केरल में सत्तारूढ़ माकपा ने अपने गुंडों को ‘शहीद’ घोषित कर उनके लिए स्मारक बनाया है, जिसका उद्घाटन 22 मई को पार्टी के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने किया। नौ वर्ष पहले 6 जून, 2015 को राजनीतिक हिंसा के लिए कुख्यात कोलावल्लूर के चेट्टकंडी में एक पहाड़ी पर बम बनाने के दौरान विस्फोेट में माकपा के दो कार्यकर्ता, शैजू और सुबीश मारे गए थे। इस घटना में पार्टी के चार वरिष्ठ कार्यकर्ता भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। माकपा ने लोगों से चंदा वसूल कर इनके लिए ‘शहीद स्मारक’ बनाया है। इसे लेकर माकपा विपक्षी पार्टियों के निशाने पर है। दिलचस्प बात यह है कि बम विस्फोट में दोनों कार्यकर्ताओं की मौत के बाद पार्टी ने उनसे पल्ला झाड़ लिया था।
माकपा के तत्कालीन राज्य सचिव कोडियेरी बालाकृष्णन ने कहा था कि बम विस्फोट में मारे गए लोगों का उनकी पार्टी से कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन उनके दावे के बावजूद कन्नूर के तत्कालीन जिला सचिव पी. जयराजन दोनों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। बाद में पार्टी ने दोनों को ‘शहीद’ बताते हुए उनका स्मारक बनाने के लिए सार्वजनिक धन संग्रह किया। कन्नूर के कई गांवों में आज भी माकपा कार्यकर्ताओं के ‘स्मारक’ के तौर पर कंक्रीट के खंभे देखे जा सकते हैं।
अभी गत 5 अप्रैल को लोकसभा चुनाव प्रचार के बीच पनूर में इसी तरह बम बनाते समय विस्फोट हुआ, जिसमें माकपा कार्यकर्ता शेरिल मारा गया, जबकि तीन अन्य व घायल हो गए। बताया गया कि लोकसभा चुनाव में अराजकता फैलाने के लिए माकपा बम बना रही है। घटना के तुरंत बाद माकपा के राज्य सचिव ने कहा कि बम बनाने वालों से पार्टी का कोई संबंध नहीं है। लेकिन पार्टी के स्थानीय नेता श्रद्धांजलि देने उसके घर पहुंच गए।
भाजपा और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने माकपा के इस कदम का पुरजोर विरोध किया है। कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री तिरुवंचूर राधाकृष्णन ने कहा कि माकपा पाखंडी पार्टी है। वह कहती कुछ है और करती कुछ है। पहले तो पार्टी ने कहा कि विस्फोट में मारे गए लोगों से उसका कोई संबंध नहीं है, लेकिन बाद में उन्हें ‘शहीद’ बना देती है।
वहीं, माकपा नेता पी. जयराजन ने स्मारक बनाने के फैसले को सही ठहराते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, ‘शहीद हमेशा शहीद होते हैं।’ उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी कार्यक्रम को आगे बढ़ाएगी।
विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा कि माकपा केरल के शांतिप्रिय लोगों को चुनौती दे रही है। यदि गोविंदन समारोह (स्मारक उद्घाटन) में भाग लेते हैं, तो उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि माकपा का यह कृत्य दर्शाता है कि वह राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए बम निर्माण को प्रोत्साहित कर रही है। माकपा ने कहा है कि ’शहीदों’ की सूची में पनूर विस्फोट (अप्रैल 2024) में मारे गए व्यक्ति को शामिल नहीं किया जाएगा। लेकिन सच यह है कि माकपा जरूरत पड़ने पर अपना रुख बदल सकती है।
गोविंदन के उस बयान को याद कीजिए, जिसमें मीडिया से उन्होंने कहा था कि पनूर विस्फोट में डीवाईएफआई के जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया, वे ‘जीवन रक्षक मिशन’ के लिए वहां गए थे। प्रश्न है कि बम बनाने के दौरान विस्फोट में मारे गए लोग कानूनी तौर पर अपराधी ही कहे जाएंगे। उन्हें ‘शहीद’ बताकर और उनका स्मारक बनाकर क्या माकपा लोकतंत्र का अपमान नहीं कर रही है? पार्टी उन्हेें ‘शहीद’ कैसे कह सकती है? क्या पार्टी यह साबित करना चाहती है कि उसके गुर्गे शांति को बढ़ावा देने के लिए बम बनाते हैं? माकपा से इन सवालों के जवाब की उम्मीद बेमानी है।
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