उत्तराखंड ब्यूरो / देहरादून । पहाड़ो में जंगल की आग का सबसे बड़ा कारण बन रहे चीड़ पेड़ के पत्तो को सरकार ने खरीदने जा रही है। घातक ज्वलनशील ये पत्ते पहाड़ की भाषा में पिरुल कहलाते है। सरकार ने इसे खरीदने के लिए 50 रु किलो का रेट तय किया है और इसके लिए 50 करोड़ रु की रकम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के माध्यम से जुटाई गई है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि पहाड़ो को जंगल की, आग से बचाने के लिए पिरुल को वहां से हटाना जरूरी है। पिरुल में जलती बीड़ी सिगरेट की चिंगारी से भी आग लग जाती है जो कि विकराल रूप धारण कर लिया करती है।
इस साल जंगल की आग की घटनाओं से जंगलों को खासा नुकसान तो हुआ ही है,पहाड़ी में वायु प्रदूषण भी फैला और इससे पर्यटन भी प्रभावित होने लगा था।
सीएम धामी के दिशा निर्देश पर पांच रु किलो खरीदे जाना वाला पिरुल का दाम सरकार ने 50 रु किलो कर दिया ताकि जन सहभागिता से पिरुल जंगल से उठाया जा सके और आग की संभावना को नियंत्रित किया जा सके।
सीएम धामी की घोषणा का असर ये हुआ कि पहाड़ में हजारों महिलाएं पुरुष पिरुल को इकट्ठा करने में लग गए है। वन विभाग, प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मिलकर इस योजना को परवान चढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव डा पराग धकाते बताते है कि पिरुल का ऑनलाइन भुगतान करने के लिए एक एप तैयार किया जा रहा है। पिरुल को खरीदने और उसका संग्रह करने के लिए वन चौकियों में व्यवस्था की जा रही है। जहां उनका वजन लेने के बाद, एकत्र करने वाले की डिटेल्स एप में अपलोड कर दी जाएगी और उसका पैसा सीधे उसके खाते में चला जाएगा।
वन विभाग ने पिरुल को उद्योगों और अन्य ऊर्जा एजेंसियों को देने की योजना बनाई है।
फॉरेस्ट के पीसीसीएफ (हॉफ,) डा धनंजय मोहन बताते है कि इस साल पिरुल खरीद योजना ,प्रयोग के तौर पर की गई है अगले साल इस पर पतझड़ के समय से ही काम शुरू हो जाएगा। इससे पहाड़ को आग से बचाया जा सकेगा।उन्होंने कहा मेहनत मजदूरी करने वालो के साथ साथ स्थानीय लोगो को भी इसका मेहनताना मिलेगा।
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