प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को देशभर में जारी भीषण गर्मी और पूर्वोत्तर राज्यों में चक्रवाती तूफान रेमल से हुई तबाही के मद्देनज़र दो महत्वपूर्ण बैठकों की अध्यक्षता की। इन बैठकों में प्रधानमंत्री ने आपातकालीन राहत कार्यों और भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने की तैयारियों का जायज़ा लिया।
भीषण गर्मी से निपटने की तैयारियां
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने सुबह अपने आवास, लोक कल्याण मार्ग पर देश में पड़ रही भीषण गर्मी की स्थिति और मानसून की शुरुआत की तैयारियों की समीक्षा के लिए बैठक की। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने जानकारी दी कि राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में गर्मी का प्रकोप जारी रहने की संभावना है।
इस वर्ष मानसून के सामान्य से ऊपर रहने की संभावना जताई गई है, जबकि प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में यह सामान्य से कम रह सकता है। प्रधानमंत्री ने आग की घटनाओं को रोकने और उनसे निपटने के लिए नियमित आधार पर अभ्यास करने का निर्देश दिया। उन्होंने अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक स्थानों का फायर ऑडिट और विद्युत सुरक्षा ऑडिट नियमित रूप से कराने पर जोर दिया।
इसके अतिरिक्त, जंगलों में फायर-लाइन के रखरखाव और बायोमास के उत्पादक उपयोग के लिए नियमित अभ्यास की योजना तैयार करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया। बैठक में प्रधानमंत्री को ‘वन अग्नि’ पोर्टल की उपयोगिता के बारे में भी जानकारी दी गई, जो जंगल की आग की समय पर पहचान और उसके प्रबंधन में सहायक है।
चक्रवात रेमल से राहत कार्यों की समीक्षा
दूसरी बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने चक्रवात रेमल से प्रभावित पूर्वोत्तर राज्यों में चलाए जा रहे राहत कार्यों की समीक्षा की। मिजोरम, असम, मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा में चक्रवात के कारण भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं हुईं, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। प्रधानमंत्री ने प्रभावित राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा हरसंभव सहयोग देने का आश्वासन दिया।
बैठक में यह जानकारी दी गई कि गृह मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ नियमित संपर्क में है और आवश्यकतानुसार एनडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं। ये टीमें प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित निकालने, एयरलिफ्टिंग और सड़क साफ करने के अभियान चला रही हैं।
उच्च स्तरीय अधिकारियों की उपस्थिति
इन बैठकों में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव, एनडीआरएफ के महानिदेशक और एनडीएमए के सदस्य सचिव के साथ-साथ पीएमओ और संबंधित मंत्रालयों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने गृह मंत्रालय को स्थिति पर लगातार नजर रखने और समय-समय पर समीक्षा करने का निर्देश दिया, ताकि पुनर्स्थापना के लिए आवश्यक सहायता प्रदान की जा सके। इस उच्च स्तरीय बैठक के माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर आपदाओं का सामना करें और राहत कार्यों को तेजी से पूरा करें।
प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार आपदाओं से निपटने के लिए पूरी तरह से तत्पर है और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
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