आरोप है कि सिंक्यांग में उइगरों तथा दूसरी मुस्लिम नस्लों को ‘मर्यादा’ में रखने के लिए बड़ी संख्या में गिरफ्तारियों, जबरन मजदूरी तथा चीनी नस्ल में मिलाने की साजिशें रची जाती रही हैं।
दुनियाभर में कल ईद मनाई गई। मुसलमानों ने ईद-अल-अजहा के नाम पर न जाने कितने ही निरीह पशुओं की ‘कुर्बानी’ देकर जश्न मनाया। ईदगाहों में नमाज पढ़ी गई तो मुस्लिमों ने एक दूसरे को बधाइयां भी दीं। भारत में अनेक स्थानों पर कट्टर सोच के मुसलमानों ने इस मौके को बहुसंख्यक हिन्दुओं की आस्था को आहत करने की भी कुचेष्टाएं कीं। लेकिन जो भी हो, चीन सरकार की कड़ाई ने वहां के उइगर मुसलमानों के ईद मनाने पर सख्ती से रोक लगाई। ऐसा एक उइगर संगठन का ही दावा है।
कम्युनिस्ट शासित चीन में उइगर मुस्लिम बहुल सिंक्यांग प्रांत में उइगरों के ईद मनाने पर पाबंदी लगाई गई थी क्योंकि चीन को ‘अशांति फैलने’ का डर था। ऐसा आरोप खुलकर लगाया है सेंटर फार उइगर स्टडीज ने, जो उइगर मुस्लिमों की चिंता करता है। इस संगठन का यह भी कहना है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार सिंक्यांग में इस्लाम के रस्मोरिवाजों को तेजी से कुचल रही है।
इस संगठन के अनुसार, साल 2017 में उइगरों पर जो सख्त पाबंदियां लगाई गई थीं उनके कारण यह मुस्लिम समुदाय वहां ईद-अल-अजहा नहीं मना सका। सरकारी दमन का संदेह होने से किसी मुस्लिम की हिम्मत नहीं हुई कि खुलेआम नमाज पढ़ सके या किसी को गले मिलकर बधाई दे सके।
सेंटर फार उइगर स्टडीज ने एक्स पर पोस्ट साझा की है जिसमें उसने कहा है कि दुनियाभर के मुस्लिम समुदाय और उइगर मुसलमान भी ईद-अल-अजहा मनाते आ रहे थे। लेकिन इधर कुछ साल से चीन में इस पर कड़ी रोक लगा दी गई है। चीन की नीतियां ऐसी हैं कि जिनमें इस्लाम के रिवाजों, उत्सवों को कथित अपराध ठहराया गया है। इसलिए किसी उइगर की मजाल नहीं हुई कि ईद-अल-अजहा मना सके।
दावा किया गया है कि इतनी सख्तियों के बाद भी दसियों साल से चीन में उइगरों ने अपनी इस्लाम की परंपराओं का जिंदा रखा हुआ है। आरोप है कि सिंक्यांग में उइगरों तथा दूसरी मुस्लिम नस्लों को ‘मर्यादा’ में रखने के लिए बड़ी संख्या में गिरफ्तारियों, जबरन मजदूरी तथा चीनी नस्ल में मिलाने की साजिशें रची जाती रही हैं।
लेकिन हर बार चीन की कम्युनिस्ट सरकार अपने देश में ऐसा कुछ किए जाने से इनकार करती रही है। सरकार तो यहां तक कहती है कि उसकी ऐसी नीतियां अलगाववादियों तथा आंतकवादियों पर लगाम कसने के लिए है।
चीन की सरकार मानती ही नहीं है कि सिंक्यांग में किसी प्रकार का मानवाधिकार हनन हो रहा है। लेकिन दुनियाभर के सभ्य देश इस मुद्दे पर चीन को कठघरे में रखे हुए हैं। वे तथ्यों के साथ विभिन्न मंचों पर चीन के मानवीयता विरोधी कार्यों की कलई खोल चुके हैं। यहां दिलचस्प बात यह है कि खुद को दुनिया भर के मुस्लिमों के ठेकेदार बताने वाले तुर्किए और पाकिस्तान जैसे देश चीन की इन हरकतों को अनदेखा करके उसके साथ व्यवहार कर रहे हैं और उसके पक्ष में खड़े हैं!
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