जब अरविंद केजरीवाल सत्ता में नहीं थे और ‘आंदोलनजीवी’ हुआ करते थे, उस समय कहते थे कि सत्ता में आने के बाद वे न तो सरकारी बड़ा बंगला लेंगे, न सुरक्षा लेंगे। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने सरकारी आवास को 50 करोड़ रु से ज्यादा खर्च कर ‘शीशमहल’ बना दिया और सुरक्षा भी ऐसी कि कभी पुलिस वालों के घेरे से बाहर ही नहीं होते हैं। यानी जो वे कहते हैं, उसका उल्टा ही करते हैं। ऐसा ही एक और मामला सामने आया है। यह मामला सफाई कर्मचारियों से जुड़ा है। केजरीवाल सरकार उन सफाई कर्मचारियों के साथ भी छल कर रही है, जो जान की बाजी लगाकर दिल्ली को साफ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। इस कारण ऐसे कर्मचारियों के आश्रित दर—दर भटक रहे हैं।
बता दें कि केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी (आआपा) ने 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान अपने चुनाव घोषणापत्र में यह वादा किया था कि अगर किसी सफाई कर्मचारी की सीवर में मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को 50,00,000 रुपए का मुआवजा दिया जाएगा (घोषणापत्र का पैरा 66)। यही नहीं, आम आदमी पार्टी ने 2020 के घोषणापत्र में भी कहा कि सफाई कर्मचारी शहर को साफ़ रखने का सबसे महत्वपूर्ण काम करते हैं। आम आदमी पार्टी उनको सलाम करती है। अगर किसी सफाई कर्मचारी की उसके काम के दौरान मृत्यु हो जाती है तो पार्टी उसके परिवार को एक करोड़ रु. का मुआवजा देगी।
लेकिन अब केजरीवाल अपने उस वायदे को भूल गए हैं। यह भी कह सकते हैं कि उस वायदे से जानबूझकर पलट भी रहे हैं। 6 अगस्त, 2017 को लाजपत नगर में एक सफाई कर्मचारी सीवर में गया और उसकी मृत्यु हो गई। ठेकेदार ने दूसरे सफाई कर्मचारी को भी सीवर में उतार दिया। वह भी चल बसा। ठेकेदार ने ज़िद करके तीसरे को भेजा। उसे बेहोशी की हालत में बचा लिया गया।
मृतकों में एक सफाई कर्मचारी का नाम था मोहन। उसकी पत्नी प्रीति लगभग अनपढ़ है। उसके दो बच्चे हैं। बूढ़े माता—पिता हैं। अकेला कमाने वाला चला गया। लेकिन दिल्ली सरकार ने 10 लाख रु. का मुआवजा देकर उसको टरका दिया। प्रीति ने अदालत की शरण ली। उसकी याचिका का नंबर है WP(C) No. 15156 /2023।
अदालत ने प्रीति के पक्ष में निर्णय दिया और उसका मुआवजा बढ़ाकर 30 लाख रु. कर दिया। यह राशि भी आम आदमी पार्टी के एक करोड़ रु. के वायदे से तो बहुत कम थी। दुर्भाग्य देखिए कि आम आदमी पार्टी ने यह मुआवजा देने के बजाए इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की है। अपील का न. है LPA No. 377 / 2024.
दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत में कहा है कि मृतक के परिजन को 10 लाख रु का मुआवजा दे दिया गया है। इसलिए अब उसे बढ़ा हुआ मुआवजा नहीं दिया जा सकता है, लेकिन न्यायालय ने सरकार से कहा कि पीड़ित के आश्रित को 30 लाख रु मुआवजे के रूप में दें।
प्रीति कल्याणपुरी की झुग्गियों में रहती है। ये झुग्गियां कोंडली विधानसभा क्षेत्र में आती हैं। उस क्षेत्र के विधायक हैं आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार ‘मोनू’। यही इस समय पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हैं। कुलदीप कुमार स्वयं वाल्मीकि समाज से आते हैं। इसके बावजूद उन्होंने प्रीति को राहत दिलाने के लिए कुछ नहीं किया।
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