अमेरिका की संसद में भारतीय सेना की युद्ध संबंधी तैयारियों का गुणगान होना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में से एक और भारत का रणनीतिक सहयोगी अमेरिका जब भारत की रक्षा क्षेत्र में अपनी ओर से विशेष उल्लेख करता है तो उसके बहुत मायने होते ही हैं। वहां की संसद में बताया गया कि भारत हथियारों के निर्माण में ऐसा आत्मनिर्भर होता जा रहा है कि उसे दूसरे देशों, विशेषकर रूस से हथियार खरीदने की अब उतनी जरूरत नहीं है।
यह विशेष वक्तव्य अमेरिका के एक वरिष्ठ गुप्तचर अधिकारी की ओर से आया है। उसने कहा है कि भारत चीन को काबू करने की दृढ़ इच्छाशक्ति रखता है। इतना ही नहीं, अमेरिकी अधिकारी ने आगे कहा कि भारत की मोदी सरकार ने देश की सैन्य शक्ति के आधुनिकीकरण को लेकर बहुत महत्वपूर्ण काम किए हैं।
इसमें संदेह नहीं है कि अमेरिका के रक्षा विभाग एक बड़े अधिकारी का संसद में यह बोलना बिना तथ्यों के संभव नहीं है। उस गुप्तचर अधिकारी ने तथ्यों के आधार पर संसद को बताया कि वर्ष 2023 में इंडो पैसेफिक क्षेत्र में चीन की हरकतों को टक्कर देने की भारत ने विशेष इच्छाशक्ति दिखाई है। भारत ने रूस के रक्षा उपकरणों पर निर्भर होने की बजाय अपने यहां ऐसे उपकरणों के निर्माण के लिए आवश्यक प्रयास किए हैं।
भारत की सैन्य सन्नद्धता के संबंध में कहा कि प्रशिक्षण तथा रक्षा बिक्री के जरिए भारत फिलीपीन्स सरीखे दक्षिण चीन सागर के क्षेत्रीय देशों के साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र में साझेदारी बढ़ा चुका है। इतना ही नहीं, भारत ने अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ सहयोग और दृढ़ करके दिखाया है कि वह अब कोई कमजोर देश नहीं है।
उक्त वक्तव्य अमेरिकी रक्षा गुप्तचर एजेंसी के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल जेफरी क्रूस का है और ऐसा उन्होंने चीन के संबंध में संसद में एक सुनवाई के बीच कहा। जेफरी ने संसदीय सशस्त्र सेवा समिति तथा गुप्तचरी की उपसमिति के सामने कहा कि गत वर्ष जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करके भारत ने स्वयं को एक वैश्विक नेता के तौर पर प्रतिष्ठित कर लिया है। भारत इंडो पैसेफिक क्षेत्र में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सैन्य हरकतों को टक्कर देने की इच्छाशक्ति रखता है।
इस अधिकारी ने आगे भारत की सैन्य सन्नद्धता के संबंध में कहा कि प्रशिक्षण तथा रक्षा बिक्री के जरिए भारत फिलीपीन्स सरीखे दक्षिण चीन सागर के क्षेत्रीय देशों के साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र में साझेदारी बढ़ा चुका है। इतना ही नहीं, भारत ने अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ सहयोग और दृढ़ करके दिखाया है कि वह अब कोई कमजोर देश नहीं है।
दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर चीन अपना फर्जी दावा करता आ रहा है, उधर फिलीपीन्स, मलेशिया, विएतनाम, ताइवान और ब्रुनेई भी इस क्षेत्र पर खुद का दावा करते हैं। अमेरिकी गुप्तचर अधिकारी का कहना है कि 2023 में भारत ने चीन से टक्कर लेने तथा रूस के उपकरणों पर निर्भरता कम करने के लिए बेहद जरूरी प्रयास किए हैं।
भारत ने अपनी सेना के आधुनिकीकरण के लिए खास काम किए हैं। भारत ने अपने यहां बने विमानवाहक जहाज का सफल परीक्षण किया है, भारत ने एक जिम्मेदार देश के नाते प्रमुख रक्षा प्रौद्योगिकियों के आपस में हस्तांतरण को लेकर अनेक पश्चिमी देशों के साथ बात की है।
अमेरिका के इस रक्षा अधिकारी ने भारत के संबंध में अनेक सकारात्मक बातें कीं और कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत का तटस्थ मत बना रहा है। सब जानते हैं कि रूस भारत के सबसे बड़े रक्षा साझेदारों में से एक है, भारत रूस से सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीद रहा है। लेकिन वह अपने यहां ये सब उपकरण बनाने की ओर बढ़ रहा है। भारत चीन को टक्कर देने को तैयार है। 2023 में भारत व चीन के वरिष्ठ अधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में विवाद सुलझाने के लिए अनेक दौर की वार्ता भी की है, लेकिन अभी कोई ठोस परिणाम नहीं आया है।
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