पंजाब में कानून व्यवस्था के साथ-साथ जेलों की भी दुर्दशा है और यहां अपराधियों का बोलबाला है। इसके चलते पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि जेलों को कैसे सुरक्षित रखा जाए, यह हरियाणा सरकार से सीखें। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जेलों से रंगदारी कॉल, मोबाइल बरामदगी और ऐसे मामलों में दर्ज एफआईआर का ब्योरा 30 अप्रैल तक हरियाणा, पंजाब और यूटी प्रशासन चंडीगढ़ को सौंपने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने हरियाणा की जेलों की तारीफ की और कहा कि पंजाब सरकार को जेलों को सुरक्षित रखने के लिए हरियाणा से सीखना चाहिए।
मामले की सुनवाई शुरू होते ही हाई कोर्ट ने जेलों से जुड़े आंकड़ों पर जवाब मांगा तो पंजाब सरकार और अन्य पक्षों ने इसके लिए समय देने की अपील की। हाईकोर्ट ने पूछा कि जेलों से रंगदारी की कॉलें कम क्यों नहीं हो रही हैं, क्या जेलों से अब भी रंगदारी और फिरौती का रैकेट चल रहा है? आखिर क्यों आंकड़े उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे हैं। जब भी फिरौती और रंगदारी का कोई मामला सामने आता है तो पंजाब और उसकी जेलों का जिक्र जरूर होता है।
आखिर यह सब पंजाब की जेलों में क्यों होता है? हाईकोर्ट ने कहा कि यह सीधे तौर पर सुरक्षा में चूक का मामला बनता है। हरियाणा में ऐसा नहीं होता है। आप हरियाणा से क्यों नहीं सीखते कि जेलों को कैसे सुरक्षित रखा जाए। हाईकोर्ट ने अब हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ को आदेश दिया है कि अगली सुनवाई पर बताया जाए कि जिलों में मोबाइल फोन मिलने के कितने मामले सामने आए हैं, इन मामलों में क्या कार्रवाई की गई है। साथ ही यह भी बताया जाए कि जेलों से रंगदारी या फिरौती के कितने मामले सामने आए हैं, इनमें क्या कार्रवाई हुई और मौजूदा स्थिति क्या है। हाईकोर्ट हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ की जेलों की सुरक्षा का संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रहा है। इस मामले में लॉरेंस बिश्नोई के हिरासत में हुए इंटरव्यू को लेकर हाईकोर्ट एसआईटी गठित कर चुका है। गौरतलब है कि पंजाब की जेलों से गैंगस्टरों द्वारा अपनी गतिविधियों को अंजाम देने की खबरें अक्सर अखबारों की सुर्खियां बनी रहती हैं। केवल इतना ही नहीं जेलों से नशीले पदार्थ, मोबाइल बरामद होना सामान्य बात बनता जा रहा है। इसको लेकर न्यायालय ने गंभीरता दिखाई है।
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