ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्री रूस के निजनी नोवगोरोड में दो दिन वैश्विक विषयों के साथ ही भारत के ‘विश्व बंधुत्व’ के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करेंगे। भारत की ओर से बैठक में वैश्विक दक्षिण के विकास से जुड़ी चिंताओं और चुनौतियों का उल्लेख किया जाना है। साथ ही, विश्व के सामने प्रस्तुत चुनौतियों पर भी मंथन किया जाएगा।
रूस में आज से शुरू हो रही ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक में भारत के पूरी धमक और चमक के साथ भाग लेने की उम्मीद है। खासकर इस वजह से क्योंकि कल ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगातार तीसरी बार अपनी गठबंधन सरकार बनाई है। कल ही मोदी सरकार के नए मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली है। इसके फौरन बाद आज से होने जा रही इस ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की पहली बैठक में सभी सदस्य देश भारत के प्रतिनिधित्व और उसके संदेश के लिए उत्सुक हैं।
यह बैठक रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की अध्यक्षता में समपन्न होगी और भारत के विदेश मंत्री इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के ग्लोबल साउथ के विकास के विचार के साथ उपस्थित रहेंगे। अन्य सदस्य देशों और आमंत्रित देशों के विदेश मंत्री रूस में पहुंच चुके हैं। विश्व की वर्तमान परिस्थितियों के संदर्भ में यह बैठक विशेष महत्व रखेगी।
ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्री रूस के निजनी नोवगोरोड में दो दिन वैश्विक विषयों के साथ ही भारत के ‘विश्व बंधुत्व’ के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करेंगे। भारत की ओर से बैठक में वैश्विक दक्षिण के विकास से जुड़ी चिंताओं और चुनौतियों का उल्लेख किया जाना है। साथ ही, विश्व के सामने प्रस्तुत चुनौतियों पर भी मंथन किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि गत जनवरी माह में ही ब्रिक्स के विस्तार पर आधिकारिक मुहर लगाई गई थी। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की अध्यक्षता में होने जा रही इस महत्वपूर्ण बैठक में भारत, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, चीन के साथ ही वैश्विक दक्षिण या ‘ग्लोबल साउथ’ और पूर्व के आमंत्रित देशों के विदेश मंत्री भाग ले रहे हैं।
आज इदस बैठक में सदस्य देशों के विदेश मंत्री ही उपस्थित रहेंगे। कल यानी मंगलवार को ब्रिक्स की इस बैठक में 15 आमंत्रित देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। दो दिन के दौरान विश्व के वर्तमान भू-राजनीतिक मुद्दों के अलावा विकासशील देशों की भूमिका पर भी चर्चा की जानी है। इस बैठक के प्रतिफल को 22 से 24 अक्तूबर को कज़ान में होने वाली 16वीं ब्रिक्स शिखर वार्ता में शामिल करके उन पर विचार किया जाना है।
यहां यह समझना जरूरी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज के विभिन्न ध्रुवों की तरफ झुके विश्व में भारत की बढ़ती भूमिका तथा ‘विश्व बंधु’ का विचार प्रस्तुत कर चुके हैं। उनके अनुसार, आज इस विचार की सबसे ज्यादा आवश्यकता है। दो दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह कहा भी था कि विश्व मंच पर भारत की छवि को और उजला करने के लिए गत 10 साल के दौरान जो कड़े प्रयास किए गए हैं, उनका फायदा लेने का यही वक्त है। उन्होंने आगे कहा था कि गत 10 वर्ष में भारत के एक विशिष्ट वैश्विक छवि बनी है। भारत विश्व के बंधु के नाते सामने आया है।
चुनाव के संदर्भ में भाजपा ने जो संकल्प पत्र जारी किया था उसमें भी साफ उल्लेख था कि आज विश्व यह मानता है कि भारत ही लोकतंत्र का जनक है। विश्व भर में रह रहे भारतीय तथा भारतवंशी खुद को ताकतवर और भारत से जुड़ा अनुभव कर रहे हैं। हमें इस स्थिति को और बलशाली बनाना है।
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