डेंगू एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसके चलते हर साल काफी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है। अब लगभग हर साल देश के विभिन्न राज्यों के अनेक इलाके डेंगू और वायरल बुखार के कोप से त्राहि-त्राहि करते नजर आते हैं और हम इस बेबसी पर केवल आंसू ही बहाते रह जाते हैं। इसीलिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष लोगों में डेंगू को लेकर जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से 16 मई को ‘राष्ट्रीय डेंगू दिवस’ मनाया जाता है। डेंगू के लगातार सामने आते मामलों को देखते हुए डेंगू से बचाव को लेकर अत्यधिक सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि अभी तक इसकी कोई वेक्सीन नहीं बनी है, इसलिए डेंगू से बचाव के उपाय ही सबसे अहम हैं। मानसून के साथ डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने वाले मच्छरों के पनपने का मौसम शुरू होता है, इसीलिए इस बीमारी को लेकर लोगों में व्यापक जागरूकता फैलाने के लिए सरकार द्वारा इसके लिए 16 मई का दिन निर्धारित किया गया।
डेंगू नामक बीमारी कितनी भयावह हो सकती है, उसका अनुमान इसी पहलू से आसानी से लगाया जा सकता है कि समय से उपचार नहीं मिलने के कारण डेंगू पीड़ित व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। पिछले साल देश के विभिन्न राज्यों और विशेषकर उत्तर प्रदेश में डेंगू से पीड़ित हुए कई मरीजों की मौत के आंकड़े इसकी पुष्टि भी करते हैं। वैसे देश में डेंगू का जो प्रकोप देखा जाता रहा है, वह कोई नई बात नहीं है बल्कि प्रतिवर्ष मानूसन के दौरान और उसकी विदाई के बीच डेंगू और मच्छर जनित बीमारियों का बोलबाला बहुत ही सामान्य सी बात है। इसके बावजूद हर साल की वही कहानी और डेंगू के कारण होती सैंकड़ों मौतों के आंकड़े शासन-प्रशासन से लेकर सामुदायिक स्तर पर होती लापरवाही को ही स्पष्ट परिलक्षित करते रहे हैं। चिंता की बात यह है कि अब डेंगू के मामले केवल मौसम विशेष तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि सालभर डेंगू के मामले सामने आते रहते हैं।
तमाम दूसरी बीमारियों की ही तरह डेंगू से बचाव का भी सबसे आसान और कारगर उपाय यही है कि उसकी चपेट में ही न आया जाए और इसके लिए अपेक्षित सावधानियां बरती जाएं। चूंकि डेंगू मच्छरों के कारण फैलता है और मच्छर प्रायः गंदगी और ठहरे हुए पानी में पनपते हैं, इसलिए सबसे जरूरी तो यही है कि डेंगू से बचने के लिए अपने आसपास स्वच्छता का पर्याप्त ध्यान रखा जाए। फिर भी यदि कोई व्यक्ति इस बीमारी की जद में आ जाए तो उसे बिना देर किए अपना उपचार शुरू कर देना चाहिए। यदि समय से सही इलाज नहीं मिले तो डेंगू अमूमन चार-पांच दिनों में ही गंभीर रूप धारण कर लेता है। हालांकि कई बार कुछ मरीजों में यह देखने को भी मिलता है कि डेंगू से पीड़ित व्यक्ति को बुखार आना बंद हो जाता है और ऐसी स्थिति में मरीज और उसके परिजनों को यही लगता है कि मरीज डेंगू से उबर गया है लेकिन ऐसे अधिकांश मामलों में लापरवाही मरीज की जान पर भारी पड़ जाती है।
किसी भी व्यक्ति में डेंगू के शुरूआती लक्षण उभरने के बाद ऐसी विकट परिस्थितियों से सामना न हो, उसके लिए जरूरी है कि लोगों को डेंगू से बचाव के लिए जागरूक करने पर विशेष जोर दिया जाए। दरअसल जानलेवा डेंगू से बचने के लिए सावधानियां और सतर्कता बरता जाना बेहद जरूरी है। डेंगू हो या मच्छर जनित अन्य बीमारियां, उनसे बचने के लिए अपने आसपास के स्थान की समुचित साफ-सफाई करने को अपनी आदतों का हिस्सा बना लेना अत्यंत आवश्यक है। दरअसल अमूमन देखा जाता है कि लोग अपने घरों की साफ-सफाई तो कर लेते हैं किन्तु अपने आस-पड़ोस की उन्हें कोई फिक्र नहीं होती। इस स्तर पर बरती जाने वाली लापरवाही प्रायः बहुत भारी पड़ती है। यदि किसी व्यक्ति को डेंगू हो भी जाए तो सबसे जरूरी है उसकी डाइट पर विशेष ध्यान दिया जाए और उसके इम्यून सिस्टम को सही रखने का भी प्रयास किया जाए। डेंगू के मरीज को संतुलित और पौष्टिक आहार ही दिया जाना चाहिए।
डेंगू के उपचार में बहुत से लोग घरेलू नुस्खों का भी सहारा लेते हैं और इन नुस्खों में तुलसी का उपयोग बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा डेंगू हो जाने पर घरेलू नुस्खों में नारियल पानी एक अच्छा विकल्प है, जिसे शरीर में रक्त कोशिकाओं की कमी को पूरा करने में मददगार माना जाता है। दरअसल नारियल पानी में काफी मात्रा में इलैक्ट्रोलाइट्स के अलावा बहुत सारे खनिज पदार्थ भी होते हैं। डेंगू के उपचार में विटामिन सी से भरपूर वस्तुओं का उपयोग भी बहुत लाभकारी माना गया है, जो शरीर के रोग प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत बनाए रखती हैं। इसलिए डेंगू हो जाने पर विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन करना लाभकारी है।
बहरहाल, यदि इसके बावजूद मरीज की स्थिति में कोई सुधार नजर नहीं आए या परेशानियां बढ़ती दिखें तो तुरंत अपने चिकित्सक या नजदीकी अस्पताल से सम्पर्क करना चाहिए क्योंकि डेंगू के इलाज में लापरवाही मरीज की जिंदगी पर बहुत भारी पड़ सकती है।
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