आज सभी को ये पता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन दस वर्षों के कार्यकाल में भारत का विदेशों में डंका बजा है। चाहे वह अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर हो, कूटनीति के स्तर पर हो या फिर वसुधैव कुटुंबकम की भावना के तहत वैक्सीन मैत्री का मामला हो। समूची दुनिया भारत की मुरीद हुई है। लेकिन, इस दौरान ये कभी देखने को नहीं मिला है कि दूसरे देशों को खुश रखने के लिए भारत ने अपने हितों से समझौता किया हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वो अपने टर्म्स पर देश चलाते हैं। किसी तीसरे के दबाव में वो कभी नहीं आए। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए ये भी कहा कि अगर भारत को सस्ते तेल की जरूरत है तो हम रूस से तेल खरीदेंगे। इसके लिए अमेरिका के दबाव के आगे झुकने की आवश्यकता नहीं है।
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लोकसभा चुनावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को समाचार चैनल आज तक को इंटरव्यू दिया। इसी दौरान उन्होंने ये बात कही। पीएम मोदी ने कहा कि आज हालात ये है कि विश्व भारत पर भरोसा करता है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहते हैं कि पहले इस बात को लेकर चर्चाएं होती थीं कि हम इससे इतने दूर हैं? ये सारी भाषा कूटनीतिक स्तर पर होती थी, लेकिन, मेरा भाषा थी कि हम कितने नजदीक हैं? इससे दुनिया में एक स्पर्धा की शुरुआत हुई है और सभी लोगों में एक-दूसरे के नजदीक आने की शुरुआत हुई।
किसी तीसरे के आधार पर निर्णय नहीं लेते
हाल ही में ईरान के साथ साथ चाबहार बंदरगाह को लेकर हुई डील को लेकर पीएम मोदी ने चाबहार बंदरगाह के लिए फाइनल एग्रीमेंट का जिक्र करते हुए कहा कि इससे सेंट्रल एशिया का बहुत बड़ा काम हुआ है। अमेरिका के दबावों को दरकिनार करते हुए किए गए इस एग्रीमेंट को लेकर स्पष्ट किया कि किसी तीसरे के आधार पर निर्णय नहीं लेंगे। इस मौके पर उन्होंने रूस के साथ भारत के संबंधों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अगर रूसी राष्ट्रपति पुतिन मेरी जमकर तारीफ करते हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि मैं उनसे ये नहीं कह सकता कि दिस इज नॉट टाइम फॉर वॉर।
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