे लिए सबकुछ है लेकिन ‘इंडिया’ शब्द का कोई मतलब नहीं है।’ यदि हम आधिकारिक रूप से देश का नाम बदलने में असमर्थ हैं तो कम से कम समय आ गया है कि हम अपनी दैनिक बोलचाल में ‘भारत’ नाम को शामिल कर लें। भारत का अस्तित्व ‘इंडिया’ के जन्म से बहुत पहले से है।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
भारत का नाम प्राचीन और गौरवशाली इतिहास से जुड़ा हुआ है। ‘भारत’ शब्द की उत्पत्ति ‘भरत’ से हुई है, जो कि महान भारतीय सम्राट थे और महाभारत जैसे महाकाव्य के महत्वपूर्ण पात्र भी। यह नाम हमारी प्राचीन सभ्यता, संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है, जो सहस्राब्दियों से समृद्ध और प्रख्यात रही है।
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