गत दिनों ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान, नेरी (हिमाचल प्रदेश) ने ‘हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संवाद का आयोजन किया। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित इस परिसंवाद में अनेक विद्वानों ने अपने विचार रखे। इसके साथ ही 130 लेखकों, अध्येताओं, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने तथ्यपरक शोधपत्र प्रस्तुत किए।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे एन.आई.टी., हमीरपुर के निदेशक प्रो. हीरालाल मुरलीधर सूर्यवंशी। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति समृद्ध है। शोधार्थियों पर इसका संरक्षण एवं संवर्द्धन करने का दायित्व है। किसी भी राष्ट्र व समाज की पहचान उसकी समृद्ध संस्कृति होती है जो उसके इतिहास एवं परंपराओं को जीवंत रखती है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों की धरती है। उन्होंने आगे कहा कि मानव सभ्यता का इतिहास हमारी संस्कृति से जुड़ा हुआ है इसलिए हमें सांस्कृतिक धरोहर पर गहन चिंतन करना होगा। संस्थान के निदेशक डॉ. चेतराम गर्ग ने कहा कि हमने सांस्कृतिक धरोहरों को पहचानने की कोशिश की है।
समारोह में ‘इतिहास दिवाकर’ के विशेषांक ‘मानव जीवन के आदर्श श्रीराम’ व डॉ. कृष्ण मोहन पांडेय द्वारा संपादित ‘पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में ऋषि परंपरा’ पुस्तक का विमोचन किया गया।
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