कर्णावती । 5 जून को गुजरात ATS ने एक बड़ी कार्रवाई में कच्छ के गांधीधाम के पास खारीरोहर से कोकेन के 13 पैकेट जब्त किए, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 100 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इस मामले ने पुलिस को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स का छिपाना स्थानीय लोगों की मदद के बिना संभव नहीं हो सकता।
ड्रोन का उपयोग क्यों किया जा रहा है?
पुलिस का मानना है कि ये कोकेन के पैकेट झाड़ियों में इसलिए छिपाए गए थे ताकि मौका मिलते ही इन्हें सही जगह पर पहुंचाया जा सके। इसीलिए स्थानीय लोगों की संलिप्तता की दिशा में जांच की जा रही है। इतने बड़े मात्रा में कोकेन का बरामद होना इस बात का संकेत है कि खारीरोहर के अन्य हिस्सों में भी ड्रग्स छिपाए गए हो सकते हैं। इस अनुमान के आधार पर पुलिस ने ड्रोन की मदद से अन्य छिपे हुए कोकेन के पैकेट खोजने का प्रयास शुरू कर दिया है।
आठ महीने पहले की बड़ी बरामदगी
गौरतलब है कि करीब आठ महीने पहले भी गुजरात ATS और कच्छ पुलिस ने खारीरोहर इलाके से 800 करोड़ रुपये की कीमत के 80 कोकेन के पैकेट जब्त किए थे। हालांकि, उस केस में पुलिस अब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है।
जांच की दिशा और आगे की योजना
अब जब फिर से कोकेन के 13 पैकेट बरामद हुए हैं, पुलिस ने स्थानीय लोगों की संलिप्तता की जांच शुरू कर दी है। इसके साथ ही पुलिस यह भी जांच कर रही है कि कच्छ तक ड्रग्स कहां से और कब आता है और किनके जरिए इसे यहां लाया जाता है।
गुजरात ATS और कच्छ पुलिस का यह अभियान अब और भी तेज हो गया है। ड्रोन का उपयोग इस बात की पुष्टि करता है कि पुलिस इस मामले को हल्के में नहीं ले रही है और हर संभव प्रयास कर रही है ताकि ड्रग्स की इस बड़ी खेप को पूरी तरह से बरामद किया जा सके और इसके पीछे छिपे रैकेट का पर्दाफाश किया जा सके।
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