अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने एक इंटरव्यू में कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने नरेंद्र मोदी पर बात की और मुसलमानों पर भी। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को शिक्षा से ज्यादा हिजाब व सानिया की स्कर्ट की लंबाई की चिंता है। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को मदरसों के बजाए आधुनिक शिक्षा देनी चाहिए।
नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि हर बात का दोष मोदी पर मढ़ना आसान है। मोदी का विरोध करना बहुत आसान है। देश में जो भी गलत हो रहा है उसके लिए मोदी को दोषी ठहराना बहुत आसान है। लेकिन हकीकत तो यह है कि मोदी के सत्ता में आने से पहले भी इस देश में कई चीजें गलत थीं। भारत में विभिन्न धर्मों के बीच नकारात्मक भावनाएं छिपी हुई थीं। एक बच्चे के रूप में, मुझे मुस्लिम होने के कारण उपहास का सामना करना पड़ा। मैं दूसरों को उनके धर्म के बारे में चिढ़ाया भी करता था। मुझे लगता है कि इस प्रकार की भावनाएं इस देश में हमेशा से ही छिपी हुई रही हैं।
नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि ये दावे ग़लत हैं कि हम पहले ख़ुश और समृद्ध थे, सब कुछ ठीक था। ऐसी बात नहीं थी। फिल्मों या गानों में हिंदू-मुस्लिम एकता की तस्वीर पेश की जाती थी। यह ऐसा बनाने का एक प्रयास था, लेकिन मुझे नहीं लगता कि देश ने इसे स्वीकार किया है। केवल कुछ ही ने स्वीकार किया।
नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि मैंने इस देश में छह पीढ़ियां बिताईं, इस देश ने मुझे प्यार करना सिखाया, लेकिन कुछ मौकों पर मुझे लगा कि यह देश अलग है। सच्चाई यह है कि मुसलमानों ने भी कभी इन चीज़ों के बारे में शिकायत नहीं की है। मुसलमानों ने अब तक सभी गलत चीजों पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्हें शिक्षा की चिंता से ज्यादा हिजाब, सानिया मिर्जा की स्कर्ट की लंबाई की चिंता है। उन्हें शिक्षा की चिंता करनी चाहिए। उन्हें बच्चों को आधुनिक चीजों की ट्रेनिंग देनी चाहिए। उन्हें बच्चों को मदरसे में रखकर हमेशा के लिए मजहबी शिक्षा देने की बजाय आधुनिक शिक्षा देनी चाहिए। यह मुसलमानों की गलती है।
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